RBI ने केंद्र सरकार को हस्तांतरित किए 2.7 लाख करोड़ रुपये का ऐतिहासिक डिविडेंड

दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 2.7 लाख करोड़ रुपये का ऐतिहासिक डिविडेंड केंद्र सरकार को हस्तांतरित किए जाने से देश की आर्थिक स्थिति को मजबूती मिलेगी और विकास की गति को बल मिलेगा।।

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, इस डिविडेंड से सरकार को अपने वित्तीय लक्ष्यों को बेहतर ढंग से साधने में सहायता मिलेगी।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2025-26 के लिए बजट में आरबीआई और सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों से 2.56 लाख करोड़ रुपये के डिविडेंड की उम्मीद जताई थी। लेकिन आरबीआई का यह वास्तविक हस्तांतरण इस अनुमान को पार कर गया है, जिससे अतिरिक्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध होंगे।

राजकोषीय घाटा घटने की संभावना

एसबीआई की ‘इकोरैप’ रिपोर्ट के अनुसार, इस अधिशेष से सरकार का राजकोषीय घाटा अनुमानित स्तर से 0.2% घटकर GDP के 4.2% तक रह सकता है। यह सरकार को करीब 70,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त व्यय की भी अनुमति दे सकता है, बशर्ते अन्य नीतिगत कारकों में कोई बदलाव न हो।

डिविडेंड बढ़ोतरी के पीछे कारण

आरबीआई का यह अधिशेष डिविडेंड मुख्य रूप से डॉलर की बिक्री, विदेशी मुद्रा से हुए लाभ और ब्याज आय में निरंतर बढ़ोतरी की वजह से संभव हुआ है। साथ ही, आकस्मिक जोखिम बफर की सीमा को संशोधित कर 6 प्रतिशत (±1.5%) कर दिया गया है, जिससे अधिशेष में इजाफा हुआ।

विदेशी मुद्रा भंडार और नकदी स्थिति

जनवरी 2024 में आरबीआई ने एशिया के अन्य केंद्रीय बैंकों की तुलना में सबसे अधिक विदेशी मुद्रा बेची थी। सितंबर 2024 में विदेशी मुद्रा भंडार 704 अरब डॉलर के उच्चतम स्तर पर था। इसके बाद बाजार को स्थिर रखने के लिए केंद्रीय बैंक ने बड़े पैमाने पर डॉलर की बिक्री की। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में नकदी की स्थिति अधिशेष बनी रहने की उम्मीद है, जिसमें ओएमओ खरीद, डिविडेंड हस्तांतरण और 2025-26 में अनुमानित 25-30 अरब डॉलर के भुगतान संतुलन अधिशेष से मदद मिलेगी।