कोरबा । छत्तीसगढ़ अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक कमल वर्मा के लेटरहेड एवं हस्ताक्षर का दुरूपयोग कर कूटरचित फर्जी पत्र बनाकर प्रधानमंत्री के नाम प्रदेश के कलेक्टरों एवं जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के विरुद्ध डीएमएफ के फंड का बंदरबाट किए जाने की शिकायत किए जाने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। प्रांतीय आव्हान पर फेडरेशन के जिला इकाई के पदाधिकारियों द्वारा मंगलवार को जिला पुलिस अधीक्षक को अज्ञात आरोपियों की पड़ताल कर एफआईआर दर्ज कर वैद्यानिक कार्रवाई किए जाने ज्ञापन सौंपा गया है।




ज्ञापन के माध्यम से उल्लेख किया गया है कि छत्तीसगढ़ में कलेक्टर एवं जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से डीएमएफ (जिला खनिज न्यास ) की राशि से सोलर स्ट्रीट लाईट लगाने के नाम पर शासन को लाखों रुपए की क्षति पहुंचाए जाने ,बंदरबाट किए जाने की फर्जी लेटर हेड का इस्तेमाल कर प्रधानमंत्री को कार्रवाई हेतु शिकायत किए जाने का प्रमुख आरोप है। जिसमें छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक कमल वर्मा जी हस्ताक्षर से कूट रचित फर्जी पत्र बनाकर प्रदेश के समस्त कलेक्टरों के खिलाफ प्रधानमंत्री को शिकायत की गई है। जिसमें डीएमएफ एवं सीएसआर मद की राशियों का फर्जी आहरण व भ्रष्टाचार का आरोप है । उक्त कूटरचित पत्र से फेडरेशन की छवि धूमिल हुई है। फेडरेशन के जिला पदाधिकारियों का कहना है कि
उक्त कृत्य से छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक कमल वर्मा जी का नाम धूमिल करने एवं बदनाम करने का कुत्सित प्रयास किया गया है। छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के जिला इकाईं के पदाधिकारियों द्वारा कलेक्टर महोदय एवं पुलिस अधीक्षक महोदय को इस फर्जी शिकायत के संबंध में जांच कर संबंधित के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने हेतु पत्र दिया गया हैl जिसमें प्रमुख रूप से फेडरेशन के संयोजक के आर डहरिया, कार्य. संयोजक जगदीश खरे,शिक्षक संघ के अध्यक्ष मानसिंह राठीया एवं दिव्यांग संघ के अध्यक्ष प्रकाश खाकसे एवं अन्य पदाधिकारी गण उपस्थित रहे l


कैसे रुकेगा ऐसा फर्जीवाड़ा
छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक के लेटरहेड एवं हस्ताक्षर का दुरुपयोग किए जाने की शिकायत वाकई गम्भीर है ,जिसकी सूक्ष्मता एवं त्वरित जांच की दरकार है। साथ ही अब शासकीय कार्यालयों की शिकायत पत्र की पड़ताल के लिए कुछ खास व्यवस्था बनाए जाने की दरकार है। ताकि पत्र की सत्यता का परीक्षण हो सके। जिससे संस्था ,व्यक्ति विशेष की छवि धूमिल न हो। लेकिन फर्जी लेटरहेड के ऐसे मामले में पूर्व में भी प्रदेश में सामने आ चुके हैं ,जिसमें बाद में सम्बंधित पक्ष का त्वरित खण्डन आता है।