CG :सरकारी तनख्वाह से पेट नहीं भर रहा , शासकीय काम के एवज में रिश्वत लेते पटवारी ,लिपिक चढ़े ACB के हत्थे,जानें किस काम के लिए मांग रहे थे चढ़ावा

रायपुर। एंटी करप्शन ब्यूरो ने रिश्वत लेते हुए एक बाबू और एक पटवारी को रंगे हाथ पकड़ लिया है। बाबू पेंशन और ग्रेच्युटी का पैसा निकलवाने के लिए 30 हजार रुपए रिश्वत मांगा था जबकि पटवारी त्रुटि सुधार के लिए 25 हजार रुपए रिश्वत मांगा था। फिलहाल दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

पहला मामला राजधानी रायपुर का है जहां प्रार्थी प्रकाश सिंह ठाकुर, लखौली, जिला-रायपुर ने एन्टी करप्शन ब्यूरो, रायपुर में शिकायत किया था कि वह पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से उ.श्रे.लि. वर्ग-1 के पद से सेवानिवृत्त हुआ है। उसकी पेंशन/ग्रेच्युटी रूकने के कारण वह बाबू (उ.श्रे.लि. वर्ग-2) दीपक शर्मा से मिला। उसने पेंशन/ग्रेज्युटी जारी करवाने केे बदले में 30,000 रू. रिश्वत की मांग की। प्रार्थी रिश्वत देने के बजाय सीधे इसकी शिकायत ACB में कर दी। ACB ने शिकायत का सत्यापन करने के बाद मंगलवार को योजना बनाकर शिकायतकर्ता प्रकाश सिंह को केमिकल लगा हुआ 30 हजार रुपए देकर भेजा। जैसे ही प्रार्थी ने बाबू दीपक शर्मा को 30,000 रू. रिश्वत दिया ACB की टिम ने उसे रंगे हाथ पकड़ लिया। आरोपी बाबू को गिरफ्तार कर उसके विरुद्ध धारा 7 पीसीएक्ट 1988 (संशोधित अधिनियम 2018) के प्रावधानों के तहत् कार्यवाही की गई है।
दूसरा मामला मुंगेली जिले का है जहां नगर पंचायत बोदरी निवासी टोप सिंह अनुरागी ने एन्टी करप्शन ब्यूरो, बिलासपुर में शिकायत किया कि उसके तथा उसके भाई और बहनों के नाम पर ग्राम केसलीकला, जिला मुंगेली में जमीन है। जिसके रिकॉर्ड में उसका नाम टोप सिंह की जगह तोप सिंह हो गया है। इसके अलावा बहन के नाम के आगे ’पिता के नाम’ की जगह ’पति’ शब्द लिखा गया है। जिसे सुधार कराने, जमीन का नक्शा, खसरा, बी-वन प्राप्त करने के लिए वह केसलीकला पटवारी उत्तम कुर्रे से मिला। उसने सभी काम कराने के बदले 25,000 रू. रिश्वत की मांग की। प्रार्थी टोप सिंह रिश्वत नहीं देना चाहता था बल्कि आरोपी को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़वाना चाहता था। शिकायत का सत्यापन कराने के बाद ACB की टिम ने टोप सिंह को केमिकल लगा हुआ नोट दिया। जैसे ही पटवारी ने उत्तम कुर्रे को 25,000 रू. रिश्वत दी ACB की टिम ने उसे रंगे हाथ पकड़ लिया। आरोपी को गिरफ्तार कर उसके विरुद्ध धारा 7 पीसीएक्ट 1988 (संशोधित अधिनियम 2018) के प्रावधानों के तहत् कार्यवाही की जा रही है।