तिब्बत । तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने शनिवार को अपना 90वां जन्मदिन (Dalai Lama 90th birthday) मनाया. इस खास मौके पर उन्होंने मैक्लोडगंज के मुख्य मंदिर में जुटे अपने अनुयायियों और खास मेहमानों से बात की.
उन्होंने दुनिया भर से मिले प्यार के लिए धन्यवाद दिया और विनम्रता के साथ सबकी सेवा करते रहने का अपना संकल्प दोहराया.
अपने छोटे से भाषण में उन्होंने कहा, “आज मेरा 90वां जन्मदिन है और आप सब बहुत खुशी और उत्साह के साथ यहां इकट्ठा हुए हैं. मैं आप सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं.”
सेवा और विनम्रता का संदेश👇
दलाई लामा ने बताया कि उनका जीवन हमेशा सभी जीवित प्राणियों की सेवा करने के विचार से प्रेरित रहा है. उन्होंने कहा, “मैं भी एक इंसान हूं. और इंसानों के लिए एक-दूसरे से प्यार करना और मदद करना स्वाभाविक है.”
उन्होंने ‘बोधिचित्त’ के अभ्यास पर जोर दिया. आसान भाषा में इसका मतलब है, खुद से पहले दूसरों की भलाई के बारे में सोचना और सभी के कल्याण के लिए ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा रखना. दलाई लामा ने बताया कि इसी अभ्यास ने उन्हें प्रसिद्धि दिलाई. उन्होंने कहा, “लोगों की तारीफ पाने के लिए स्वार्थी बनने के बजाय, मेरा ध्यान हमेशा दूसरों की सेवा करने पर रहा है. इसी बोधिचित्त की वजह से लोग मुझसे जुड़ते हैं और प्यार देते हैं.”
लंबी उम्र की कामना👇
अपने 90वें जन्मदिन से ठीक पहले, दलाई लामा ने 130 साल से भी ज्यादा जीने की उम्मीद जताई. उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा कि वह अभी 30-40 साल और जीना चाहते हैं. यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने अपनी लंबी उम्र की बात की है. पहले भी वह कभी 110 साल तो कभी 113 साल से ज्यादा जीने की बात कह चुके हैं.
इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू जैसे कई बड़े नेता भी शामिल हुए.
पुरानी यादें और आखिरी संदेश👇
दलाई लामा ने चीन के नेता माओत्से तुंग के साथ अपनी मुलाकात को भी याद किया, जिन्होंने धर्म को “जहर” बताया था. साथ ही उन्होंने भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का भी जिक्र किया.
अंत में उन्होंने सभी से अपनी आस्था बनाए रखने और ‘बोधिचित्त’ यानी दूसरों की भलाई के विचार को मन में रखने की अपील की. उन्होंने कहा, “मुझे अवलोकितेश्वर के आशीर्वाद पर भरोसा है. आपको भी होना चाहिए. बस इतना ही. धन्यवाद.”