गौरेला-पेंड्रा-मरवाही। जिले में पदस्थ एक आदिवासी अधिकारी के साथ कथित दुर्व्यवहार के मामले ने तूल पकड़ लिया है। छत्तीसगढ़ अनुसूचित जनजाति शासकीय सेवक विकास संघ ने सोमवार को पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर डॉ. श्रीयता कुरोठे और उनके पति जयवर्धन उर्फ मनीष कुरोठे के खिलाफ अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत मामला दर्ज करने की मांग की।
आयुष कार्यालय में हुआ विवाद, जातिगत अपमान और मारपीट का आरोप👇
संघ द्वारा सौंपे गए ज्ञापन के अनुसार, 4 जुलाई 2025 को आयुष विभाग कार्यालय, जिला चिकित्सालय परिसर में डॉ. श्रीयता कुरोठे एवं उनके पति जयवर्धन कुरोठे ने प्रभारी जिला आयुष अधिकारी डॉ. कैलाश मरकाम से कार्यालयीन विषय को लेकर विवाद किया।
संघ का आरोप है कि विवाद के दौरान दंपत्ति ने डॉ. मरकाम के साथ न केवल हाथापाई की बल्कि जातिसूचक गालियां भी दीं, जिससे उनका आत्मसम्मान आहत हुआ और यह अनुसूचित जनजाति के एक शासकीय अधिकारी के विरुद्ध गंभीर दमनकारी कृत्य है।
BNS की धाराएं 221 और 121 के तहत दर्ज की गई एफआईआर, एट्रोसिटी एक्ट की मांग👇
इस गंभीर घटना पर पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 221 (हल्की चोट पहुंचाना) और धारा 121 (आपराधिक बल का प्रयोग) के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया है।
परंतु अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 — जो इस प्रकार के जातिगत हमलों और अपमान से संरक्षण देता है — उसके अंतर्गत कोई कार्रवाई नहीं की गई।
संघ ने इसे पुलिस प्रशासन द्वारा घटना को हल्के में लेने और पीड़ित अधिकारी को न्याय से वंचित करने की कोशिश बताया है।
पुलिस अधीक्षक का बयान: “जांच कर जल्द होगी कड़ी कार्रवाई”👇



प्रदर्शन के बाद पत्रकारों से बातचीत में पुलिस अधीक्षक ने कहा कि मामला अत्यंत संवेदनशील है और इसकी बारीकी से जांच की जा रही है।
उन्होंने आश्वस्त किया कि “जांच पूरी होते ही दोषियों के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
6 दिन का अल्टीमेटम, 15 जुलाई को रैली और धरने की चेतावनी👇
संघ ने ज्ञापन में यह चेतावनी दी है कि यदि आगामी 6 दिनों के भीतर दोषियों पर एट्रोसिटी एक्ट के तहत एफआईआर और गिरफ्तारी नहीं हुई, तो संघ 15 जुलाई को “लाल बंगला” ज्योतिपुर से थाना गौरेला तक रैली निकालकर विरोध-प्रदर्शन करेगा। साथ ही थाने के समक्ष धरना दिया जाएगा।
संघ ने यह भी कहा कि यदि इस दौरान कोई अप्रिय घटना होती है, तो उसकी पूर्ण जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन की होगी, क्योंकि पहले ही समय रहते कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है।
यह केवल एक अधिकारी नहीं, पूरी जनजाति पर हमला: संघ👇
संघ पदाधिकारियों ने कहा कि यह मामला केवल डॉ. कैलाश मरकाम जैसे ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी पर हमला नहीं है, बल्कि यह पूरे आदिवासी समाज के आत्मसम्मान और गरिमा पर कुठाराघात है।
यदि ऐसे मामलों में त्वरित और कठोर कार्रवाई नहीं की गई, तो यह समाज में गलत संदेश देगा कि जातिगत हिंसा करने वालों को कानून से संरक्षण मिल रहा है।
मांग पत्र में यह प्रमुख बातें उठाईं गईं:👇
अनुसूचित जनजाति अधिकारी के साथ हाथापाई और जातिसूचक अपशब्दों का प्रयोग किया गया
केवल BNS की हल्की धाराओं में प्रकरण दर्ज करना अन्यायपूर्ण है
एट्रोसिटी एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज किया जाए
आरोपी पति-पत्नी को तत्काल गिरफ्तार किया जाए
6 दिन में कार्रवाई नहीं हुई तो व्यापक जन आंदोलन होगा