मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने 21 जुलाई को मुंबई ट्रेन बम विस्फोट मामले में सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया। न्यायायल ने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष मामले को साबित करने में पूरी तरह विफल रहा है।

इसके एक दिन बाद महाराष्ट्र ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। वहीं इस मामले की एसआईटी द्वारा फिर से जांच की मांग उठ रही है। यह मांग किसी और ने नहीं बल्कि इस मामले में बरी हुए एक शख्स ने की है।
मुंबई ट्रेन बम विस्फोट मामले में विशेष अदालत द्वारा 2015 में बरी किए गए एकमात्र व्यक्ति अब्दुल वाहिद शेख ने मंगलवार को मामले की फिर से जांच के लिए उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (SIT) के गठन की मांग की।
2015 में बरी हुए थे अब्दुल वाहिद शेख👇

मुंबई सीरियल बम ब्लास्ट के आरोप में महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते (ATS) ने अब्दुल वाहिद शेख समेत 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। 9 साल बाद 2015 में विशेष अदालत ने शेख को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया था। वहीं 12 को दोषी ठहराया था। इसमें से 5 को मौत की सज़ा जबकि 7 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। मौत की सजा पाए एक दोषी की 2021 में मौत हो गई थी।
विशेष अदालत के 2015 के फैसले को पलटते हुए सोमवार यानी 21 जुलाई को बॉम्बे हाई कोर्ट ने सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया और कहा कि अभियोजन पक्ष मामले को साबित करने में पूरी तरह विफल रहा और “यह विश्वास करना कठिन है कि आरोपियों ने अपराध किया है।
इसके एक दिन बाद महाराष्ट्र ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। वहीं इस मामले की एसआईटी द्वारा फिर से जांच की मांग उठ रही है। यह मांग किसी और ने नहीं बल्कि इस मामले में बरी हुए एक शख्स ने की है।
मुंबई ट्रेन बम विस्फोट मामले में विशेष अदालत द्वारा 2015 में बरी किए गए एकमात्र व्यक्ति अब्दुल वाहिद शेख ने मंगलवार को मामले की फिर से जांच के लिए उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (SIT) के गठन की मांग की।
जेल में रहते लिखी ‘बेगुनाह कैदी’ ने की किताब 👇
पेशे से शिक्षक अब्दुल वाहिद शेख एटीएस द्वारा 12 लोगों पर किए गए अत्याचारों को लेकर शुरू से मुखर रहे हैं। उन्होंने जेल में रहते हुए ‘बेगुनाह कैदी’ नाम की एक किताब भी लिखी थी।
अब्दुल शेख ने से कहा कि महाराष्ट्र सरकार को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एसआईटी गठित कर मामले की फिर से जांच करानी चाहिए ताकि ट्रेन बम विस्फोट के असली अपराधियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने ने कहा कि बहुत देर हुई, लेकिन इन लोगों को आखिरकार न्याय मिला। उच्च न्यायालय के फैसले ने एटीएस के झूठ को उजागर कर दिया।
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उनकी अन्य मांगों में एटीएस द्वारा जांच में हुई चूक के लिए माफी मांगना, निर्दोष होने के बावजूद 19 साल जेल में बिताने वाले 12 लोगों को 19 करोड़ रुपये का मुआवजा देना, उनके लिए सरकारी नौकरी और मकान देना शामिल है।
एसीपी पर बनाया गया था दबाव👇
2015 में बरी हुए शेन ने ट्रेन बम विस्फोट मामले के जांच अधिकारियों में से एक दिवंगत सहायक पुलिस आयुक्त (ACP) विनोद भट्ट को याद किया। अपनी पुस्तक में शेख ने दावा किया था कि भट्ट को आरोपियों के खिलाफ सबूत गढ़ने और झूठे गवाह बनाने के लिए मजबूर किया जा रहा था।
शेख दावा किया कि आज एसीपी की आत्मा खुश होगी। उन्होंने निर्दोष लोगों को फंसाने के दबाव के कारण अगस्त 2006 में उसी रेलवे ट्रैक पर अपनी जान दे दी थी, जहां बम विस्फोट हुए थे। उन्होंने कहा कि दादर रेलवे पुलिस थाने में आत्महत्या को दुर्घटनावश मौत के रूप में दर्ज किया गया था।
पश्चिमी लाइन पर 11 जुलाई 2006 को विभिन्न स्थानों में मुंबई लोकल ट्रेन में हुए सिलसिलेवार विस्फोट में मारे गए पीड़ितों के परिजनों के प्रति शेख ने सहानुभूति व्यक्त की और उनके लिए न्याय की मांग की। इन विस्फोट में 180 से अधिक लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए थे।