बाबा रामदेव ने पतंजलि की जिस कोरोनिल ‘दवा’ पर तीन दिन पहले ही दावा किया था कि पतंजलि पर कोई अब सवाल नहीं कर सकता, वह दावा ही अब विवादों में आ गया है। कोरोनिल पर अब विवाद इसके सर्टिफिकेट और दावों पर हुआ है। 19 फ़रवरी को ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की मौजूदगी में कई दावे किए गए थे। जहाँ पर बैठकर वे प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर रहे थे वहीं उसके पीछे पोस्टर पर लिखा था कोरोनिल ‘दवा’ CoPP और WHO GMP प्रमाणित है।
उस लिखे का मतलब था कि CoPP फार्मास्यूटिकल उत्पाद का प्रमाण पत्र है और इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन के अच्छे विनिर्माण आचरण (GMP) द्वारा मान्यता प्राप्त है। ये दोनों मानक औषधीय उत्पादों में गुणवत्ता को परिभाषित करते हैं।
केंद्रीय मंत्री की मौजूदगी और जिस विश्वास के साथ तीन दिन पहले पतंजलि ने दावे किए उससे लगा कि शायद इस बार विवाद नहीं हो। लेकिन इस पर विवाद तब हो गया जब विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ की ओर से सफ़ाई आई। इसने कहा कि ऐसी कोई दवा प्रमाणित नहीं की गई है।
डब्ल्यूएचओ साउथ-ईस्ट एशिया ने ट्वीट किया कि इसने कोरोना के इलाज के लिए किसी भी पारंपरिक दवाई की प्रभावशीलता की समीक्षा या सर्टिफिकेशन नहीं किया है।
19 फ़रवरी को योग गुरु रामदेव की कंपनी पतंजलि ने दावा किया था कि उसने कोरोना की दवा की खोज कर ली है। उसने ट्वीट कर कहा, ‘गौरव का क्षण! कोरोना की दवा बनाने की पतंजलि के वैज्ञानिकों की कोशिशें आज कामयाब हो गईं।’
रामदेव ने दावा किया कि कोरोना पर कंपनी के 25 शोध प्रबंध यानी रिसर्च पेपर हैं। इसलिए पतंजलि पर कोई अब सवाल नहीं कर सकता।
19 फ़रवरी को प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान पोस्टर पर लिखा था की कोरोनिल ‘दवा’ CoPP और WHO GMP प्रमाणित थी। लेकिन तब बयान में कहा गया था कि ‘कोरोनिल को WHO सर्टिफिकेशन स्कीम के अनुसार सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन के आयुष विभाग से फार्मास्यूटिकल प्रोडक्ट का सर्टिफिकेट (CoPP) प्राप्त हुआ है।’
19 फ़रवरी को ही जिस तरह के दावे किए गए थे उनमें मामूली अंतर था जिसपर विवाद की आशंका थी और यह शायद पतंजलि को भी पता था। इसलिए कंपनी से जुड़े अधिकारी बाल कृष्ण ने ट्वीट कर तभी सफ़ाई पेश की थी। उन्होंने ट्वीट किया था, ‘हम इस भ्रम से बचने के लिए साफ़ करना चाहते हैं कि कोरोनिल को हमारा डब्ल्यूएचओ जीएमपी के योग्य सीओपीपी प्रमाण पत्र डीसीजीआई, भारत सरकार द्वारा जारी किया गया है। यह स्पष्ट है कि डब्ल्यूएचओ किसी भी ड्रग्स को स्वीकार या अस्वीकृत नहीं करता है। डब्ल्यूएचओ दुनिया भर के लोगों के लिए एक बेहतर, स्वस्थ भविष्य के निर्माण के लिए काम करता है।’
