अहमदाबाद । मां की ममता से बढ़कर कुछ भी नहीं इस दुनिया में होता है. ऐसा कहना शायद गलत नहीं होगा. क्योंकि 12 जून को अहमदाबाद में एअर इंडिया का विमान IC171 जब मेघाणीनगर स्थित बीजे मेडिकल कॉलेज के एक रिहायशी इमारत पर गिरी तो उस दौरान वहां चारों ओर चीख-पुकार मच गई. उस इमारत में मनीषा कच्छाडिया अपने बेटे ध्यान्श के साथ मौजदू थी.
लेकिन धधकती आग, घना धुआं और मौत के साये के बीच मनीषा अपने 8 महीने के बेटे के लिए ढाल बन गईं. अपने शरीर से बच्चे को ढककर कंवच बना लिया.
इस विमान हादसे में ध्यान्श सबसे छोटा सर्वाइवर बना. इस हादसे में दोनों मां-बेटे बुरी तरह से जल गए. इतना ही नहीं मां ने बाद में अस्पताल में अपने बेटे के जले हिस्सों पर स्किन ग्राफ्ट के लिए अपनी ही चमड़ी दे दी. इस तरह मां एक बार फिर से अपने बेटे के लिए ढाल बन गई. इलाज के बाद दोनों को बीते सप्ताह अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया.

दरअसल, मनीषा कच्छाडिया अपने बेटे और पति कपिल कच्छाडिया के साथ उस इमारत में रहते थे. कपिल कच्छाडिया BJ मेडिकल कॉलेज में यूरोलॉजी के MCh स्टूडेंट हैं. हादसे के समय वह ड्यूटी पर ही थे. उन्होंने बताया कि जब प्लेन क्रैश हुआ था तो मां और बेटे साथ में ही थे.
टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत करते हुए मनीषा कच्छाडिया ने बताया कि जब प्लेन क्रैश हुआ था तो वो अपने बेटे के साथ ही कमरे में ही थी. अचानक घना धुंआ छा गया और फिर कुछ समझ में आने नहीं लगा. मुझे तो बस अपने बेटे को बचाना था. मैंने अपने बेटे को गले से लगाया और बाहर के लिए दौड़ पड़ी.
जिंदगी और मौत के बीच मां का साहस👇

मनीषा कच्छाडिया ने आगे बताया कि उन्हें तो बस अपने बच्चे के लिए जीना था. जब क्रैश हुआ तो एक पल के लिए लगा कि हम बच नहीं पाएंगे.
मनीषा को चेहरे और हाथों पर 25 परसेंट जलन आई. वहीं बेटे के चेहरे, दोनों हाथों और पेट पर 36 परसेंट जलन थी.
जहां 12 जुलाई को क्रैश हुई थी एअर इंडिया का विमान (Photo: PTI)
इलाज के लिए दोनों को केएडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बेटे ध्यान्श को PICU में रखा गया. उसे वेंटिलेटर पर रखा गया, खून चढ़ाया गया और स्पेशल बर्न ट्रीटमेंट मिला. इलाज के दौरान जब स्किन ग्राफ्टिंग की ज़रूरत पड़ी, तो मां ने खुद की स्किन दान की.
पिता भी बने बेटे के इलाज में मददगार👇
डॉ. कपिल खुद भी डॉक्टर हैं. उन्होंने भी बेटे के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. KD हॉस्पिटल के प्लास्टिक सर्जन डॉ. रुत्विज पारिख ने कहा, ‘कपिल हर रात बेटे की ड्रेसिंग में मदद करते थे.’
ध्यान्श की एक फेफड़े में खून भर गया था. उसे वेंटिलेटर पर रखा गया और छाती में ट्यूब डाली गई. डॉ. स्नेहल पटेल ने कहा कि बच्चे के फेफड़े में दोबारा हवा भरने तक यह प्रक्रिया चलती रही.
पांच हफ्ते के इलाज के बाद अब मां-बेटा दोनों ठीक होकर अस्पताल से घर लौट आए हैं. मनीषा की ममता ने आग और मौत दोनों को मात दे दी.