CBSE कराने जा रहा 9वीं में ओपन बुक एग्जाम ,जानें पूरा मामला ….

दिल्ली। सीबीएसई सेशन 2026-27 से बोर्ड ओपन बुक असेसमेंट (OBA) शुरू करने की तैयारी में है. इसमें एग्जाम के दौरान छात्र किताबें, क्लास नोट्स और लाइब्रेरी की बुक्स देख सकेंगे.

इसके पीछे मकसद यह है छात्र रटने के बजाए समझने, विश्लेषण करने और क्रिटिकल थिंकिंग को समझें. यह फैसला दिसंबर 2023 में शुरू हुई पायलट स्टडी के नतीजों और टीचर्स के पॉजिटिव रुख के बाद लिया गया है. मेन सब्जेक्ट्स जैसे भाषा, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान इसमें शामिल होंगे. पहले भी 2014 में ऐसा प्रयोग हुआ था, लेकिन 2017 में इसे बंद कर दिया गया था.

दरअसल, ओपन बुक परीक्षा एक ऐसा तरीका है, जो छात्रों को रट्टा मारने की जगह विश्लेषण करने, समझने और इस्तेमाल करने पर फोकस करता है. NCFSE के मुताबिक, ओपन बुक टेस्ट में छात्रों को उत्तर देते समय कोर्स की किताबों, क्लास नोट्स, लाइब्रेरी की किताबों का उपयोग करने की अनुमति होती है.

पायलट स्टडी के बाद लिया गया फैसला👇

दिसंबर 2023 में सीबीएसई ने 9वीं से 12वीं के लिए ओपन बुक असेसमेंट की एक पायलट स्टडी शुरू की थी. इसमें छात्रों के प्रदर्शन से पता चला कि उनके अंक 12 प्रतिशत से 47 प्रतिशत के बीच थे, जिससे यह पता चला कि छात्रों को कोर्स की कितबों, क्लास नोट्स, पुस्तकालय की किताबों का उपयोग करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था.
टीचर्स ने इस पहल के प्रति सकारात्मक रुख दिखाया. टीचर्स को उम्मीद है कि यह तरीका छात्रों में क्रिटिकल थिंकिंग को बढ़ावा देगा.
पायलट स्टडी में कुछ चुनौतियों के बावजूद टीचर्स के पॉजिटिव रुख को देखते हुए गवर्निंग बॉडी ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है. अब सीबीएसई ओपन-बुक परीक्षा के लिए सैंपल पेपर तैयार करने पर काम करेगा.

2017 में बंद हुई थी OTBA👇

ये पहली बार नहीं है जब सीबीएसई ने ओपन-बुक परीक्षा का प्रयोग किया है. इससे पहले साल 2014 में भी बोर्ड ने रटने की आदत को कम करने के लिए ओपन टेक्स्ट बेस्ड असेसमेंट (OTBA) शुरू किया था. इसे नौवीं कक्षा में हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान के लिए लागू किया गया था, लेकिन फिर 2017-18 में इसे यह कहते हुए बंद कर दिया गया था कि यह छात्रों में क्रिटिकल थिंकिंग स्किल को विकसित करने में सफल नहीं रहा.