CG : केंद्रीय मद संविधान के अनुच्छेद 275 (1) का कोरबा में बुरा हाल!आश्रम,छात्रावासों के लघु निर्माण,नवीनीकरण कार्य के अभिलेख, नस्ती गायब ,80 लाख के स्वीकृत कार्य हुए ही नहीं , फर्म ,डाटा एंट्री ऑपरेटरों के विरुद्ध FIR ,तत्कालीन सहायक आयुक्त,एसडीओ के विरुद्ध विभागीय जांच संस्थित करने पत्राचार …..

कोरबा। आकांक्षी जिला कोरबा में कार्यालय सहायक आयुक्त आदिवासी विकास कोरबा एक बार फिर एक्शन मोड़ में हैं। संविधान के अनुच्छेद 275 (1) मदान्तर्गत वित्तीय वर्ष 2021 -22 में
विभागीय आश्रम ,छात्रावासों के लिए स्वीकृत लघु निर्माण ,नवीनीकरण कार्य के
के निविदा अभिलेख कार्यादेश,प्राक्कलन,तकनीकी स्वीकृति,माप पुस्तिका ,देयक व्हाउचर से संबंधित मूल नस्ती एवं अभिलेख ही कार्यालय से गायब हैं। यही नहीं 80 लाख के कार्य कराए ही नहीं गए।
जिला पंचायत सीईओ की अध्यक्षता में गठित जांच कमेटी के प्रतिवेदन में इसकी पुष्टि हुई है। लगातार अवसर देने फर्मों द्वारा कार्य प्रारंभ करने सहमति देने के उपरांत भी आज पर्यंत कार्य प्रारंभ नहीं करने पर
संबंधित ठेकेदारों एवं आदिवासी विकास विभाग के जिम्मेदार तत्कालीन डाटा एंट्री ऑपरेटरों के विरुद्ध विभाग ने एफआईआर दर्ज कराई है। साथ ही तत्कालीन सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग ,सहायक अभियंता एवं उप अभियंता के विरुद्ध विभागीय जांच संस्थित करने विभाग को पत्र लिखा गया है । इस कार्रवाई से महकमे में हड़कम्प मचा है।

आदिवासी विकास विभाग कोरबा में वर्ष 2021-22 के तहत छात्रावास और आश्रमों में निर्माण, नवीनीकरण और अन्य कार्यों में गंभीर अनियमितताओं का मामला सामने आया है। जांच में पाया गया कि लघु निर्माण, नवीनीकरण और अन्य कार्यों में संबंधित अधिकारियों, ठेकेदारों और एजेंसियों से आवश्यक दस्तावेज और अनुमोदन उपलब्ध नहीं हैं। कई मामलों में माप पुस्तिका, देयक व्हाउचर भुगतान के दस्तावेज भी अधूरे पाए गए।
सहायक आयुक्त आदिवासी विकास कोरबा की रिपोर्ट के आधार पर इन अनियमितताओं में शामिल अधिकारियों और एजेंसियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि दोषियों से नियम अनुसार वसूली की जाएगी और संबंधित थानों में FIR दर्ज करने का आदेश दिए गए हैं।
बता दें कि संविधान के अनुच्छेद अंतर्गत छात्रावास/आश्रमों में लधुनिर्माण / रेनोवेशन के कार्यों से संबंधित निविदा अभिलेख, कार्य आदेश, प्राक्कलन, माप पुस्तिका, देयक व्हाउचर, मूल नस्ती एवं अन्य अभिलेख कार्यालय में उपलब्ध नहीं होने के संबध में जांच समिति के द्वारा यह निर्णय लिया गया है, कि इस संबंध में पुलिस थाने में FIR दर्ज किया जावे, साथ ही तकनीकी अमले द्वारा कार्यों का स्थल निरीक्षण उपरांत संबंधित फर्म द्वारा कराये गये कुछ कार्य की स्वीकृत राशि (अनुबंध राशि) से कम का कार्य कराया जाना पाया गया। उप अभियंतों के निरीक्षण उपरांत लगभग राशि रू. 80.00 लाख का कार्य नहीं पाया गया है। संबंधित ठेकेदारों से अनुबंध राशि के अनुसार पुनः कार्य कराये जाने के लिये एक माह समय दिये गये थे जिस पर ठेकेदारों के द्वारा अपनी सहमति दी गई थी, किन्तु आज पर्यन्त ठेकेदारों के द्वारा कार्य नहीं कराया जाना गाया है। उक्त प्रकरण संबंधित ठेकेदारों एवं डाटा एण्ट्री आपरेटर आदिवासी विकास कोरबा मुख्य रूप से शामिल है। अतः उनके विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट (F.I.R) दर्ज कराई गई है तथा तत्कालीन सहायक आयुक्त आदिवासी विकास कोरबा सहायक अभियंता एवं उप अभियंता के विरूद्ध विभागीय जांच संस्थित करने हेतु विभाग को पत्र लिखा गया है।

प्रेस रिलीज में जिम्मदार फर्मों ,डाटा एंट्री ऑपरेटरों के नाम का उल्लेख नहीं होने से उठे सवाल ,दबाव या प्रभाव ! 👇

निसंदेह इस गम्भीर मामले में जांच कमेटी ने जिम्मेदार फर्मों एवं आदिवासी विकास विभाग के तत्कालीन डाटा एंट्री ऑपरेटरों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराए जाने की सूचना जन संपर्क के माध्यम से जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी गई है। लेकिन प्रेस विज्ञप्ति में फर्मों के नाम एवं डाटा एंट्री ऑपरेटरों के नाम का उल्लेख नहीं होने से कई तरह के सवाल उठ रहे। क्या फर्म इतने प्रभावशाली हैं कि उनका नाम सार्वजनिक करने गुरेज की जा रही ? या फिर कुछ और दबाव, या प्रभाव है , जिसकी वजह से नाम उजागर नहीं किए गए ? जबकि पूरा मामला शासकीय फंड के बंदरबाट से जुड़ा है तो फर्मों का नाम प्राथमिकता से उजागर किया जाने की दरकार थी।