दिल्ली। आजादी के 78 साल बाद, देश के प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) का पता बदलने जा रहा है. PMO, जो दशकों से दिल्ली के साउथ ब्लॉक से काम कर रहा है, अगले महीने अपने नए दफ्तर में शिफ्ट हो जाएगा.
यह नया दफ्तर सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बने एक्जीक्यूटिव एन्क्लेव में होगा, जो साउथ ब्लॉक से कुछ ही सौ मीटर की दूरी पर है.
नई बिल्डिंग की ज़रूरत क्यों पड़ी?👇

इस बदलाव की सबसे बड़ी वजह पुरानी इमारतों में जगह की कमी और आधुनिक सुविधाओं का न होना है. सरकार का मानना है कि भारत अब दुनिया में एक बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है, इसलिए सरकारी दफ्तर भी देश की इसी नई पहचान के मुताबिक आधुनिक और बेहतर होने चाहिए.
कुछ समय पहले प्रधानमंत्री ने भी इस बारे में बात की थी. उन्होंने कहा था कि देश की सरकारी मशीनरी आज भी अंग्रेजों के ज़माने में बनी इमारतों से चल रही है. इन पुरानी इमारतों में काम करने के हालात ठीक नहीं हैं, क्योंकि वहां न तो पर्याप्त जगह है, न सही रोशनी और न ही हवा का अच्छा इंतजाम है.
कैसा है नया PMO और क्या होगा नया नाम?👇
एक्जीक्यूटिव एन्क्लेव में सिर्फ PMO ही नहीं, बल्कि कैबिनेट सचिवालय, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय और बैठकों के लिए एक बड़ा कॉन्फ्रेंसिंग सेंटर भी होगा. यह नया दफ्तर प्रधानमंत्री आवास के भी ज़्यादा करीब है.
ऐसी भी खबरें हैं कि नए PMO को एक नया नाम भी दिया जा सकता है. यह नाम ‘सेवा’ की भावना को दर्शाने वाला हो सकता है. प्रधानमंत्री ने अपने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में कहा था कि वह PMO को जनता की सेवा का केंद्र बनाना चाहते हैं. उन्होंने कहा था, “PMO लोगों का PMO होना चाहिए. यह मोदी का PMO नहीं हो सकता.”
तो फिर पुराने साउथ ब्लॉक का क्या होगा?👇
अब सवाल यह है कि PMO और दूसरे बड़े दफ्तरों के शिफ्ट हो जाने के बाद ऐतिहासिक नॉर्थ और साउथ ब्लॉक का क्या होगा. सरकार इन दोनों शानदार इमारतों को एक बड़े म्यूजियम यानी संग्रहालय में बदलने जा रही है. इस म्यूजियम का नाम ‘युगे युगीन भारत संग्रहालय’ होगा. इस म्यूजियम में भारत की हज़ारों साल पुरानी संस्कृति और विरासत को दिखाया जाएगा, ताकि लोग अपने गौरवशाली अतीत को देख सकें और बेहतर भविष्य की कल्पना कर सकें.