हसदेव एक्सप्रेस न्यूज दंतेवाड़ा -बिलासपुर -जशपुर। हर घर नल ,हर घर जल के नारों के साथ केंद्रशासन जहाँ देश के हर घरों में शुद्ध जलापूर्ति की कवायद में जुटी है। योजना तमाम विसंगतियों ,चुनौतियों की वजह से योजना की मियाद लक्ष्य से 4 साल आगे मार्च 2028 तक बढ़ गई है। वहीं छत्तीसगढ़ में इस योजना को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई ) के अफसरों ने नियम कायदों को ताक पर रखकर इस कदर सेंध पहुंचाई है कि योजना से जुड़े दस्तावेजों को सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत भी आवेदकों को साझा करने
ख़ौफजदा हैं। कोई जनसूचना अधिकारी अपीलीय अधिकारी के लाखों रुपए के दस्तावेज अपीलार्थी को निःशुल्क देने के आदेशों की अवहेलना कर जानकारी दबाए बैठे हैं ,कोई तय मियाद के बाद लाखों रुपए की जानकारी निःशुल्क न पड़े कहके प्रकरणों की सुनवाई तक नहीं कर रहे,तो कोई सुनवाई तिथि में ही गायब होकर नियम विरुद्ध निर्णय पारित कर केंद्रीय कानून का माख़ौल उड़ा रहे हैं। दंतेवाड़ा ,जशपुर ,जगदलपुर से लेकर न्यायधानी बिलासपुर के इन मनमौजे भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ राज्य शासन को अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की गई है।
बात करें नक्सल प्रभावित सुदूर वनांचल दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा जिले की तो यहाँ तो जल जीवन मिशन के कार्यों में व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरते जाने की शिकायत मिल रही है। कार्यों का मनमाना मूल्यांकन ,पाइपलाइन,नल कनेक्शन में गुणवत्ताहीन सामाग्रियों को प्रयुक्त करने से लेकर एसडीओ के सत्यापन के बिना फर्मों को भुगतान की बातें विश्वसनीय सूत्रों से मिलती रही हैं। जिसको लेकर मेरे जल जीवन मिशन के सिंगल विलेज स्कीम के तहत स्वीकृत कार्यों के भौतिक अद्यतन स्थिति,प्रगतिरत कार्यों के एवज में अनुबंधित फर्मों को किए गए भुगतान देयक ,कार्यपालन अभियंता /सहायक अभियंता द्वारा 2024 -25 में किए गए निरीक्षण प्रतिवेदन ,2024 -25 में कराए गए कार्यों के मूल्यांकन पत्रक एवं सहायक अभियंता द्वारा किए गए सत्यापन पपत्र की सत्यप्रतिलिपि मांगी गई थी। लेकिन जन सूचना अधिकारी द्वारा उपरोक्त दस्तावेज कुल 56 हजार 653 पृष्ठ में होने की जानकारी आवेदक को देकर 1 लाख 13 हजार 306 रुपए का शुल्क जमा करने पत्राचार किया। लेकिन जन सूचना अधिकारी सहायक अभियंता (एसडीओ)को निर्धारित मियाद 30 दिवस के उपरांत 31 वें दिवस में पत्राचार करना भारी पड़ गया। आवेदक ने उक्त नियमों के प्रतिकूल पत्र को प्रथम अपील में चुनौती दी। जिसे प्रथम अपीलीय अधिकारी कार्यपालन अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ,जिला -दक्षिण बस्तर दन्तेवाड़ा ने दिनांक 07 /07/2025 को गूगल मीट के माध्यम से आयोजित सुनवाई में स्वीकार कर जनसूचना अधिकारी को एक सप्ताह के भीतर उपरोक्त जानकारी अपीलार्थी को निःशुल्क उपलब्ध कराने का आदेश पारित किया था। जन सूचना अधिकारी के लिए यह आदेश किसी झटके से कम नहीं था,उन्होंने इसकी तनिक भी कल्पना नहीं की थी कि उनका वृहद शुल्क का लेखकर आवेदक को जानकारी प्राप्त करने के लिए विचलित करने का दांव उन पर ही उल्टा बैठ जाएगा। 56 हजार 653 पृष्ठ की जानकारी का व्यय भार प्रति पृष्ठ 2 रुपए की दर से 1 लाख 13 हजार 306 रुपए का शुल्क उन्हें स्वयं वहन करना पड़ेगा।
जानकारी देने से बचने अपनाई यह तरकीब
प्रमुख सचिव तक पहुंची अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग ,नपेंगे जन सूचना अधिकारी👇

जनसूचना अधिकारी सहायक अभियंता देवेंद्र आर्मो ने 56 हजार 653 पृष्ठों की जानकारी का व्यय भार प्रति पृष्ठ 2 रुपए की दर से 1 लाख 13 हजार 306 रुपए का शुल्क स्वयं वहन न करना पड़े इसलिए अपने प्रथम अपीलीय अधिकारी कार्यपालन अभियंता निखिल कंवर के आदेश में से इसकी तोड़ निकाली। उन्होंने आवेदक को चाही गई वांक्षित जानकारी वृहद होने का हवाला देकर कार्यालय में उपस्थित होकर अवलोकन /परीक्षण करते हुए प्राप्त करने दिनांक 16 /07/2025 को पत्र लिख डाला। जबकि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत राज्य सूचना आयोग ने कई मर्तबा यह स्पष्ट कर रखा है कि अपीलीय आदेश में दस्तावेजों की संख्या चाहे कितनी भी वृहद हो जनसूचना अधिकारी को अपीलार्थी को उसे निःशुल्क प्रदाय करना होगा। अवलोकन,परीक्षण के नाम पर टालमटोल नहीं किया जा सकता। ऐसा करते पाए जाने वे विधिसम्मत कार्रवाई के पात्र होंगे।बावजूद इसके जनसूचना अधिकारी ने उक्त निर्देशों की परवाह न कर ऐसा कृत्य किया। 550 किलोमीटर दूर जाकर नियमविरूद्ध किए गए पत्राचार के दस्तावेजों की अवलोकन /परीक्षण की जगह अपीलार्थी ने इसकी न केवल राज्य सूचना आयोग के समक्ष द्वितीय अपील प्रस्तुत कर अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है प्रमुख सचिव से भी निलंबन /वेतन वृद्धि रोकने की अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है। जिसमें जांच प्रक्रियाधीन है।
बिलासपुर में अपीलीय अधिकारी सुनवाई तिथि को ही गायब ,प्रकरण की सुनवाई किए बगैर किया निरस्त ,कलेक्टर से हुई शिकायत 👇

अब बात करें न्यायधानी बिलासपुर जिले में तो यहाँ जल जीवन मिशन के तहत स्वीकृत कार्यों में अनियमितता की शिकायत योजना के शुरुआती दिनों से चली आ रही है। लेकिन अबकी बार जो मामला सामने आया है वो हैरान करने वाला है। दंतेवाड़ा को तर्ज पर ही बिलासपुर जिले में भी जल जीवन मिशन में घोर लापरवाही बरती गई। जन सूचना अधिकारी कार्यालय कार्यपालन
अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग,जिला -बिलासपुर
के यहाँ दिनांक 09/05/2025 के माध्यम से विधिवत पृथक पृथक आवेदन प्रस्तुत कर सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 में निहित प्रावधानों के तहत जल जीवन मिशन के सिंगल विलेज स्कीम ,एवं मल्टी विलेज स्कीम के अंतर्गत क्रमशःगुणवत्ता तकनीकी मापदण्डों को लेकर वित्तीय वर्ष 2024 -25 में प्राप्त शिकायत पत्रों,प्राप्त शिकायत पत्रों के आधार पर की गई जांच प्रतिवेदन,स्वीकृत कार्यों के पत्र लेख दिनांक तक की स्थिति में भौतिक /अद्यतन स्थिति,प्रगतिरत कार्यों के एवज में अनुबंधित फर्मों को पत्र लेख दिनांक तक की स्थिति में किए गए भुगतान देयकों ,पत्र लेख दिनांक तक की स्थिति में हर घर जल सर्टिफिकेट पूर्णता प्रमाण पत्र ,कार्यपालन /सहायक अभियंता द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-25 में किए गए निरीक्षण प्रतिवेदन ,कराए गए कार्यों के मूल्यांकन पत्रक ,सहायक अभियंता द्वारा किए गए सत्यापन प्रपत्र की सत्यप्रतिलिपि उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया था। जनसूचना अधिकारी द्वारा उपरोक्त पृथक पृथक आवेदनों के माध्यम से चाही गई वांछित जानकारी प्रदाय किए जाने के संदर्भ में आवेदक को निर्धारित शुल्क जमा करने लेख करने की जगह प्रश्नागत सवाल कर वांक्षित जानकारी प्रदाय नहीं किया गया। उपरोक्त नियमों के प्रतिकूल पत्र व्यवहार को लेकर प्रथम अपीलीय अधिकारी कार्यालय कार्यालय कार्यपालन अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ,जिला -बिलासपुर (छग)के यहाँ पत्र क्रमांक 7369 से 7380 तक पृथक पृथक 12 प्रकरणों के लिए 12 नग विधिवत प्रथम अपील प्रस्तुत कर सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 में निहित प्रावधानों के तहत नियमानुसार वांक्षित जानकारी प्रदाय करने आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया था।
जिसमें पत्र व्यवहार की दूरी 100 किमी से अधिक होने आवेदक के स्थानीय नहीं होने पर आवेदक को प्रकरणों की सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने बाध्य न कर
अपीलीय अधिकारी को नियमानुसार उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर निर्णय पारित करने का उल्लेख किया गया था। लेकिन इसके बावजूद अपीलीय अधिकारी द्वारा उक्त अनुरोध नियमों की अनदेखी कर आवेदक को प्रकरण में सुनवाई हेतु दिनांक 18-07-2025 को उपस्थित होने का लेख किया था।विलंब से उपरोक्त पत्र की प्राप्ति पर अपीलार्थी उपस्थित नहीं हो सका। अपीलीय अधिकारी ने पुनः पत्र क्रमांक 2662 दिनांक 28 /07/2025 के माध्यम से पत्र व्यवहार कर रक्षाबंधन पर्व के ठीक एक दिन पूर्व 08/08/2025 को प्रातः 10 बजे सुनवाई रखी गई । जबकि उपरोक्त समयावधि अपिलार्थी के स्थानीय नहीं होने के फलस्वरूप मितव्ययी नहीं था। नियमानुसार अपीलीय प्रकरणों की सुनवाई 11 बजे से पूर्व नहीं की जाती है । यह व्यवस्था अपीलार्थी को पर्याप्त समयावधि देने के लिए सुनिश्चित की गई है। यही नहीं सुनवाई समयावधि से कम से कम 2 घण्टे विलंब तक आवेदक /अपीलार्थी की उपस्थिति मान्य की जाती है। यह व्यवस्था सिविल कोर्ट तक मे चली आ रही है। उपरोक्त दिनांक को अपीलार्थी ट्रेन से 11 बजकर 25 बजे सम्बंधित कार्यालय में उपस्थित हुआ। लेकिन शाखा लिपिक द्वारा अपीलीय अधिकारी के द्वारा अपीलार्थी की उपस्थिति का इंतजार 11 बजे तक करने के उपरांत चले जाने की बात कही।
चूंकि अपीलीय अधिकारी कार्यपालन अभियंता हर्ष कवीर कोरबा जिले के कटघोरा -उपखण्ड में सहायक अभियंता के पद पर पदस्थ थे, लिहाजा पूर्व परिचित होने पर आवेदक द्वारा अपीलीय अधिकारी श्री हर्ष कवीर को सीधे उनके व्यक्तिगत नंबर पर कॉल कर उनकी उपस्थिति की स्थिति जानना चाहा। उनके द्वारा आवेदक से जो कहा गया हैरान वाला था।उन्होंने कहा कि मैं आपके प्रकरणों की सुनवाई के लिए प्रातः 10 बजे से बैठा था। 11 बजे तक इंतजार किया,फिर निकल गया। आवेदक ने तुरंत उनके इस जवाब पर अंसतुष्टि जताते हुए कही कि आमजनता के लिए 10 बजे किसी भी सरकारी कार्यालय में उपस्थिति की अनिवार्यता नहीं है। ये मित्व्ययी समयावधि नहीं है। कम से कम 11 बजे से सुनवाई शुरू की जाती है ,और 12 बजे तक हर स्थिति में आवेदक ,अपीलार्थी का इंतजार किया जाता है। आपका यह जवाब विधि सम्मत नहीं है। बावजूद उन्होंने आवेदक से कहा कि हम आपसे बहस नहीं करना चाहते मैं तो अपनी सुविधा अनुरूप 10 बजे से ही सुनवाई करता हूँ। अपीलीय अधिकारी ने न अपीलार्थी की उपस्थिति स्वीकार की न ही सुनवाई दिनांक में किस समयावधि तक वे पुनः कार्यालय आ सकते हैं इसको स्पष्ट किया। अपीलार्थी दोपहर 1 बजे तक इंतजार के पश्चात पुनः कोरबा वापस जाने की वजह से वहाँ से वापस आ गया । और उसी दिवस मामले में कलेक्टर के यहाँ अपीलीय अधिकारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई हेतु शिकायत पत्र प्रस्तुत किया। जिसकी प्रतिलिपि विभाग के प्रमुख अभियंता को भी दी गई। इसके बावजूद अपीलीय अधिकारी ने पत्र क्रमांक 2832 दिनांक 14 /08/2025 के माध्यम से अपीलार्थी को पत्र व्यवहार कर अपील आवेदन को खारिज कर दिया है। जिसमें उन्होंने आवेदक /अपीलार्थी को सुनवाई दिनांक में प्रातः 11.30 बजे उपस्थित होने के पश्चात चले जाने की बात का मिथ्या उल्लेख किया। जबकि आवेदक 1 बजे तक उक्त कार्यालय में उपस्थित थे,जिसकी रिकार्डिंग व आवेदक के पास डिजिटल साक्ष्य मौजूद हैं।
नियमों का नहीं ज्ञान या फिर स्वयं नियमों से ऊपर समझने का इल्म !आखिर कहां से मिली इतनी हिम्मत ,कौन दे रहा संरक्षण 👇
आवेदक /अपीलार्थी के प्रथम अपील के प्रकरणों की सुनवाई में उपस्थित नहीं हो पाने की स्थिति में भी अपीलीय अधिकारी को प्रकरण में उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर निर्णय पारित करना रहता है । राज्य सूचना आयोग की द्वितीय सुनवाई में भी यही प्रावधान /व्यवस्था लागू है। ताकि अपीलार्थी को अनावश्यक परेशानी न हो। लेकिन छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर जिले में कार्यालय कार्यपालन अभियंता के पद पर पदस्थ प्रभारी कार्यपालन अभियंता श्री हर्ष कवीर को उक्त नियमों का ज्ञान ही नहीं है ,या फिर उन्होंने स्वतः ही नियमावली का सृजन कर प्रकरणों की सुनवाई किए बगैर उसे खारिज कर दिया। जो न केवल अपीलीय अधिकारी के पद के कर्तव्य के सर्वथा विपरीत है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर इन्हें नियमों के ऐसे माख़ौल उड़ाने की हिम्मत कहाँ से मिल रही, कौन है जो इन्हें इस मनमानी की मौन स्वीकृति प्रदान कर संरक्षण प्रदान कर रहा।
बस्तर से लेकर CM के गृह जिले में भी मनमानी👇
बिलासपुर जिले की तर्ज पर जगदलपुर ,मुख्यमंत्री के गृह जिला जशपुर में भी बिलासपुर जिले की तर्ज पर काम किया गया है। बस्तर जिले में भी अपीलीय अधिकारी ने दस्तावेजों को नजरअंदाज कर मनमाना निर्णय पारित कर अपील प्रकरण खारिज कर दिया। यहाँ जनसूचना अधिकारी को 1 लाख 25 हजार पृष्ठों की जानकारी निःशुल्क देनी थी। इस तरह करीब ढाई लाख का नुकसान स्वयं वहन करना पड़ता। जशपुर जिले में भी जनसूचना अधिकारी को 75 हजार पृष्ठों से अधिक की जानकारी निशुल्क देनी है। डेढ़ लाख रुपए से अधिक की जानकारी निःशुल्क प्रदाय करनी थी।जशपुर जिले के जनसूचना अधिकारी ने 2500 पृष्ठों की एक प्रकरण की जानकारी प्रदाय कर शेष 4 प्रकरणों में 70 हजार से अधिक पृष्ठों की जानकारी आज पर्यंत प्रदान नहीं की।जिससे जन सूचना अधिकारी सहायक अभियंता श्री यू एस पवार की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे।
फर्जी मूल्यांकन,सत्यापन का खेला!

विश्वस्त सूत्रों की मानें तो लक्ष्य पूर्ति की आड़ में स्वीकृत कार्यों में तेजी लाने प्राक्कलन अनुरूप गुणवत्तापूर्ण कार्य न कर दफ्तर में बैठे उप अभियंता सिंगल एवं मल्टी विलेज स्कीम के कार्यों का मूल्यांकन कर रहे। एसडीओ भी बिना भौतिक सत्यापन किए फर्मों को भुगतान कर रहे। कहीं हो भी रहा है तो दफ्तर में बैठे मूल्यांकन हो रहा। विधानसभा तक मे जल जीवन मिशन के कार्यों के प्रगति ,गुणवत्ता ,संचालन को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सरकार को घेरा था। यही वजह है कि अब लगभग हर जिले से दस्तावेज देने टालमटोल रवैया अपनाया जा रहा। जो उन्हीं के लिए मुसीबत बनने वाला है।