CG :जल जीवन मिशन के कार्यों में भ्रष्टाचार !अपीलीय आदेश के बावजूद 1 लाख 13 हजार रुपए के दस्तावेज दबाना पीएचई के एसडीओ को पड़ा भारी,ईएनसी कार्यालय ने दिए यह आदेश ,कार्रवाई की भी लटकी तलवार !

0 बिना सत्यापन फर्मों को भुगतान ,कार्रवाई की ख़ौफ में पीएचई के अफसरों ने दबाए दस्तावेज

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज दंतेवाड़ा । जल जीवन मिशन के स्वीकृत कार्यों में बरती गई अनियमितता छुपाने की नीयत से अपीलीय अधिकारी के आदेश के बावजूद 56 हजार 653 पृष्ठों ( 1 लाख 13 हजार 306 रुपए )की जानकारी
(दस्तावेज) अपीलार्थी को निःशुल्क देने के आदेशों की अवहेलना कर नियम विरुद्ध पत्राचार कर जानकारी दबाए बैठे दंतेवाड़ा जिले के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई ) विभाग के जन सूचना अधिकारी सहायक अभियंता देवेंद्र आर्मो को भारी पड़ सकता है। अपीलार्थी के लिखित शिकायत पर कार्यालय प्रमुख अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में पदस्थ कार्यपालन अभियंता एम.के.मिश्रा ने मिशन संचालक जल जीवन मिशन के जन सूचना अधिकारी को पत्र लेखकर आवेदक को जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।साथ ही अनुशानहीनता पर सम्बंधितों पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है।

हर घर नल ,हर घर जल के नारों के साथ केंद्र शासन जहाँ देश के हर घरों में शुद्ध जलापूर्ति की कवायद में जुटी है। योजना तमाम विसंगतियों ,चुनौतियों की वजह से योजना की मियाद लक्ष्य से 4 साल आगे मार्च 2028 तक बढ़ गई है। वहीं छत्तीसगढ़ में इस योजना को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई ) के अफसरों ने नियम कायदों को ताक पर रखकर इस कदर सेंध पहुंचाई है कि योजना से जुड़े दस्तावेजों को सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई ) के तहत भी आवेदकों को साझा करने
ख़ौफजदा हैं। बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित सुदूर वनांचल दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा जिले में जल जीवन मिशन के कार्यों में व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरते जाने की शिकायत मिल रही है थी। कार्यों का मनमाना मूल्यांकन ,पाइपलाइन,नल कनेक्शन में गुणवत्ताहीन सामाग्रियों को प्रयुक्त करने से लेकर एसडीओ के सत्यापन के बिना फर्मों को भुगतान की बातें विश्वसनीय सूत्रों से मिलती रही हैं। जिसको लेकर जल जीवन मिशन के सिंगल विलेज स्कीम के तहत स्वीकृत कार्यों के भौतिक अद्यतन स्थिति,प्रगतिरत कार्यों के एवज में अनुबंधित फर्मों को किए गए भुगतान देयक ,कार्यपालन अभियंता /सहायक अभियंता द्वारा 2024 -25 में किए गए निरीक्षण प्रतिवेदन ,2024 -25 में कराए गए कार्यों के मूल्यांकन पत्रक एवं सहायक अभियंता द्वारा किए गए सत्यापन पपत्र की सत्यप्रतिलिपि मांगी गई थी। लेकिन जन सूचना अधिकारी द्वारा उपरोक्त दस्तावेज कुल 56 हजार 653 पृष्ठ में होने की जानकारी आवेदक को देकर 1 लाख 13 हजार 306 रुपए का शुल्क जमा करने पत्राचार किया। लेकिन जन सूचना अधिकारी सहायक अभियंता (एसडीओ)को निर्धारित मियाद 30 दिवस के उपरांत 31 वें दिवस में पत्राचार करना भारी पड़ गया। आवेदक ने उक्त नियमों के प्रतिकूल पत्र को प्रथम अपील में चुनौती दी। जिसे प्रथम अपीलीय अधिकारी कार्यपालन अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ,जिला -दक्षिण बस्तर दन्तेवाड़ा ने दिनांक 07 /07/2025 को गूगल मीट के माध्यम से आयोजित सुनवाई में स्वीकार कर जनसूचना अधिकारी को एक सप्ताह के भीतर उपरोक्त जानकारी अपीलार्थी को निःशुल्क उपलब्ध कराने का आदेश पारित किया था। जन सूचना अधिकारी के लिए यह आदेश किसी झटके से कम नहीं था,उन्होंने इसकी तनिक भी कल्पना नहीं की थी कि उनका वृहद शुल्क का लेखकर आवेदक को जानकारी प्राप्त करने के लिए विचलित करने का दांव उन पर ही उल्टा बैठ जाएगा। 56 हजार 653 पृष्ठ की जानकारी का व्यय भार प्रति पृष्ठ 2 रुपए की दर से 1 लाख 13 हजार 306 रुपए का शुल्क उन्हें स्वयं वहन करना पड़ेगा।

👉जानकारी देने से बचने अपनाई यह तरकीब

जनसूचना अधिकारी सहायक अभियंता देवेंद्र आर्मो ने 56 हजार 653 पृष्ठों की जानकारी का व्यय भार प्रति पृष्ठ 2 रुपए की दर से 1 लाख 13 हजार 306 रुपए का शुल्क स्वयं वहन न करना पड़े इसलिए अपने प्रथम अपीलीय अधिकारी कार्यपालन अभियंता निखिल कंवर के आदेश में से इसकी तोड़ निकाली। उन्होंने आवेदक को चाही गई वांक्षित जानकारी वृहद होने का हवाला देकर कार्यालय में उपस्थित होकर अवलोकन /परीक्षण करते हुए प्राप्त करने दिनांक 16 /07/2025 को पत्र लिख डाला। जबकि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत राज्य सूचना आयोग ने कई मर्तबा यह स्पष्ट कर रखा है कि अपीलीय आदेश में दस्तावेजों की संख्या चाहे कितनी भी वृहद हो जनसूचना अधिकारी को अपीलार्थी को उसे निःशुल्क प्रदाय करना होगा। अवलोकन,परीक्षण के नाम पर टालमटोल नहीं किया जा सकता। ऐसा करते पाए जाने वे विधिसम्मत कार्रवाई के पात्र होंगे।बावजूद इसके जनसूचना अधिकारी ने उक्त निर्देशों की परवाह न कर ऐसा कृत्य किया। 550 किलोमीटर दूर जाकर नियमविरूद्ध किए गए पत्राचार के दस्तावेजों की अवलोकन /परीक्षण की जगह अपीलार्थी ने इसकी न केवल राज्य सूचना आयोग के समक्ष द्वितीय अपील प्रस्तुत कर अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है । प्रमुख सचिव से भी निलंबन /वेतन वृद्धि रोकने की अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की गई थी।

👉कार्यालय मिशन संचालक को दिए जांच,जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश

प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए
कार्यालय प्रमुख अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में पदस्थ कार्यपालन अभियंता एम.के .मिश्रा ने कार्यालय मिशन संचालक जल जीवन मिशन के जन सूचना अधिकारी को पत्र लेखकर आवेदक को जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।साथ ही अनुशानहीनता पर सम्बंधितों पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है।

👉फर्जी मूल्यांकन,सत्यापन का खेला!

विश्वस्त सूत्रों की मानें तो लक्ष्य पूर्ति की आड़ में स्वीकृत कार्यों में तेजी लाने प्राक्कलन अनुरूप गुणवत्तापूर्ण कार्य न कर दफ्तर में बैठे उप अभियंता सिंगल एवं मल्टी विलेज स्कीम के कार्यों का मूल्यांकन कर रहे। एसडीओ भी बिना भौतिक सत्यापन किए फर्मों को भुगतान कर रहे। कहीं हो भी रहा है तो दफ्तर में बैठे मूल्यांकन हो रहा। विधानसभा तक मे जल जीवन मिशन के कार्यों के प्रगति ,गुणवत्ता ,संचालन को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सरकार को घेरा था। यही वजह है कि अब लगभग हर जिले से दस्तावेज देने टालमटोल रवैया अपनाया जा रहा। जो उन्हीं के लिए मुसीबत बनने वाला है।