कोरबा। कोरबा जिला के अनेक पंचायतों में विकास कम राजनीति ज्यादा हावी है। प्रदेश पंचायत सचिव संघ छत्तीसगढ़ की कोरबा जिला इकाई सचिवों के संबंध में होने वाली शिकायतों और मामले सामने आने पर की जारी रही प्रशासनिक कार्रवाई तथा तबादला को अनुचित ठहराते हुए आंदोलन के मूड में है। जिला अध्यक्ष जयपाल सिंह कंवर ने 13 अक्टूबर को आंदोलन का ऐलान किया था लेकिन इसे अब खिसका कर 15 अक्टूबर कर दिया गया है। कोरबा जिले से स्थानांतरित किए गए उपसंचालक पंचायत मोहनीश को भारमुक्त करने की मांग इन्होंने पुरजोर से की है।

इस बार कलेक्टर को सौंपे आवेदन में इनका आरोप है कि जिला पंचायत मे प्रभारी उप संचालक मोहनीश आनंद देवांगन का स्थानान्तरण पिछले माह सूरजपुर जिला पंचायत में हो गया है, स्थानांन्तरण होने के बाद भी मोहनीश आनंद देवांगन पद पर बने हुये हैं। इनके द्वारा स्थानांतरण होने के बाद से सचिवों का स्थानांन्तरण मनमाने तरीके से नियम विरूद्ध किया गया है जिससे हम सभी सचिव साथी मानसिक रूप् से प्रताड़ित हो रहे हैं। इनके अल्प कार्यकाल में कोरबा जिला के अनेक ब्लाको से चिन्हांकित कर सचिवों का स्थानांतरण किया गया। इनके इस तरह के गतिविधि से त्रस्त होकर सचिव संगठन जिला कोरबा इनको अविलम्व कोरबा जिला से भारमुक्त करने की मांग करता है। भारमुक्त नहीं करने की स्थिति में सचिव संगठन द्वारा 15 अक्टूबर को एक दिवसीय सांकेतिक हड़ताल किया जायेगा जिसकी सम्पूर्ण जवाबदारी जिला प्रशासन की होगी।कलेक्टर से निवेदन किया गया है कि मोहनीश आनंद देवांगन, प्रभारी उप संचालक जिला पंचायत कोरबा को तत्काल भारमुक्त करने की कृपा करें।
👉संघ की मंशा पर सवाल,जूली के लिए क्यों नहीं किए आंदोलन..?

पंचायत सचिव संघ जिला इकाई के द्वारा दिए गए इस पत्र के बाद सचिवों में ही इस बात को लेकर बात तैर रही है कि आखिर मोहनीश देवांगन को लेकर सचिव संघ इतना परेशान क्यों है, जबकि इससे पहले पदस्थ रहीं सुश्री जूली तिर्की को तबादला होने के कई महीने बाद भी रिलीव नहीं किया गया था और वह तबादला अवधि में ही यहां रहकर चुनाव का निपटारा तक करा दीं। उस वक्त पंचायत सचिव संघ की जिला इकाई आखिर कहां थी? क्या सचिव संघ इस तरह के दोहरे मापदंड का रवैया अपनाता है कि एक अधिकारी के तबादला उपरांत भी महीनों तक जमे रहने पर आवाज नहीं उठाता और वर्तमान प्रभारी संचालक जिसे कि भार मुक्त करना प्रशासन का काम है, उसे लेकर हड़ताल और दबाव बनाने की राजनीति हो रही है। आखिर, इस सब के पीछे सचिव संघ की मंशा क्या है या फिर कुछ पदाधिकारी मिलकर दबाव बनाने की रणनीति में विश्वास रखते हैं…!