कोरबा। गेवरा और कुसमुंडा क्षेत्र के भूविस्थापितों ने दीवाली के समय भी एसईसीएल गेवरा क्षेत्र के भिलाई बाजार के पास और कुसमुंडा मुख्यालय पर धरना जारी रखा है। वे अधिग्रहित भूमि के एवज में लंबित रोजगार,प्रत्येक छोटे खातेदार को रोजगार देने और प्रत्येक विस्थापितों को बसावट की मांग कर रहे हैं। जिन लोगों ने अपनी जमीन देकर देश-दुनिया को रोशन करने का काम किया और कोरबा जिले को ऊर्जाधानी के रूप में पहचान दिलाई, आज वही परिवार रोजगार के लिए भटक रहे हैं। आक्रोशित भूविस्थापितों ने एसईसीएल के मुख्यालयों पर दीप जलाकर विरोध प्रकट किया और एसईसीएल के दमन और तानाशाही के खिलाफ 23 अक्टूबर को गेवरा खदान बंद करने का ऐलान किया है।

इस दीवाली पर भू विस्थापितों ने मुख्यालय गेट पर दीप जलाकर शोषण के खिलाफ अपने संघर्ष को तेज करने का संकल्प लिया। कुसमुंडा मुख्यालय के सामने दीप जलाने वालों में प्रमुख रूप से दामोदर श्याम,रेशम यादव, होरी, कृष्णा और गेवरा मुख्यालय में दीपक साहू,रमेश दास,गुलाब दास, प्रशांत झा,बिमल दास ,पवन,प्रकाश,हीरा सिंह,सतीश,कैलाश,देवलाल चंद्रा,रदेशयम,पवन के साथ बड़ी संख्या में भूविस्थापित किसान उपस्थित थे।
एसईसीएल गेवरा प्रबंधन द्वारा नव सूत्रीय मांगों को अनसुना करते हुए,भारी विरोध के बावजूद पुलिस और प्रशासन की मदद से बंदूक के नोक पर जबरन खदान विस्तार का काम शुरू किया है जिसके विरोध में 23 अक्टूबर को गेवरा खदान बंद की घोषणा छत्तीसगढ़ किसान सभा ने की है और प्रत्येक छोटे खातेदारों को एकजुट होकर आंदोलन में शामिल होने की अपील की है।
किसान सभा के जिला सचिव दीपक साहू ने कहा कि प्रत्येक छोटे खातेदार को रोजगार देने और प्रत्येक विस्थापितों को बसावट के साथ कई नव सूत्रीय मांग की गई है उन पर कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है इसके उलट, ग्रामीणों पर दबाव बनाने और उन्हें डराने-धमकाने का काम किया जा रहा है, प्रशासन का सहारा लेकर बंदूक की नोंक पर खदान विस्तार का काम किया जा रहा है जिसका किसान सभा विरोध करती है।
गेवरा खदान से प्रभावित भूविस्थापित मांग करते हैं कि प्रशासन तुरंत इस जबरन खोदाई को रोके और उनकी मांगों पर तत्काल सकारात्मक निर्णय ले।