मरवाही। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आईपीएस अधिकारी रतनलाल डांगी पर लगे आरोपों के संदर्भ में सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि सरकार किसी भी अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ लगे आरोपों की निष्पक्ष जांच कराएगी। उन्होंने साफ कहा कि चाहे कोई भी अधिकारी हो, अगर आरोप लगे हैं तो जांच होगी, और अगर जांच में आरोप सही पाए जाते हैं, तो निश्चित ही कार्रवाई होगी।

मरवाही दौरे के दौरान पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने यह बात कही। दरअसल, एक सब इंस्पेक्टर की पत्नी ने 2003 बैच के आईपीएस अधिकारी रतनलाल डांगी पर बीते 7 सालों से उत्पीड़न का आरोप लगाया है। पीड़िता ने अपनी शिकायत में कई आपत्तिजनक डिजिटल साक्ष्य भी प्रस्तुत किए हैं। मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस विभाग ने जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी है। शिकायत के अनुसार, पीड़िता की रतनलाल डांगी से पहचान वर्ष 2017 में तब हुई थी जब वे कोरबा एसपी के पद पर थे। शुरुआती बातचीत सोशल मीडिया के माध्यम से हुई, जिसके बाद संपर्क बढ़ता गया। आरोप है कि डांगी की दंतेवाड़ा और राजनांदगांव में पदस्थापना के दौरान भी बातचीत जारी रही। महिला का आरोप है कि जब रतनलाल डांगी सरगुजा और बाद में बिलासपुर आईजी बने, तब से उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ती चली गईं। पीड़िता ने यह भी कहा कि रतनलाल डांगी अपनी पत्नी की अनुपस्थिति में उसे बंगले पर बुलाते थे।
👉आईपीएस डांगी की डीजीपी को चिट्ठी
दूसरी ओर, आईपीएस रतनलाल डांगी ने भी डीजीपी अरुण देव गौतम को एक चिट्ठी लिखकर पूरे घटनाक्रम का 14 बिंदुओं में ब्यौरा दिया है। उन्होंने इस पत्र में आरोप लगाने वाली महिला और उसके सहयोगियों पर ब्लैकमेलिंग, मानसिक प्रताड़ना और आपराधिक धमकी जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।
👉दो वरिष्ठ IPS अधिकारियों को सौंपी गई जांच
विभाग ने मामले की जांच की जिम्मेदारी 2001 बैच के आईपीएस डॉ. आनंद छाबड़ा और आईपीएस मिलना कुर्रे को सौंपी है। दोनों अधिकारी जल्द ही तथ्यों की जांच कर अपनी रिपोर्ट विभाग को सौंपेंगे, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।