दिल्ली। दुनिया की शीर्ष 4 अंतरिक्ष शक्ति में शुमार हो चुके भारत ने आज एक और इतिहास रच दिया. भारत ने आज अपने सबसे भारी संचार उपग्रह सीएमएस-03 (CMS-03) को अंतरिक्ष में लॉन्च किया.
उपग्रह को भारत में विकसित सबसे ताकतवर रॉकेट एलवीएम3 (LVM3) के जरिए अंतरिक्ष में भेजा गया. भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक इस रॉकेट को प्यार से ‘बाहुबली’ कहते हैं. यह लॉन्च न केवल भारत की तकनीकी क्षमता का प्रतीक है, बल्कि इसके जरिए भारत ने एक बार फिर यह साबित किया कि अब वह भारी उपग्रहों को भी अपने दम पर अंतरिक्ष में भेजने में पूरी तरह सक्षम है.
👉भारत का अब तक का सबसे भारी उपग्रह
सीएमएस-03 का वजन करीब 4410 किलोग्राम है. यह अब तक भारत से छोड़ा गया सबसे भारी संचार उपग्रह है. यह उपग्रह जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में भेजा गया. जहां से यह भारत सहित आस-पास के समुद्री क्षेत्रों में संचार सेवाएं उपलब्ध कराएगा.
यह उपग्रह कई बैंडों में काम करेगा. इससे दूरसंचार, मौसम निगरानी और समुद्री क्षेत्रों में संपर्क बनाए रखने की भारत की क्षमताएं बढ़ेंगी.
👉’बाहुबली’ रॉकेट की ताकत’

इस सैटेलाइट को जिस ‘बाहुबली’ एलवीएम3 रॉकेट के जरिए भेजा गया. उसे जीएसएलवी मार्क 3 भी कहा जाता है. यह अब तक बना इसरो का सबसे शक्तिशाली स्पेस लॉन्चिंग व्हीकल है. यह रॉकेट करीब 43.5 मीटर ऊंचा है और तीन चरणों में काम करता है.
इसमें दो ठोस मोटर बूस्टर (S200), जो रॉकेट को शुरुआती फोर्स प्रदान करते हैं. इसमें तरल ईंधन वाला कोर स्टेज (L110) लगा है, जिसे विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में विकसित किया गया है. वहीं इसमें क्रायोजेनिक स्टेज (C25), इसे मिशन के अंतिम चरण में सैटेलाइट को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने में मदद करता है.
यह वही रॉकेट है जिसने चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक चांद तक पहुंचाया था. यह ‘बाहुबली’ रॉकेट भारत की संचार तकनीक को लगातार नई ऊंचाई दे रहा है.
👉भारत ने क्यों लॉन्च किया ये मिशन?
इसरो के अनुसार, इस मिशन का मुख्य उद्देश्य भारत के दूरस्थ और समुद्री इलाकों में बेहतर संचार सेवाएं उपलब्ध कराना है. सीएमएस-03 उपग्रह भारत के डिजिटल नेटवर्क को और मजबूत बनाएगा, जिससे रक्षा, आपदा प्रबंधन और नागरिक संचार प्रणालियों को गति मिलेगी.
इस सैटेलाइट लॉन्चिंग के जरिए भारत की आत्मनिर्भरता नीति और मजबूत होगी. साथ ही अब देश को भारी उपग्रहों के लिए विदेशी लॉन्च सेवाओं पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा.
👉भारत की अंतरिक्ष यात्रा का अगला पड़ाव
एलवीएम3 एम5 की यह उड़ान रॉकेट की पांचवीं परिचालन उड़ान है. हर उड़ान के साथ इसरो नई तकनीकें और अधिक सटीकता हासिल कर रहा है. आज का दिन भारत की वैज्ञानिक क्षमता का नया प्रतीक भी बना है. जो दिखा रहा है कि देश अब केवल अंतरिक्ष की दौड़ में शामिल नहीं, बल्कि अपनी राह खुद बना रहा है.
