CG : साय सरकार में बस्तर संभाग के कलेक्टर बने भ्रष्टाचार की ढाल !आदिवासी विकास विभाग में सामाग्री खरीदी , मरम्मत ,निर्माण कार्यों में अनियमितता की जांच साढ़े 3 माह से लटकाया,3 दिन में मांगी गई थी प्रतिवेदन ,मनमानी पर एक्शन लेगी सरकार या कलेक्टर सरकार पर भारी !….

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सुकमा जिले से यह मिला जवाब ,आदिवासी विकास विभाग से जुगलबंदी के आसार

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज रायपुर-दंतेवाड़ा/बीजापुर/सुकमा/नारायणपुर । जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही छत्तीसगढ़ की साय सरकार की मंशा पर बस्तर संभाग के कलेक्टर पानी फेरने में लगे हैं। भ्रष्टाचार के मामलों की उच्च अधिकारी के आदेश पर जांच की बजाय उन्हें संरक्षण देकर उनकी ढाल बने हुए हैं। नारायणपुर ,दंतेवाड़ा ,बीजापुर ,
सुकमा एवं सरगुजा जिले में कार्यालय सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग द्वारा जिला खनिज संस्थान न्यास (डीएमएफटी ),सामाग्री आपूर्ति मद ,संविधान के अनुच्छेद 275 (1) केंद्रीय मदान्तर्गत समेत अन्य मदों से प्राप्त फंड में क्रय (खरीदे ) सामाग्री ,मरम्मत तथा निर्माण कार्यों में अनियमितता को लेकर मीडिया में प्रमुखता से प्रकाशित खबरों को लेकर शासन की हो रही फजीहत से चिंतित अपर संचालक आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास नवा रायपुर अटल नगर ने संबंधित जिलों के कलेक्टरों को 18 जुलाई को पत्र जारी कर अनियमितता के संबंध में 3 दिवस के भीतर जांच कर प्रतिवेदन मांगा था। लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहें कि संबंधित जिलों ने साढ़े 3 माह बाद भी जांच प्रतिवेदन नहीं भेजा।आरटीआई से इसका खुलासा हुआ है। जो न केवल कलेक्टरों की मनमानी वरन शासन की छवि को जनमानस के बीच धूमिल करने जैसा कृत्य है।

गौरतलब हो कि अपर संचालक आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास नवा रायपुर अटल नगर द्वारा कलेक्टरों को जारी पत्र में छ.ग. शासन आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग मंत्रालय महानदी भवन ,नवा रायपुर अटल नगर का पत्र क्र.एफ 3 -16 /2025/25-1नवा रायपुर अटल नगर का दिनांक 18.07.2025 को जारी पत्र का संदर्भ दिया गया है। जिसमें कार्याकय सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग द्वारा प्रदेश के 5 जिलों नारायणपुर ,दंतेवाड़ा ,बीजापुर ,सुकमा एवं सरगुजा में जिले के छात्रावास /आश्रमों में सामाग्री क्रय ,मरम्मत एवं निर्माण कार्य में अनियमितता संबंधी मीडिया में प्रकाशित शिकायत के संदर्भ में शासन द्वारा जांच प्रतिवेदन चाहे जाने का उल्लेख था।


लिहाजा 3 दिवस के भीतर शिकायत की जांच कर प्रतिवेदन मांगा गया था। लेकिन जिसका डर था वही हुआ। विभाग ने जहाँ पत्र जारी कर औपचारिकता का निर्वहन किया। वहीं हमेशा की तरह इन जिलों के कलेक्टरों ने जांच प्रतिवेदन तक न भेजकर मनमानेपन की सारी हदें पार कर दी है। कार्यालय आयुक्त आदिम जाति कल्याण विकास विभाग के यहाँ सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत उपरोक्त जांच के संदर्भ में जांच प्रतिवेदन मांगे जाने पर 23 अक्टूबर को प्रेषित जवाब से इसकी पुष्टि हुई है।

👉जांच प्रतिवेदन आज पर्यन्त अप्राप्त ,मनमानेपन की इंतिहां ….

जिसमें उपायुक्त आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास द्वारा जनसूचना अधिकारी मुख्यालय इंद्रावती भवन ,नवा रायपुर,अटल नगर (छ.ग.) को दिनांक
15 /10/2025
को प्रेषित जवाब में नारायणपुर,बीजापुर ,दंतेवाड़ा एवं सुकमा जिला -कलेक्टर से शिकायत की जांच प्रतिवेदन अप्राप्त होने की जानकारी दी गई है। उक्त पत्र के आधार पर आवेदक को विभाग ने जांच प्रतिवेदन की अद्यतन स्थिति से अवगत करा दिया है ।उच्च अधिकारी व उच्च कार्यालय के जांच आदेश की अवेहलना करना कहीं न कहीं कलेक्टरों को मनमानी करने की दी गई खुली छूट का प्रमाण है।

👉कहीं जुगलबंदी तो नहीं ! प्रभारी सहायक आयुक्त के भरोसे चारों जिले

साय सरकार में प्रभार वाली प्रथा व्यवस्थाओं पर भारी पड़ रही है । आदिवासी विकास विभाग भी इसका प्रमाण है । बहुचर्चित दंतेवाड़ा ,बीजापुर ,नारायणपुर समेत सुकमा जिले में सहायक आयुक्त जैसे जिम्मेदार व बड़े पद पर सहायक संचालकों की प्रभारी सहायक आयुक्त के रूप में पदस्थापना की गई है। इनमें,दंतेवाड़ा व बीजापुर जिले हाल ही के वर्षों में बेहद चर्चित रहे हैं। दोनों जिलों में डीएमएफ ,संविधान के अनुच्छेद 275 (1 ) मद ,सामाग्री पूर्ति मद में दर्जनों शिकायतें हैं। कुछ में जांच हुई है तो कुछ की जांच लंबित है। ऐसे में इन दोनों जिलों में पूर्णकालिक अधिकारी की पदस्थापना की जानी चाहिए जिन्हें विभाग के कार्यों का पूरा अनुभव हो पर अभी विभाग के कामकाज की बारीकियां सीख रहे प्रभारी सहायक आयुक्त व्यवस्था पर भारी पड़ रहे हैं। विश्वस्त सूत्रों की मानें उच्च अधिकारियों के विशेष आशीर्वाद से चारों जिलों में सुनियोजित ढंग से प्रभारी सहायक आयुक्तों की पदस्थापना की गई है। वहीं विश्वस्त सूत्रों की ही मानें तो कलेक्टरों के साथ इनकी जुगलबंदी भ्रष्टाचार के प्रकरणों में जांच की फाइल आगे नहीं बढ़ने दे रही।

👉कार्रवाई की दरकार ,क्या सुध लेगी साय सरकार

उपरोक्त कृत्य प्रशासनिक जवाबदेहिता के विपरीत कार्य व्यवहार , घोर अनुशासनहीनता को प्रदर्शित करता है। जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही साय सरकार के मंशा के विपरीत यह कार्य व्यवहार विभाग की विश्वनीयता पर सवाल खड़े करता है।अब सवाल ये है कि क्या साय सरकार संबधितों पर कार्रवाई कर नजीर पेश करेगी या फिर अफसरों को मनमानी की खुली छूट मिलेगी। कायदे से सरकार को चारों अनुशासनहीन कलेक्टरों से लेकर प्रभारी सहायक आयुक्त की संबधित जिलों से छुट्टी कर नजीर पेश करनी चाहिए।

👉फर्जी टेंडर मामले में 2 माह जेल में निरुद्ध रहने के बाद अफसर जमानत पर हुए रिहा

गौरतलब हो बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिले में हाल ही 5 साल के दौरान 18 करोड़ के कार्यों के फर्जी टेंडर विज्ञापन प्रकाशन के मामले में दो तत्कालीन सहायक आयुक्त आनंद जी सिंह एवं सेवानिवृत्त सहायक आयुक्त कल्याण सिंह मेश्राम 2 माह जेल की हवा खाकर बीते माह ही जमानत पर रिहा हुए हैं।

👉दंतेवाड़ा -बीजापुर जिले में 33 करोड़ के कार्यों की जांच की दरकार

दंतेवाड़ा जिले में इस साल भी डीएमएफ से स्वीकृत 15 करोड़ रुपए से अधिक के कार्यों में प्रभारी सहायक आयुक्त राजीव नाग के कार्यकाल में भी मनमानी बरती गई है। जिससे जुड़ी जानकारी वे आरटीआई तक में देने की बजाय दबाए बैठे हैं । यूँ कहें पूर्व के अफसरों की राह पर ही चल पड़े हैं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। वहीं बीजापुर में संविधान के अनुच्छेद 275 (1) मद अंर्तगत वित्तीय वर्ष 2021
-22 एवं 2022 -23 में 8 करोड़ तो डीएमएफ में 10 करोड़ की कुल 18 करोड़ रुपए के कार्य तत्कालीन सहायक आयुक्त (वर्तमान सेवानिवृत्त )कल्याण सिंह मसराम व अन्य के कार्यकाल में कराए गए हैं। जिसमें अनियमितताओं की शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय तक किए जाने शासन के जांच आदेश के बावजूद जांच आज पर्यन्त अटकी है।हैरानी की बात तो यह है कि कांग्रेस शासनकाल में स्वीकृत फंड व कराए गए कार्यों में अनियमितता की जांच भाजपा सरकार नहीं करा पा रही है। जिससे कई तरह के सवाल उठ रहे।