हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कांकेर-बालोद । कोरोनाकाल में आपदा को अवसर बनाकर DMF से सामाग्रियों ,चिकित्सा उपकरणों के लिए स्वीकृत 11 करोड़ रुपए से अधिक की शासकीय धनराशि का बंदरबाट करने वाले अधिकारी कर्मचारी पर जीरो टॉलरेंस की नीति का दंभ भरने वाली डबल इंजन की सरकार मेहरबान है। और मेहरबानी ऐसी की अधिकारी कर्मचारियों के अनियमिताओं की कलेक्टर के जांच प्रतिवेदन में पुष्टि हो जाने के बाद भी प्रमुख सचिव ,मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच चुकी दस्तावेजी शिकायतों के बाद भी कार्रवाई नहीं हो सकी। उल्टे दोषी अफसर को DMF वाले जिले में दूसरी बार पोस्टिंग दे दी गई है। राज्य एवं केंद्र शासन के संरक्षण के बाद सरकार की कथनी और करनी पर गंभीर सवाल उठ रहे।

मामला उत्तर बस्तर-कांकेर जिले का है। पूर्ववर्ती कांग्रेस शासनकाल में कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला -उत्तर बस्तर -कांकेर को डीएमएफ से वित्तीय वर्ष 2021 -22 एवं 2022 -23 में विभिन्न 14 कार्यों के लिए कोरोनाकाल में उच्च प्राथमिकता के सेक्टर होने के नाते कुल 18 करोड़ 85 लाख 49 हजार 817 रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई थी। इनमें वित्तीय वर्ष 2021 -22 के कुल 10 कार्यों के लिए 7 करोड़ 28 लाख 55 हजार 3 रुपए एवं वित्तीय वर्ष 2022 -23 में 4 कार्यों के लिए 1 करोड़ 56 लाख 94 हजार 787 रुपए की स्वीकृति प्रदान की गई थी । जिसमें 11 करोड़ रुपए से अधिक के आबंटन में सामाग्रियों ,चिकित्सा उपकरणों में अनियमितता की मिल रही शिकायतों पर प्रमुख सचिव महोदय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय छत्तीसगढ़ शासन को दिनांक 25 सितंबर 2023 को व्यापक लोकहित में जांच का अनुरोध किया गया था ।
जिसकी प्रतिलिपि कमिश्नर (आयुक्त)बस्तर संभाग ,जगदलपुर ,जिला -बस्तर को भी दी गई थी। कमिश्नर कार्यालय से दिनांक 09 .10 .2023 को कलेक्टर कांकेर को प्रकरण की निर्धारित मियाद में जांच का आदेश दिया गया था। कार्यालय कलेक्टर जिला उत्तर बस्तर कांकेर (छ.ग.)ने पत्र क्रमांक 9351 दिनांक 16 .11.2023 को कार्यालय जिला खनिज संस्थान न्यास के सचिव सह जिला पंचायत सीईओ को संयुक्त जांच दल गठित कर प्रकरण में जांच प्रतिवेदन भेजने के निर्देश दिए थे। संयुक्त जांच दल में लेखाधिकारी जिला पंचायत ,सहायक परियोजना अधिकारी शिक्षा एवं स्थापना एवं महाप्रबंधक जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र शामिल थे। संयुक्त जांच दल ने प्रकरण की जांच कर डीएमएफ अन्तर्गत क्रय किए गए उपकरणों एवं अन्य सामाग्रियों का नियमानुसार क्रय किए जाने हेतु निर्धारित मापदंड एवं गुणवत्ता के संबंध में जांच प्रतिवेदन कार्यालय कलेक्टर जिला खनिज संस्थान न्यास निधि जिला -उत्तर -बस्तर -कांकेर (छग) को दिनांक 22 /12 /2023 को जांच प्रतिवेदन सौंप दिया था। लेकिन प्रकरण की जांच प्रतिवेदन में विस्तृत विवेचना में किस तरह की कमी पाई गई तथा तत्समय में पदस्थ किस अधिकारी के द्वारा आबंटन के विरुद्ध व्यय किया गया ,उसके नाम और उनके विरुद्ध कार्यवाही का प्रस्ताव नहीं था । लिहाजा कमिश्नर बस्तर संभाग जगदलपुर ने पुनः पत्र क्रमांक 3809 दिनांक 23 .01 .2024 के माध्यम से उपरोक्त कमियों की पूर्ति कर अभिमत सहित जांच प्रतिवेदन मांगा था। जिसके तहत कार्यालय कलेक्टर जिला -उत्तर -बस्तर कांकेर (छ.ग. )के कमिश्नर बस्तर संभाग -जगदलपुर को अभिमत सहित प्रेषित जांच प्रतिवेदन ने महकमे में खलबली मचा दी थी ।
यह पाई गई खामियां 👇



👉1 . 11 लाख 20 हजार की लागत से क्रय किए गए 01 नग पोर्टेबल एक्स -रे मशीन के क्रय आदेश की प्रति नहीं पाई गई । कोविड -19 महामारी /प्राकृतिक आपदा का हवाला देते हुए सीधे क्रय किया गया है ,लेकिन दस्तावेजों के परीक्षण में पाया गया कि जिस वेंडर से सामाग्री खरीदी गई उसे सक्षम अधिकारी द्वारा क्रय आदेश जारी ही नहीं किया गया है ।
👉2 .जिला -चिकित्सालय कांकेर में 11 करोड़ 54 लाख रुपए की लागत से M.R.I. मशीन की स्थापना की गई । दस्तावेजों के परीक्षण में खामियां पाई गई। जेम से एक निविदाकार ने सफलतापूर्वक निविदा में क्वालिफाई किया,चूंकि एक ही ने क्वालीफाई किया इसलिए सक्षम अधिकारी द्वारा द्वारा एक मूल्यांकन समिति का गठन कर L -1 द्वारा प्रस्तुत कोटेशन दर की समीक्षा किया जाना था तदोपरांत क्रय आदेश जारी किया जा सकता था ,जो नहीं कराया गया।
👉3 .न्यू डेडिकेटेड कोविड -19 अस्पताल ईमलीपारा में 49 लाख 29 हजार 200 रुपए की लागत से ऑक्सीजन पाइप लाईन का कार्य कराया गया है । इसी तरह ऑक्सीजन जनरेटर प्लांट से अस्पताल भवन तक पाइप लाइन तथा 30 बेड ऑक्सीजन पाइप लाइन 6 लाख 89 हजार का कार्य कराया गया है। जिस फर्म को कार्य आदेश जारी किया गया है उसका समान प्रकृति का कार्य पूर्व में किए जाने का अनुभव प्रमाण पत्र संलग्न नहीं है । अर्थात नहीं लिया गया है । कार्य का मूल्यांकन तकनीकी अमले से नहीं कराया गया सीधे भुगतान कर दिया गया है।
👉4 .मेडिकल कॉलेज के संचालन हेतु कार्यालयीन /लैब /बैठक व्यवस्था हेतु फर्नीचर एवं आवश्यक संसाधन क्रय किए जाने 1 करोड़ 19 लाख 6 हजार 733 रूपए की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई थी। कुल 11 प्रकार के सामाग्रियों हेतु राशि का उपयोग किया है । 4 सामाग्री के लिए निविदा प्रक्रिया अपनाई गई 7 सामाग्रियों को CSIDC द्वारा निर्धारित दर से क्रय किया गया है । CSIDC द्वारा क्रय किए गए सामाग्रियों का वेरिफिकेशन सर्टिफिकेट वहीं के अधिकृत संस्था द्वारा जारी किया जाता है । दस्तावेजों के अवलोकन में प्रमाण पत्र नहीं पाया गया ।
👉5 .कोविड -19 के संक्रमित मरीजों के उपचार हेतु जिला चिकित्सालय एवं अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सा उपकरण प्रदाय के लिए 79 लाख 97 हजार 287 रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त हुई थी । वित्तीय वर्ष 2021 -22 में कुल 203 सामाग्रियों हेतु संबंधित कार्यालय द्वारा निविदा जारी की गई थी। इसी निविदा को आधार मानते हुए वर्ष 2022 -23 में स्वीकृत कार्य की राशि को व्यय किया गया,इसके लिए पृथक से निविदा जारी नहीं किया गया। दस्तावेजों के अवलोकन के दौरान जांच समिति ने पाया कि सामाग्रियों को क्रय करने के लिए वर्ष 2021 में दिनांक 12 .05.2021 को फर्म को सप्लाई के लिए कार्यादेश जारी किया गया,किंतु उसकी प्रशासकीय स्वीकृति एक साल डेढ़ माह उपरांत 29 .06.2022 को प्राप्त की गई । जबकि नियमानुसार प्रशासकीय स्वीकृति पहले ली जाकर कार्यादेश जारी किया जाना था।
👉 अनियमितता के जिम्मेदार ठहराए गए तत्कालीन सीएमएचओ ,लेखापाल
, 2 साल से कार्रवाई का इंतजार ,राजनीतिक संरक्षण बनी ढाल !


जांच प्रतिवेदन में जे .एल.उईके तत्कालीन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ,एवं शाखा लिपिक सह प्रभारी लेखापाल नरेश कौशिक कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कांकेर को प्रकरण में जिम्मेदार प्रतिवेदित किया गया है। जिनके द्वारा खरीदी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया ।डीएमएफ के 11 करोड़ रूपए से अधिक के आबंटन में कोरोनाकाल में क्रय किए गए सामाग्रियों ,चिकित्सा उपकरणों की शिकायत से संबंधी जांच प्रतिवेदन कमिश्नर बस्तर संभाग -जगदलपुर को 23 मार्च 2024 को ही कार्यालय कलेक्टर जिला -उत्तर -बस्तर -कांकेर द्वारा भेज दिया गया था। निश्चित तौर पर उस दरम्यान लोकसभा चुनाव हेतु आदर्श आचार संहिता प्रभावशील थी। लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद आदर्श आचार संहिता को हटने के 2 साल बाद भी प्रकरण में आज पर्यंत दोषी अफसर एवं लेखापाल के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की गई।प्रकरण में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ,मुख्यमंत्री निवास से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक शिकायत एवं ध्यानाकर्षण पत्र भेजने के उपरांत भी जिम्मेदारों पर आज पर्यन्त कार्रवाई नहीं हो सकी। जिससे दोषी अफसर अधिकारियों के राजनीतिक रसूख का भी पता चलता है। प्रकरण में पीएमओ को पत्र क्रमांक 6703 दिनांक 16-04 -2025 को पत्र व्यवहार के बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर पत्र क्रमांक 6709 दिनांक 25 /07/2025 को ध्यानाकर्षण पत्र के बावजूदजिम्मेदारों पर आज
पर्यन्त कार्रवाई की आंच तक नहीं आई। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो श्री उइके कांग्रेस के पूर्व विधायक के रिश्ते में भाई लगते हैं यही वजह कि सत्ता परिवर्तन के बाद भी डीएमएफ के करोड़ों रुपए का बंदरबाट करने वाले शासकीय सेवकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकी। जिससे इस तरह के बड़े आर्थिक अनियमितता को अंजाम देने उन्हें बल मिल रहा है। इतने गम्भीर प्रकरण में कार्रवाई नहीं होना जिम्मेदार विभागों के अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रह्नचिन्ह खड़ा कर रहे।
👉कार्रवाई के बजाय ईनाम ,दूसरी बार बालोद की कमान


DMF के 11 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का बंदरबाट करने वाले जिम्मेदार तत्कालीन सीएमएचओ (मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी) जे.एल.उइके को आरोप पत्र जारी कर निलंबन,रिकवरी की कार्रवाई के बजाय साय सरकार उन पर इस कदर मेहरबान है कि दूसरी बार उन्हें DMF बाहुल्य जिला -बालोद की कमान दे दी गई है।वे पिछले 4 माह से बालोद जिले में सेवाएं दे रहे हैं। अगर बालोद में भी DMF के फंड की लूट हुई तो कोई हैरानी नहीं होगी।
