कोरबा। कुसमुंडा क्षेत्र में अधिग्रहित जमीन को वापस करने और पेड़ों की कटाई रोकने की मांग को लेकर ग्राम जरहाजेल के भू विस्थापितों ने बुधवार को कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर प्रदर्शन किया और ज्ञापन सौंपा। ग्रामीणों का कहना है कि वर्ष 1983 में जमीन अधिग्रहित होने के समय यह स्पष्ट शर्त रखी गई थी कि 20 वर्ष बाद जमीन मूल खातेदारों को लौटाई जाएगी, लेकिन आज तक इस शर्त का पालन नहीं किया गया।

भू विस्थापित दामोदर श्याम, इंद्रप्रकाश, घासीराम कैवर्त और अन्य ग्रामीणों ने जानकारी दी कि अधिग्रहण मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 247 के तहत किया गया था। तत्कालीन अतिरिक्त कलेक्टर द्वारा पारित आदेश में यह भी उल्लेख था कि 60 वर्ष बाद आवास, सड़क, रेलवे लाइन आदि के लिए ली गई भूमि को भी मूल स्वामियों को लौटाया जाएगा। साथ ही विस्थापित परिवारों को सुविधाएं और रोजगार देने की जिम्मेदारी कंपनी की होगी।
ग्रामीणों ने कहा कि न रोजगार मिला, न पुनर्वास। कई मुआवजा और नियुक्ति के प्रकरण आज भी लंबित हैं। एसईसीएल खुद भूमि अधिग्रहण के अवार्ड की प्रति नहीं दिखा पा रही है, फिर भी जमीन पर अन्य गांवों को बसाने की तैयारी कर रही है जो पूर्णत: अवैध और अन्यायपूर्ण है।
अधिग्रहित क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के लिए मांगी गई अनुमति पर भी ग्रामीणों ने आपत्ति जताई। उनका कहना है कि जब जमीन वापस देने की शर्त है तो पेड़ काटने की अनुमति क्यों।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि जमीन की सुपुर्दगी मूल खातेदारों को नहीं की गई और कटाई की अनुमति रद्द नहीं हुई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
ज्ञापन सौंपने वालों में संतोष, बजरंग सोनी, मोहन, फीरत, पुरुषोत्तम, हरिशरण, विशेश्वर, शिव नारायण, दीनानाथ, डुमन, दुलचंद, रेशम, गंगाप्रसाद, टकेश्वर, कमलेश, केदार कश्यप, लक्ष्मण, वीरेंद्र, राकेश और बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल थे।
