कृषि कानूनः.क्यों न कहें कि BJP को वोट न दो?- टिकैत ने समझाया आखिर चुनाव के दौरान किसलिए छेड़ रखा है बिगुल

कृषि कानूनों के मुद्दे पर केंद्र सरकार से सीधी टक्कर ले रहे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत अब हर चुनावी राज्य में जाकर किसानों और आम लोगों से भाजपा को वोट न देने की अपील कर रहे हैं। हाल ही के दिनों में टिकैत ने पश्चिम बंगाल का दौरा किया था। फिलहाल वे कर्नाटक के तीन दिवसीय दौरे पर हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या किसान आंदोलन राजनीति में प्रवेश कर गया है, आप लोगों से अपील कर रहे हैं कि भाजपा को वोट मत दो, ये तो राजनीतिक अपील है। इस पर टिकैत ने कहा कि समस्या तो बंगाल के किसानों को भी होगा। हम किसी के पक्ष में यह बात नहीं कह रहे, हम तो सिर्फ भाजपा के विपक्ष में बात कह रहे हैं।

टिकैत ने बताया, “हम क्यों न कहें कि उन्हें वोट न दें।

हमने तो उन्हें वोट भी दिए। जब ये विपक्ष में थे, तो ये हमारे साथ थे। हमसे आंदोलन करवाए और कहा कि ये कांग्रेस बहुत खराब है। हम सारा काम बिल्कुल ठीक करेंगे। तो पहले यह भी तो हमारे साथ रहते थे।” भाकियू नेता ने कहा कि हम तो अब अपना आंदोलन तेज कर रहे हैं। आम जनता को एमएसपी और जो कानून आ रहे हैं इस बारे में बता रहे हैं।

टिकैत ने इससे पहले कहा, “अगर हम देश में कहीं जा रहे हैं, तो इसमें राजनीति कहां से आ गई। हम तो अपनी बात कहने जा रहे हैं। क्योंकि ट्रेन चल नहीं रही। किसान यहां आ नहीं रहे। ट्रेन बिक गई, प्राइवेट हो गई। उसके टिकट महंगे हो गए। इसलिए हम चले जाते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “अगर हम बंगाल जाएंगे, तो समस्या तो बंगाल के किसान को भी है। बंगाल देश के बाहर तो है नहीं कि वहां जाने के लिए वीजा लेना पड़ेगा। बंगाल में गए तो लोग चुनाव की बात करेंगे। इस बात पर हम भाजपा का प्रचार तो करेंगे नहीं कि भाजपा को वोट दो।”

भाकियू नेता ने कहा कि हम कहां किसी के पक्ष में कह रहे हैं। लेकिन हम ये क्यों न कहें कि उन्हें वोट न दो। टिकैत से जब पूछा गया कि दिल्ली के आसपास के राज्यों के अलावा बाकी जगहों पर इस आंदोलन का प्रभाव नहीं पड़ रहा। तो उन्होंने कहा कि एक तो ट्रेन नहीं चल रही कि लोग यहां पर आ सकें। इसके ऊपर गेहूं की कटाई हो रही है। पीएम ने कहा है कि अपनी फसल कहीं पर भी बेच सकेंगे, तो लोग अब 10-15 दिनों में निकलने लगेंगे। अपने एसडीएम-डीएम के यहां लेकर जाएंगे। कोई पुलिसवाला रोकेगा तो थाने में भी बेचेंगे।