लॉकडाउन का मध्यांतर, लोग जागरूक हुए पर जिम्मेदार नहीं बने

पुलिस की ढिलाई से लोग तोड़ रहे लॉकडाउन ,अब तक 6456 मरीज मिले ,74 ने गंवाई जान

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा ।(भुवनेश्वर महतो ) कोरोना की दूसरी लहर के कहर से आमजनों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा लगाए 15 दिवसीय लॉकडाउन का मध्यांतर हो चुका है ।लेकिन इस दौरान लोगों में मास्क की अनिवार्यता को लेकर जागरूकता जरूर आई है ,लेकिन लॉकडाउन का नियम तोड़ने में लोग पीछे नहीं रहे। लोगों की नासमझी कहें या पुलिस की नाकामी मॉर्निंग वॉक से लेकर दिनभर शहर के भीतर लोगों का बेवजह आवाजाही जारी हैं । मेडिकल स्टोर्स एवं अस्पतालों में सोशल डिस्टेंसिंग नजर नहीं आती। ये सभी हालात खुद बयां कर रहे हैं कि अगर अभी नहीं संभले ,जिम्मेदारी नहीं दिखाई तो आने वाले दिनों में प्रशासन को लॉक डाउन में पुनः इजाफा करना पड़ेगा । जिलेवासियों को एक और लॉकडाउन झेलना पड़ेगा ।

   यहां बताना होगा  कि जिले में कोरोना संक्रमण की रोकथाम और आमजनों की कोरोना वायरस से सुरक्षा के लिए 27 अप्रैल जिला प्रशासन ने  पूर्ण लॉकडाउन किया है। इस दौरान समस्त दुकान व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद रखे गए हैं । यहाँ तक कि पहली बार राशन के साथ साथ फल एवं  सब्जी की दुकानें भी बन्द हैं । हालांकि इस बीच लोगों की सुविधा के लिए फल एवं सब्जी ठेले में या अन्य साधनों से घूम घूमकर बेचने की अनुमति जरूर दी गई है ।लॉकडाउन का मध्यांतर हो चुका है । 15 दिन की लॉकडाउन में से 8 दिन गुजर चुके । इस दौरान लोगों में मास्क के महत्व को लेकर जरूर जागरूकता आई है लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन तोड़ने में लोग पीछे नहीं रहे। लॉक डाउन के बाद से लेकर अब तक के संक्रमितों और मृतकों के आंकड़े  भी इसी लापरवाही की देन हैं।मार्निंग वॉक से लेकर मेडिकल रीजन ( दवाई लेने उपचार कराने अस्पताल जाने ) का बहाना बनाकर लोग शहर में बेरोक टोक घूम रहे हैं। मेडिकल स्टोर्स में तो सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ा गई है। शहर के नामचीन अस्पताल प्रबंधन भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने में पीछे रहे हैं ।पुलिस भी जांच के नाम पर महज औपचारिकता निभाती नजर आ रही हैं। दरअसल लॉकडाउन  जिला प्रशासन द्वारा लगाया जरूर जाता है पर जमीनी स्तर पर लाकडाउन का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराने में पुलिस की सबसे प्रभावी भूमिका रहती है । जो अब तक के लाकडाउन में  नजर नहीं आई। जरूर पुलिस के कुछ जवानों की ड्यूटी कुछ व्यस्तम मार्गों पर लगाई गई है ,पेट्रोलिंग वाहन घूम रहे हैं पर वो लॉकडाउन का पालन कराने में नाकाफी साबित हो रहे हैं। यही नहीं आधा शटर खोलकर लोगों को राशन व अन्य सामग्री बेचने पर भी पुलिस पाबंदी नहीं लगा सकी । 

कोसाबाड़ी चौक में चेकिंग ही नहीं हो रही

लॉक डाउन में जाँच के नाम पर पुलिस ने शहर के सभी व्यस्तम चौक चौराहों ,प्रवेश मार्गों में जवानों की ड्यूटी जरूर लगाई है ,बकायदा इस कार्य में स्काउट गाईड की सेवाएं भी ली जा रही है। इसके बावजूद शहर के प्रवेश मार्गों चौक चौराहों में पुलिस नजर नहीं आती।कोसाबाड़ी ,निहारिका चौक में यह नजारा देखा जा सकता है । जहाँ लोग पुलिस की गैर मौजूदगी का फायदा उठाकर बेरोकटोक घूमते नजर आते हैं।दोपहिया में 3 सवारी सहित कार में भी कोरोना गाईड लाइन्स का पालन नहीं हो रहा। अन्य मार्गों में भी कमोबेश यही हाल है ।

मेडिकल स्टोर्स बांट रहे संक्रमण

मेडिकल स्टोर्स में भी लोगों की भींड उमड़ रही है। निहारिका और पुराना बस स्टैंड के नामचीन मेडिकल स्टोर्स लॉकडाउन में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करा पाने में फैल साबित हो रहे हैं।कोरोना के ख़ौफ के साथ साथ बदलते मौसम में मौसमी बीमारियों से पीड़ित लोगों की दवाई लेने मेडिकल स्टोर्स में भींड इस कदर उमड़ रही है कि लोगों को दवाई देने में ही मेडिकल स्टाफ का पूरा समय निकल जाता है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना इनके लिए संभव नहीं हो रहा। यही वजह है कि मेडिकल स्टोर्स से भी बड़े पैमाने पर संक्रमण फैल रहा है ।

मॉर्निंग वॉक की सजा 10 पुशअप ,पुलिस ने सिखाई सबक

लॉकडाउन में मुख्य मार्ग में निकलकर मॉर्निंग वॉक करने वाले नाफरमानों पर पुलिस ने लॉकडाउन के आठवें दिन पहली बार कार्यवाई की । बालको पुलिस ने लॉकडाउन का उल्लंघन कर मॉर्निंग वॉक पर निकले 4 लोगों को सबक सिखाया। पुलिस ने चारों को 10 -10 बार पुश अप करने की सजा दी। हालांकि लगभग सभी पुलिस की सजा को पूरी नहीं कर सके। 10 बार पुशअप नहीं कर सके। पुलिस ने कड़ी चेतावनी देकर युवकों को छोंड़ दिया।पुलिस की इस तरह की कार्यवाई नियमित रूप से सभी क्षेत्रों में नजर आनी चाहिए। शहर में यह कार्यवाई नजर नहीं आती।सुबह 5 से 6.30 तक शहर में लोगों को मॉर्निंग वॉक पर निकलते देखा जा सकता है।

सब्जी वाले तोड़ रहे नियम

प्रशासन ने आमजनों की सुविधा के लिए सब्जी व फल विक्रेताओं को ठेले पर घूम घूमकर बिक्री की अनुमति दी है लेकिन शहर के पाश कालोनियों में इस निर्देशों का अक्षरशः पालन नहीं हो रहा। छोटा मैजिक ,ऑटो व अन्य वाहनों के जरिए कालोनी के बीच मे वाहन खड़ी कर सब्जी बेचा जा रहा है इससे संक्रमण बढ़ने का खतरा बढ़ गया है । फल वालों की भी यही कहानी है ।

पाबंदी के बाद भी सरकारी दफ्तर खुल रहे,काम करते मिले स्टाफ

जिला प्रशासन ने सिर्फ ऐसे कार्यालयों को लॉकडाउन के दौरान संचालन की अनुमति दी है जो कोरोना नियंत्रण से जुड़े हैं। अन्य सभी शासकीय कार्यालयों को बंद रखे जाने का निर्देश दिया गया है । इसके बावजूद शासकीय विभाग ही प्रशासन के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। विभागीय लक्ष्य से संबंधित लेखा जोखा में पिछड़ न जाएं इसके लिए विभागीय अधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मचारियों (विशेष कर कम्प्यूटर ऑपरेटर ) को कार्यालय खोलकर कार्य निबटाने का निर्देश दे रहे हैं। मंगलवार को उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं एवं परियोजना प्रशासक एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना कब दफ्तरों में यह नजारा देखने को मिला। पशुओं के टीकाकरण के एंट्री के लिए अधिकारियों के निर्देश पर कम्प्यूटर ऑपरेटर काम करता मिला। वहीं परियोजना प्रशासक कार्यालय में लिपिक सुनीला कटकवार पेंडिंग कार्य करने दफ्तर खुलवा रखी थीं।

क्या कहते हैं कोरोना के आंकड़े

लाकडाउन 12 अप्रैल से लेकर 20 अप्रैल तक के आंकड़े बताते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर का कहर जारी है। हालांकि पिछले दो दिनों से संक्रमितों व संक्रमण से होने वाली मौतों में जरूर कमी आई है फिर भी आंकड़े डराने वाले हैं । लॉकडाउन से लेकर अब तक जिले में कुल 6456 संक्रमित मरीज मिल चुके हैं। साथ ही 74 मरीज जिंदगी की जंग हार चुके हैं। बीती रात 19 अप्रैल को जिले में 787 संक्रमित मिले वहीं 8 मरीज ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया।