जीवन आशा कोविड अस्पताल जमनीपाली का कारनामा ,सीएमएचओ ने कहा स्पष्टीकरण दें नहीं तो अनुमति करेंगे निरस्त
हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। आपदा को अवसर में बदलने वाले जीवन आशा (कोविड) हॉस्पिटल जमनीपाली को सीएमएचओ ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अस्पताल प्रबंधन को यह नोटिस कोरोना पीड़ित मरीजों के परिजन से शासन द्वारा निर्धारित दर से अधिक राशि लिए जाने की शिकायत के बाद जारी की गई है। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर कोविड -19 संक्रमितों के उपचार हेतु प्रदत्त अनुमति निरस्त किए जाने की चेतावनी दी है।
यहाँ बताना होगा कि वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर का कहर पूरे देश प्रदेश सहित जिले में भी जारी है। रोजाना औसतन 765 संक्रमित निकल रहे तो दर्जनों संक्रमित मरीजों की जान जा रही है । चिकित्सा आपातकाल जैसी स्थिति बन आई है। अस्पतालों में कोरोना की जांच व उपचार कराने मरीजों की भींड उमड़ रही है। खासकर गम्भीर रूप से संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए निजी अस्पतालों में मेले जैसी भींड उमड़ रही है। आपदा को अवसर में बदलते हुए कोरोना के लिए निजी अस्पतालों में मरीजों से मनमाना शुल्क लिया जा रहा है। जिसकी वजह से कई संक्रमित समय पर उपचार नहीं करा पा रहे। इन्हीं सब शिकायतों को राज्य शासन ने गम्भीरता से लिया है । और कोरोना की जांच दर से लेकर उपचार सेवा की दर निर्धारत कर दी है। ताकि मरीजों से मनमाना शुल्क न लिया जा सके। लेकिन इन सबके बावजूद जिले में निजी मान्यता प्राप्त कोविड अस्पतालों में शासन के निर्देश की धज्जियां उड़ाकर कोरोना संक्रमितों मरीजों के उपचार में मनमाना शुल्क लिया जा रहा है। एक ऐसा ही मामला जमनीपाली में संचालित जीवन आशा कोविड अस्पताल का प्रकाश में आया है। जहाँ पीड़ित दिलीप कुमार श्रीवास को 12 अप्रैल से 19 अप्रैल 8 दिवस की उपचार हेतु 2 लाख 13 हजार 196 रुपए का बिल थमा दिया गया है। जबकि राज्य शासन के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आदेश अनुसार आईसीयू विद आउट वेंटिलेटर प्रतिदिन 10 हजार एवं आईसीयू विद वेंटिलेटर 14 हजार रूपए प्रतिदिन शुल्क निर्धारित की गई है। लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने पैकेज में शामिल सुविधाओं के लिए मरीज से अतिरिक्त(दोगुना)राशि वसूल ली है। आपदा को अवसर में बदलने वाले निजी कोविड अस्पताल प्रबंधन की मनमानी पर जिला प्रशासन एक्शन मोड़ में आ गया है ।सीएमएचओ ने अस्पताल प्रबंधन को संपूर्ण दस्तावेजों के साथ शीघ्र स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने नोटिस जारी किया है। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर अस्पताल को कोविड-19 संक्रमितों के उपचार हेतु प्रदत्त अनुमति निरस्त किए जाने की चेतावनी दी गई है।
निजी कोविड अस्पतालों में नहीं है प्रशासन का नियंत्रण ,शिकायत शाखा जरूरी
कोरोना की दूसरी लहर के कहर से आम जनता की जिंदगी महफूज करने सरकारी स्तर पर तो बेशक सार्थक और पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं।लेकिन निजी कोविड अस्पतालों में प्रशासन को नियंत्रण नजर नहीं आ रहा है। निश्चित तौर पर शिकायत के लिए राज्य शासन एवं जिला प्रशासन द्वारा समय समय पर नंबर भी सार्वजनिक किए गए हैं। पर संकट के समय अस्पताल पहुंचे मरीजों को अस्पताल प्रबंधन की मनमानी के लिए अस्पताल कैम्पस में ही शिकायत के लिए कोई माध्यम नजर नहीं आता।उनके पास इतना समय भी नहीं रहता कि वो प्रशासन के पास लिखित में शिकायत करने जाएं। खासकर लॉकडाउन की स्थिति में लोगों को और दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जिले में गिनती के अनुमति प्राप्त निजी कोविड अस्पताल हैं । जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि वहाँ प्रशासन स्तर पर एक शिकायत शाखा की व्यवस्था कर चौबीसों घण्टे के सेवा के लिए कर्मचारी की ड्यूटी लगाए। अभी भी कई सरकारी विभागों के अधिकारी कर्मचारी घरों में आराम फरमा रहे हैं। जिनकी संकट की इस घड़ी में ड्यूटी लगाई जा सकती है।