18 से 44 वर्ष आयु के लोगों के कोरोना टीकाकरण के विरुद्ध दायर की गई थी याचिका,
कोरोना के कहर में भ्रांतियों की भी लहर , महज 7 फीसदी गरीबों को ही मिला टीकाकरण का कवच
हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा (भुवनेश्वर महतो । अब जिले में 18 से 44 वर्ष आयु के 49 हजार 591 लोगों को कोरोना के टीकाकरण के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा। हाईकोर्ट ने राज्य शासन के कोरोना – टीकाकरण में अंत्योदय परिवार को दी गई आरक्षण के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के बाद अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 30 अप्रैल को जारी आदेश में संसोधन कर टीकाकरण के लिए अनुपात का निर्धारण राज्य शासन को करने का आदेश दिया है ।अंत्योदय ,बीपीएल एवं एपीएल श्रेणियों के लिए टीकाकरण के अनुपात का निर्धारण करने तक अंत्योदय परिवार के 18 से 44 वर्ष आयु के टीकाकरण पर रोक लगा दी गई है । 5 दिन तक चले टीकाकरण में जिले में महज 7 फीसदी अंत्योदय श्रेणी के सदस्य ही लाभान्वित हो सके।
यहाँ बताना होगा कि 1 मई से 18 से 44 वर्ष आयु के लोगों का टीकाकरण देश में शुरू हो गया है । केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को इस आयु के लोगों का टीकाकरण हेतु वैक्सीन डोसेज राज्य कोष से क्रय करने की अनुमति दी गई थी । राज्य सरकार ने वैक्सीन के दोनों उत्पादकों (कोवैक्सीन एवं कोविशिल्ड के प्रमुखों ) से प्रदेश के लिए 75 लाख वैक्सीन की खुराक मांगी थी । लेकिन 30 अप्रैल तक राज्य शासन को वैक्सीन नहीं मिली थी। इसी दिन शाम को राज्य को सूचित किया गया था 1 मई को डेढ़ लाख डोसेज रायपुर पहुंचेगी।समयाभाव में राज्य शासन के समक्ष विस्तृत कार्ययोजना बनाने का समय नहीं था । प्रदेश में 18 से 44 वर्ष आयु समूह की आबादी 1 करोड़ 34 लाख है और उपलब्ध वैक्सीन की मात्रा महज डेढ़ लाख थी । राज्य शासन ने यह माना कि 1 मई से इतने कम वैक्सीन के साथ टीकाकरण की शुरुआत की गई तो अराजकता तथा कानून व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति निर्मित हो सकती थी । भींड बढ़ने से कोविड -प्रोटोकॉल भी टूट जाता। ऐसी स्थिति में सरकार ने प्रदेश के सबसे गरीब तबके के समूह अंत्योदय परिवार को प्राथमिकता देना आवश्यक समझा।भारत सरकार का कोविन पोर्टल केवल मोबाईल फोन नम्बर और ओटीपी के आधार पर पंजीकरण की अनुमति देता है । इस श्रेणी के लोगों के पास न तो मोबाईल है न ही उन तक कनेक्टविटी और इंटरनेट पहुंच सकी है । इसलिए उनके लिए कोविन पोर्टल पर पंजीकरण करना असंभव था।
हालांकि पूर्व में कोविन पोर्टल पर ऑनसाईट पंजीकरण की अनुमति थी । लेकिन केंद्र सरकार ने 18 से 44 वर्ष आयुवर्ग के लिए ऑनसाईट पंजीकरण की सुविधा वापस ले ली है जो गरीबों के लिए भेदभावपूर्ण निर्णय था । इसलिए राज्य शासन को अत्यंत गरीबों के प्रति सुरक्षागत नीति अपनाते हुए अंत्योदय श्रेणी के लोगों को निर्णय लिया था कि सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए ऑनसाईट पंजीकरण की सुविधा प्रदान की गई थी । राज्य शासन ने छत्तीसगढ़ के 18 से 44 वर्ष आयु के सभी लोगों का निःशुल्क टीकाकरण की घोषणा की है ।लेकिन वैक्सीन की सीमित आपूर्ति के कारण राज्य शासन ने गरीबी के अनुसार वैक्सीन में प्राथमिकता तय कर दिया। पहले अंत्योदय ,फिर बीपीएल एवं अंतिम में एपीएल लाभार्थियों को टीकाकरण का निर्णय लिया गया था। लेकिन टीकाकरण के पहले दिन से ही इसको लेकर सामान्य वर्गों ने नाराजगी जतानी शुरू कर दी थी।राज्य शासन के इस फैसले के विरुद्ध लेकर हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी ।
बुधवार को अमित जोगी सहित अलग-अलग लोगों द्वारा जनहित याचिकाएं दायर की गई थी कि सरकार इस प्रकार से वैक्सीनेशन में रिजर्वेशन लागू नहीं कर सकती। यह समानता के अधिकार का हनन है। इस बहस पर हाई कोर्ट में कहा गया था कि अगर बीमारी किसी में भेदभाव नही करती तो सरकार ऐसा कैसे कर सकती है।हाईकोर्ट ने तत्काल संज्ञान लेते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 30 अप्रैल को जारी आदेश में संसोधन कर टीकाकरण के लिए अनुपात का निर्धारण राज्य शासन को करने का आदेश दिया है ।अंत्योदय ,बीपीएल एवं एपीएल श्रेणियों के लिए टीकाकरण के अनुपात का निर्धारण करने तक अंत्योदय परिवार के 18 से 44 वर्ष आयु के टीकाकरण पर रोक लगा दी गई है ।
आरक्षण में भी 13 फीसदी वैक्सीन मिला ,ग्रामीण क्षेत्रों में उत्साह फीका महज 15 फीसदी ने लगवाए टीके
आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले में अंत्योदय परिवार की एक बड़ी तादाद है । जिले में कुल 53 हजार 391 अंत्योदय परिवार हैं। इनमें पांचों विकासखण्ड में 42 हजार 577 परिवार तो नगर निगम क्षेत्र में 10 हजार 814 परिवार के सदस्य हैं। राज्य शासन द्वारा वैक्सीन की सीमित मात्रा को देखते हुए प्रत्येक ब्लाक के लिए 800 वैक्सीन व नगर निगम क्षेत्र के लिए 3200 वैक्सीन की आपूर्ति की गई थी। इस तरह जिले को 7200 वैक्सीन मिले थे। 49 हजार 591 परिवारों के सदस्यों के लिए वैक्सीन की सीमित मात्रा की वजह से आपूर्ति नहीं की जा सकी थी । लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण को लेकर जागरूकता नहीं होने की वजह से पांचों ब्लॉक में 18 से 44 वर्ष आयु के महज 600 सदस्यों का ही बुधवार तक टीकाकरण हो सका था। इस लिहाज से देखें तो जहाँ कुल अंत्योदय श्रेणी के सदस्यों के अनुपात में महज 13.48 फीसदी वैक्सीन की आपूर्ति केंद्र सरकार ने की है । तो वहीं प्राप्त टीके में से 3800 टीके इस्तेमाल किए जा सके हैं।शहरी क्षेत्रों में जहाँ लोगों में उत्साह दिखा वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में महज 15 फीसदी (600) लोग ही टीकाकरण कराने पहुंचे। सबसे खराब स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों की ही रही । यहाँ लोगों में उत्साह फीका दिखा। जिसकी वजह से बेहद कम मात्रा में मिली वैक्सीन की खुराक में से 3400 डोज बच गई । कुल 4 हजार डोज में से 600 डोज यूज होने पर जिला प्रशासन ने भी हैरानी जताई थी। लोगों को वैक्सीनेशन के लिए बेझिझक आगे आने का आग्रह किया था।
लोगों में जागरूकता की कमी,टीकाकरण से ही बचेगी जान
टीकाकरण से ही कोरोना से इंसान का जीवन सुरक्षित रह सकता है । टीकाकरण के बाद मृत्यु की संभावना नहीं के बराबर रहती है । बावजूद इसके लोगों में आज भी इसको लेकर भ्रांतियां दूर नहीं हुई है ।कोरोना के लक्षण दिखने पर किसी को भी वैक्सीन नहीं लगवाना है इस बीच जो लोग वैक्सीन लगवाकर आते हैं उनमें सिरदर्द ,बुखार ,कमजोरी के लक्षण नजर आते हैं। स्वस्थ शरीर में वैक्सीन का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। इसको लेकर व्यापक प्रचार प्रसार किए जाने की जरूरत है । खासकर समाज के जागरूक युवा इस दिशा में महती भूमिका का निर्वहन कर सकते हैं ।