नहीं रहे पूर्व स्वत्रंत्रता सेनानी ,समाजसेवी एल एन कड़वे,जिले में शोक की लहर

पूर्व पीएम इंदिरा को आपातकाल में अपने बेमियादी अनशन से कोरबा आने विवश करने वाले कड़वे जिंदगी की जंग हार गए

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा – समाजसेवी ,स्वतंत्रता सेनानी एवं उन्नयन संस्था के संस्थापक एल .एन. कड़वे जी हम सबके बीच नहीं रहे । आपातकाल में 52 दिनों तक अनशन कर पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी को कोरबा आने के लिए विवश करने वाले तक पूर्व मीसाबन्दी मौत को मात नहीं दे सके। 13 दिन तक जिला चिकित्सालय में उपचार के बीच शनिवार की देर रात श्री कड़वे ने अंतिम सांस ली । उनके निधन से समूचे जिले में शोक की लहर व्याप्त है । पोड़ीबहार स्थित मुक्तिधाम में उनका अंतिम संस्कार किया गया । जहां परिजनों ,राजनेताओं शुभचिंतकों ने उन्हें अंतिम विदाई दी ।

ढलती उम्र के जवाब देने की वजह से श्री कड़वे को स्वास्थ्य खराब होने पर 10 मई से जिला चिकित्सालय में परिजनों ने भर्ती कराया था । श्री कड़वे की सलामती के लिए समर्थकों एवं शुभचिंतकों ने लॉकडाउन की वजह से घर पर बैठकर ही उनकी सलामती के लिए दुआओं प्रार्थनाओं का दौर शुरू कर दिया था। श्री कड़वे के संबंध में जानकारी मिलते ही उनका हाल जानने राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल और सभापति श्यामसुंदर सोनी भी 13 मई को जिला अस्पताल पहुंचे । यहां उन्होंने डॉक्टर से चर्चा करने के बाद श्री कड़वे से उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेकर उनकी सलामती के लिए ईश्वर से कामना की थी । लेकिन 13 दिन के उपचार के बाद श्री कड़वे जिंदगी की जंग हार गए। बीती रात शनिवार को उन्होंने अंतिम सांस ली । श्री कड़वे अपने पीछे 5 पुत्री एक पुत्र सहित नाती पोतों से भरा परिवार शोकाकुल छोंड़ गए। इनकी अंतिम यात्रा गृह निवास EWS -01 आर पी नगर से पोंडी बहार स्थित मुक्तिधाम के लिए निकली। जहाँ परिजनों ,नेताओं ,शुभचिंतकों ने इन्हें अंतिम विदाई दी ।

शख्शियत ऐसी की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को उनसे मिलने आना पड़ा था कोरबा

सन 1961 से कोरबा की धरती को अपनी कर्मभूमि बनाने वाले श्री कड़वे क्रांतिकारी विचारधारा के हैं। समाज को आईना दिखाती उनकी दर्जनों रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। मीसाबंदी के समय स्वतंत्रता सेनानी (फ्रीडम फाइटर ) रहे श्री कड़वे ने सन 1975 में देश में लगे आपातकाल के दौरान भी तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को तार भेजकर आपातकाल का विरोध किया था। ऐसा करने वाले श्री कड़वे उस दौर के जिले के एकमात्र शख्स थे। उस समय पुलिस तार को देखकर तय करती थी कि कौन से तार भेजे जाने योग्य है । श्री कड़वे के 52 दिनों के कठिन अनशन ने प्रधानमंत्री कार्यालय तक ऐसी हलचल मचाई कि स्वयं प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को श्री कड़वे से मिलने कोरबा आना पड़ा था । यहाँ सीएसइबी स्थित रशियन हॉस्टल में इंदिरा गांधी ने श्री एल.एन.कड़वे से मुलाकात की और अनशन खत्म करने का निवेदन किया । लेकिन मजबूत और फौलादी इरादों वाले श्री कड़वे ने अपना कदम पीछे हटाने से साफ इंकार कर दिया ।
इसके उपरांत आपातकाल में अनशन करने के जुर्म में उन्हें जेल भेज दिया गया था ।इसी के चलते उन्हें मीसा बंदी भी कहा गया।

कल ही अंतिम पुस्तक कर्मयोगी किए थे प्रकाशित

जिंदगी की अंतिम सांसे गिन रहे श्री कड़वे की अंतिम पुस्तिका कर्मयोगी शनिवार की सुबह ही प्रकाशित हुई थी। स्वंय उन्होंने जिला अस्पताल में जीते जी अपने अंतिम सपने को साकार होते देखा था। यह पुस्तिका शीघ्र ही बांटी जाएगी। इसमें मीसाबंदी श्री कड़वे के जीवन सफरनामा का पूरा उल्लेख है।