आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में एक आयुर्वेदिक दवा से कोरोना के इलाज का दावा किए जाने के बाद इसकी मांग इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि आंध्र प्रदेश सरकार ने इस आयुर्वेदिक दवा की इलाज की क्षमता जांचने के लिए इसे भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) में भेजने का फैसला किया है।
जानकारी के अनुसार आंध्र प्रदेश के नेल्लोर स्थित कृष्णापट्टनम गांव में कोरोना से लड़ने के लिए लोगों को आयुर्वेदिक दवा दी जा रही है। इस कारण कृष्णपट्टनम गांव में इस दवा को खरीदने के लिए दस हजार लोगों की लाइन लग गई। दवा का वितरण आयुर्वेदिक चिकित्सक बी आनंदैया द्वारा किया जा रहा है, जो कभी गांव के सरपंच हुआ करते थे और बाद में मंडल परिषद के सदस्य बने।
शुक्रवार को आंध्र प्रदेश सरकार ने इस आयुर्वेदिक दवा का एफीकेसी रेट और संपूर्ण जानकारी के लिए इसे भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) भेजने का फैसला किया है। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने केंद्रीय आयुष मंत्री किरेन रिजिजू और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के निदेशक बलराम भार्गव को दवा पर अध्ययन करने के लिए कहा है और जल्द से रिपोर्ट देने को कहा है।
आयुष विभाग के आयुर्वेदिक चिकित्सकों की एक टीम ने कुछ दिन पहले कृष्णपट्टनम गांव का दौरा किया था और दवा के बारे में जांच-पड़ताल कर एक रिपोर्ट तैयार की थी। चिकित्सकों ने यह रिपोर्ट सरकार को सौंपा और बताया कि दवा बनाने की विधि, उपचार प्रक्रिया और उसके बाद के प्रभावों का वैज्ञानिक लेवल पर अध्ययन किया जाना चाहिए। चिकित्सकों की टीम ने दावा करते हुए कहा कि दवा लेने वालों में से किसी ने भी साइड एफेक्ट्स की शिकायत नहीं की है।
कहा जा रहा है कि आनंदैया ने प्राकृतिक जड़ी-बूटियों, शहद और मसालों का इस्तेमाल करके पांच अलग-अलग दवाएं तैयार की थीं। इस दवा को उन्होंने कोरोना वायरस से संक्रमित रोगियों, संदिग्धों और फेफड़ों की समस्याओं से ज़ूझ रहे लोगों को दिया।