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एचआईवी संक्रमित महिला करीब सात महीने तक कोरोना वायरस की चपेट में रही। इस दौरान सार्स-कोव-2 वायरस उसके शरीर में करीब 32 बार अपना स्वरूप बदला। यह मामला दक्षिण अफ्रीका का है। डरबन स्थित क्वाजूलू-नेटल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इसका खुलासा किया है। शोधकर्ताओं ने बताया कि 36 वर्षीय महिला के शरीर में 13 म्यूटेशन (जेनेटिक उत्परिवर्तन) स्पाइक प्रोटीन में देखे गए। यह वही प्रोटीन है, जो कोरोना वायरस को प्रतिरोधक तंत्र के हमले से बचाता है।हालांकि यह महिला में मौजूद म्यूटेशन का प्रसार अन्य लोगों में भी हुआ या नहीं इसका खुलासा अभी तक नहीं हुआ है।
दरअसल, शरीर की आंतरिक प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) कमजोर होने से ज्यादातर लोगों को कोरोना जल्दी से अपना शिकार बनाता है।
खासकर गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए तो यह काल बनकर टूटता है। मरीज भी संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
एचआईवी संक्रमित महिलाओं पर किया गया था शोध
अमेरिकी न्यूज एजेंसी के मुताबिक इसका खुलासा उस समय हुआ जब एचआईवी संक्रमितों के प्रतिरोधक तंत्र की प्रतिक्रिया समझने के लिए प्रतियोगिता आयोजित की थी। इस प्रतियोगिता में 300 एचआईवी संक्रमित महिलाओं को चुना गया था। इसी दौरान महिला के शरीर में कोरोना वायरस की जेनेटिक संरचना में लगभग दो दर्जन म्यूटेशन का मामला सामने आया। क्योंकि पीड़ित महिला में संक्रमण के मामूली लक्षण उभरे थे। शोध के दौरान चार एचआईवी संक्रमित मिले हैं, जिनमें कोरोना संक्रमण एक महीने से ज्यादा समय तक मौजूद था।
दक्षिण अफ्रीका में कोरोना का फैलाव तेज
शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि यह खोज महामारी की रोकथाम की दिशा में महत्वपूर्ण है। एचआईवी प्रभावित देशों में ऐसे मरीजों में वायरस को फैलने से रोकने के लिए इस मुहिम में तेजी आएगी। बता दें कि अफ्रीका देशों में कोरोना संक्रमण ने भी कहर बरपाया है। दक्षिण अफ्रीका कोरोना से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। हालांकि दक्षिण अफ्रीका में अब कोरोना का प्रसार कम हुआ है।