कृषि कानून से किसानों में आक्रोश, 5 नवंबर को राष्ट्रव्यापी चक्काजाम कर जताएंगे रोष

  • राज्य के 30 से ज्यादा किसान संगठन सड़कों पर उतरकर करेंगे विरोध। राष्ट्रीय और राज्य मार्गों में आवागमन प्रभावित होगा।

रायपुर। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर मोदी सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ कल पांच नवंबर को पूरे देश के किसान चक्का जाम करेंगे। पंजाब, हरियाणा के किसान संगठनों के इस आह्वान के साथ जुड़ जाने से आंदोलनरत किसान संगठनों की संख्या बढ़कर 500 से अधिक हो गई है। राज्य में भी छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के घटक संगठनों के साथ ही दूसरे अन्य किसान संगठनों के इस आंदोलन में शामिल हो जाने से कल 30 से ज्यादा संगठन सड़कों पर होंगे।

सभी संगठन मिलकर कल इस किसान आंदोलन के समर्थन में घड़ी चौक स्थित अंबेडकर प्रतिमा पर दोपहर तीन बजे एकजुटता का प्रदर्शन करेंगे। सभी संगठनों ने छत्तीसगढ़ में 10 नवंबर से सोसाइटियों के जरिये धान खरीदने की और केंद्र के कृषि कानूनों को निष्प्रभावी करने के लिए एक सर्वसमावेशी कानून बनाने की भी मांग की है। छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के राज्य संयोजक आलोक शुक्ला और छत्तीसगढ़ किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते ने यह जानकारी देते हुए बताया कि 30 से अधिक किसान संगठनों के सड़कों में उतरने के कारण राज्य के प्रायः सभी राष्ट्रीय और राज्य मार्गों में आवागमन प्रभावित होगा।

इसके अलावा गांवों को शहरों से जोड़ने वाली सड़कें भी बाधित होंगी। जगह-जगह इन कानूनों की प्रतियां और सरकार के पुतले भी जलाए जाएंगे। इसके साथ ही कार्पोरेट भगाओ, खेती-किसानी बचाओ, देश बचाओ के नारे लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस देश की कृषि और खाद्यान्न के बाजार को कार्पोरेटों के हवाले करने के लिए ही मोदी सरकार ने ये तीन कृषि विरोधी कानून बनाए हैं।

इसका मकसद किसानों को समर्थन मूल्य की प्रणाली से और गरीबों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली से वंचित करना है और देश के नागरिकों की खाद्यान्न सुरक्षा को नष्ट करते हुए अडानी-अंबानी जैसे कार्पोरेटों को अधिकतम मुनाफा कमाने का रास्ता खोलना है। मगर, देश की खेती-किसानी नष्ट होने से खाद्यान्न आत्मनिर्भरता भी नष्ट हो जाएगी और भुखमरी की समस्या और गहरा जाएगी।