सावन में शिवालयों में उमड़ रही आस्था

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा । भगवान शिव को समर्पित पावन सावन माह में शिवभक्तों का आस्था एवं उत्साह देखते ही बन रहा है। कोरोना की दूसरी लहर थमने के बाद भगवान के प्रति श्रद्धासुमन अर्पित करने शिवालयों में श्रद्धालु जलाभिषेक करने पहुंच रहे हैं। सावन माह के तीसरे सोमवार को भी मन्दिरों में रौनक दिखी।

भगवान शिव को सावन का महीना अत्यंत प्रिय है। इसी माह में भगवान शंकर पृथ्वी पर अवतरित हुए थे। अपनी ससुराल गए थे,जहाँ उनका स्वागत जलाभिषेक से किया गया था। माना जाता है कि प्रत्येक वर्ष सावन माह में भगवान शिव अपनी ससुराल आते हैं। भू-लोक वासियों के लिए शिव कृपा प्राप्त करने का यह उत्तम समय होता है। शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव स्वंय ही जल है । इसलिए जल से उनकी अभिषेक के रूप में आराधना का उत्तमोत्तम फल मिलता है। शास्त्रों में वर्णित है कि सावन महीने में भगवान विष्णु योगनिंद्रा में चले जाते हैं। इसलिए ये समय भक्तों साधु संतों सभी के लिए अमूल्य होता है। यह चार महीनों में होने वाला वैदिक यज्ञ है ,जिसे एक प्रकार का पौराणिक ‘चौमासा’ भी कहा जाता है। तत्पश्चात सृष्टि के संचालन का उत्तरदायित्व भगवान शिव ग्रहण करते हैं। इसलिए सावन के प्रधान देवता भगवान शिव बन जाते हैं। सावन मास में समुद्र मंथन किया गया था। समुद्र मथने के बाद जो हलाहल विष निकला ,उसे भगवान शंकर ने अपने कंठ में समाहित कर सृष्टि की रक्षा की ,लेकिन विषपान से महादेव का कंठ नीलवर्ण हो गया। इसी से उनका नाम नीलकंठ महादेव पड़ा। विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया। इसलिए शिवलिंग पर जल चढ़ाने का खास महत्व है। यही वजह है कि श्रावण मास में भोलेनाथ को जल चढ़ाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।