राजस्व मंत्री का जिला प्रभारी अधिकारियों के भरोसे ,अपर कलेक्टर ,एसडीएम से लेकर तहसीलदार के पद रिक्त,राजस्व प्रकरण लटके

शासन को पत्र लिखने के बाद भी नहीं की जा रही पदस्थापना ,जिला पंचायत सीईओ संभाल रहे एडीएम का अतिरिक्त कार्य दायित्व

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा (भुवनेश्वर महतो)।
प्रदेश के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल का गृह जिला अफसरों की भारी कमी से जूझ रहा है। अपर कलेक्टर से लेकर ,एसडीएम तहसीलदार तक के पद भी प्रभारी अधिकारियों के भरोसे चल रहे । हालात यह बन आई है कि जहाँ सीईओ जिला पंचायत पिछले तीन माह से अपर कलेक्टर का अतिरिक्त कार्यदायित्व सम्भाल रहे तो वहीं कटघोरा एसडीएम को पाली एसडीएम का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। हरदीबाजार तहसीलदार भी पाली तहसीलदार की अतिरिक्त जिम्मेदारी संभाल रहे। प्रभारी अधिकारियों के भरोसे राजस्व विभाग की गाड़ी आगे नहीं बढ़ रही। तीनों ही स्तर पर सालों के सैकड़ों राजस्व प्रकरण लंबित हैं।

जब राजस्व मंत्री का जिला ही प्रभारी अधिकारियों के भरोसे चलने लगे तो आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि अन्य जिलों की क्या स्थिति होगी। जी हां औद्योगिक एवं आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिला इन दिनों कुछ इसी परेशानियों से जूझ रहा है। जिला गठन के बाद दूसरी बार अपर कलेक्टर के दोनों स्वीकृत पद 3 माह से रिक्त हैं। तो जनवरी माह में नवगठित पाली अनुविभाग प्रभारी अधिकारियों के भरोसे चल रहा। एसडीएम से लेकर तहसीलदार के पद भी यहाँ रिक्त हैं। हालात ऐसे हैं कि जहाँ सीईओ जिला पंचायत आईएएस कुंदन कुमार
पिछले तीन माह से अपर कलेक्टर का अतिरिक्त कार्यदायित्व सम्भाल रहे तो वहीं कटघोरा एसडीएम सूर्यकिरण तिवारी को पाली एसडीएम का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। हरदीबाजार तहसीलदार पंचराम सलामे भी पाली तहसीलदार की अतिरिक्त जिम्मेदारी संभाल रहे। लेकिन प्रभारी अधिकारियों के भरोसे राजस्व विभाग की गाड़ी आगे नहीं बढ़ पा रही। तीनों ही स्तर पर सालों के सैकड़ों राजस्व प्रकरण लंबित हैं। बात करें अपर कलेक्टर न्यायालय की तो यहाँ भू -अर्जन के 22 प्रकरण लंबित हैं। एसडीएम कोर्ट पाली का भी बुरा हाल है अतिरिक्त प्रभार के फेर में एसडीएम कोर्ट के विभिन्न स्तर के 80 प्रकरण पेंडिंग हैं। सबसे ज्यादा खराब स्थिति तहसीलदार न्यायालय की है। विवादित तहसीलदार विश्वास राव मस्के के डिप्टी कलेक्टर के पद पदोन्नत होकर बेमेतरा जिले के नवागढ़ एसडीएम के पद पर जाने के बाद सैकड़ों प्रकरण लंबित हो गए हैं।
सीमांकन के महज 16 फीसदी प्रकरण निराकृत हो सके हैं। कुल दर्ज 76 में से 64 प्रकरण अभी भी लंबित हैं। वहीं विवादित नामांतरण के प्रकरणों के निराकरण की गति भी बेहद धीमी हो गई है। महज 25 फीसदी प्रकरण निराकृत हो सके हैं। कुल दर्ज 172 प्रकरणों में अभी भी 101 प्रकरण लंबित हैं। विवादित बंटवारा के भी 49 फीसदी प्रकरण लंबित हैं। 65 में से 32 प्रकरण अभी तक निराकृत नहीं हो सके। यहीं नहीं तीनों प्रकरणों में 1 साल से अधिक के 13 प्रकरण लंबित हैं। जो गम्भीर लापरवाही को दर्शाता है। निश्चित तौर पर राजस्व प्रकरणों के निराकरण के लिए इस नवगठित अनुविभाग में न्याय पाने फरियादियों को चप्पल घिसने पड़ रहे हैं।

70 से 100 किलोमीटर तक कैसे करेंगे मॉनिटरिंग ,पृथक अनुविभाग की सार्थकता नहीं हो रही सिद्ध

कटघोरा अनुविभाग भौगोलिक दृष्टि से काफी वृहद अनुविभाग था। यहाँ से पाली के अंतिम ग्राम उड़ान की दूरी 110 किलोमीटर से अधिक की थी। जिसे देखते हुए जनप्रतिनिधियों की मांग पर जनवरी 2021 में राज्य शासन ने पाली को पृथक अनुविभाग की सौगात दी है। लेकिन जिस मंशा को लेकर शासन ने पाली को पृथक अनुविभाग बनाया है उसकी सार्थकता उधार के अधिकारियों के भरोसे सिद्ध नहीं हो पा रही । समस्या वहीं के वहीं आ खड़े हुई है। राजस्व प्रकरणों की पेंडेंसी बढ़ती जा रही है। दोनों ही पदों पर जिले में पर्याप्त अधिकारी होने के बाद भी उन्हें कार्यभार नहीं सौंपा जा रहा है।कलेक्टोरेट में 1 संयुक्त कलेक्टर आशीष देवांगन ,सहित 4 डिप्टी कलेक्टर भरोसा राम ठाकुर,अरुण खलखो ,नंदजी पांडेय ,हरिशंकर पैकरा पदस्थ हैं। निश्चित तौर पर इनमें से किसी एक को पाली अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के पद पर पदस्थ कर राजस्व विभाग के लंबित कार्यों को गति दी जा सकती है। लेकिन इस ओर अभी तक सार्थक पहल नहीं किया जा रहा । वैसे भी बिना ठोस वजह के पाली एसडीएम के पद से हटाकर जिला मुख्यालय बुलाए गए अरुण खलखो को लेकर प्रशासन के भूमिका को लेकर कई मायने निकाले जा रहे हैं। अब सारी निगाहें नई कलेक्टर पर टिकी हुई हैं। हरदीबाजार तहसीलदार के लिए भी पाली तहसीलदार का अतिरिक्त कार्यभार चुनोती बनी हुई है। पाली तहसील में 4 राजस्व निरीक्षक मंडल ,30 पपटवारी हल्के ,65 से अधिक राजस्व ग्राम ,4 मसाहती ग्राम शामिल हैं। कायदे से यहाँ दो नायब तहसीलदार पदस्थ हैं उन्हीं में से किसी एक को तहसीलदार का प्रभार दिया जा सकता है। बस्तर जैसे जिलों में एएसएलआर (सहायक अधीक्षक भू -अभिलेख) को प्रभारी तहसीलदार बनाया गया है।

तो क्या दो साल तक खाली रहेंगे पद

संयुक्त कलेक्टरों का अपर कलेक्टर के पद पर पदोन्नति फिलहाल आगामी 2 वर्ष तक नहीं होगी। जानकारी के अनुसार 2008 के बाद 3 साल तक नए डिप्टी कलेक्टरों की न तो नियुक्ति हुई न ही पदोन्नति। जिसकी वजह से वर्तमान कार्यरत बैच की अपर कलेक्टर के रूप में पदोन्नति 2023 के अंत में ही होगी। मामला स्पष्ट है अन्य जिलों में पदस्थ अपर कलेक्टरों को ही कोरबा में पदस्थ करना होगा। तभी एडीएम की कमी से प्रभावित होने वाले कार्य सुचारू रूप से चल सकेंगे। एडीएम के प्रभार क्षेत्र वाले कार्यों में पेंडेंसी की स्थिति निर्मित नहीं होगी।