जमीन ले ली न नहर बना न मुआवजा मिला,आक्रोशित किसानों ने कलेक्टर से लगाई न्याय की गुहार ,भू -अर्जन अधिकारियों को फुर्सत नहीं,लटक गई करोड़ों की सिंचाई परियोजनाएं

लोटना पारा के किसानों ने की शिकायत,जल संसाधन विभाग का मामला

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। जलाशय निर्माण के लिए निजी जमीन अधिग्रहित करने के दशकों बाद भी अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कटघोरा द्वारा भू -अर्जन नहीं किए जाने से मुआवजा की राह तक रहे किसानों के सब्र का बांध टूट गया है। जल संसाधन विभाग के तत्कालीन सब इंजीनियर रात्रे के खिलाफ किसान लामबंद हो गए हैं। मंगलवार को कलेक्ट्रेट पहुंचकर प्रभावितों ने निर्माण में की गई अनियमितता की जांच कर दोषी सब इंजीनियर के खिलाफ कार्यवाई की मांग की।

दरअसल पाली ब्लाक के ग्राम लोटनापारा उतरदा में जल संसाधन विभाग द्वारा करीब डेढ़ दशक पूर्व जलाशय निर्माण हेतु नहर के लिए किसानों की निजी भूमि अधिग्रहित की गई थी। तत्कालीन सब इंजीनियर श्री रात्रे(जो अभी यहाँ पोस्टेड नहीं हैं )के द्वारा जमीन अधिग्रहण के दौरान किसानों को त्वरित भू -अर्जन कराकर मुआवजा प्रदान करने का आश्वासन दिया गया था। वृहद क्षेत्र में सिंचाई सुविधा मिलने की आश में किसानों ने ने जमीन दे दी थी। लेकिन आज पर्यन्त मुआवजा नहीं मिला है ।न ही मुख्य कार्य के अलावा नहर का शेष कार्य अधूरा होने की वजह सेव नहर से पानी भी नहीं मिल रहा। किसान इससे आक्रोशित हैं। किसानों की मानें तो क्षेत्र में 4 और जलाशय भी पूर्व योजनाओं के तहत निर्मित हैं। इनमें बनमुड़ा उतरदा जलाशय ,सक्तिखर्रा उतरदा ,उतरदा से पितनी नदी शामिल है। रेलड़बरी उतरदा बांध तो बारिश की भेंट चढ़ गया। बाढ़ के आगोश में बह गया। अन्य जलाशय का भी समुचित लाभ क्षेत्रवासियों को नहीं मिल रहा। किसानों का आरोप है इनमें से अधिकांश योजनाओं का काम इंजीनियर श्री रात्रे द्वारा कराया गया। सभी निर्माण कार्य में तकनीकी मापदंडों व गुणवत्ता की अनदेखी की गई है। प्रभावितों खोलबहरा,रमेश कुमार,अनिल सिंह मरावी,श्याम सुंदर,धनसाय,सुखनन्द,रामसिंह ,बजरंगलाल,अंजोर सिंह ,हरिदास आदि ने इसकी शिकायत क्षेत्रीय विधायक पुरषोत्तम कंवर से भी की है। कोरबा जिला पांचवी अनुसूची में आता है उसके बाद भी करोड़ों की लागत से 4 जलाशय बनने के बाद भी कृषि योग्य भूमि को अधिग्रहण पश्चात खंडहर छोड़ दिए जाने ,सिंचाई सुविधा का लाभ नहीं मिलने से किसान निराश हैं।

कटघोरा पोंडी अनुविभाग में भू -अर्जन अधिकारियों को फुर्सत नहीं , प्रकरण समय पर नहीं हो रहा निराकृत

कोरबा अनुविभाग छोड़कर जिले के शेष तीनों अनुविभाग कटघोरा,पाली ,पोंडी उपरोड़ा में भू -अर्जन के प्रकरणों के निराकरण की स्थिति चिंताजनक निराशाजनक है। भू -अर्जन की पूरी प्रक्रिया में 32 माह (पौने 3 साल ) लगते हैं । लेकिन यहाँ तो 5 से 10 साल के भू -अर्जन के प्रकरण लंबित हैं। लोटनापारा रामपुर, कटघोरा डायवर्सन जैसी बड़ी सिंचाई परियोजनाएं भू -अर्जन की पेंच में अधूरी पड़ी हैं। जबकि इन परियोजनाएं हजारों हेक्टेयर प्यासी कृषि भूमि की प्यास बुझेगी। पर भू -अर्जन अधिकारियों को इस जनहित के कार्यों को प्राथमिकता व संजीदगी से तय समयसीमा में पूरा करने फुर्सत कहाँ मिलेगी। नतीजन करोड़ों के प्रोजेक्ट सफेद हाथी साबित हो रहे।