फिर एक पंडो की मौत, कम उम्र में शादी से कुपोषित और बीमार हो रहे पंडो 14 वर्ष तक मां व 30 तक बन जाती हैं दादी-नानी

कुपोषण व खून की कमी से 4 माह में 23 पंडो की मौत, इनमें पुरुष,महिलाएं व बच्चे, पड़ताल में सामने आई तस्वीर

अंबिकापुर /कोरिया -बलरामपुर जिले के रामचन्द्रपुर इलाके में विशेष संरक्षित पंडो जनजाति के लोगों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है। बिमलापुर निवासी 50 वर्षीय मानकुंवर पंडो की यहां मेडिकल काॅलेज अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। तीन दिन पहले ही उसे भर्ती किया गया था। महिला को हफ्ते भर से बुखार आ रहा था और घर में उसके परिजन झाड़-फूंक करा रहे थे।

पिछले महीने में क्षेत्र में जिन लोगों की मौत हुई है, उनमें कई मामले इसी तरह के थे। इलाके में 4 महीने में पंडो जनजाति के मरने वालों की संख्या 23 पहुंच गई है। मृतकों में महिलाएं और बच्चे हैं, जो कुपोषित थे। इसके पीछे कम उम्र में लड़कियों की शादी, परिवार नियोजन पर रोक, जागरूकता की कमी और अधंविश्वास बड़े कारण हैं। मीडिया ने इलाके में पड़ताल की तो पीड़ित कई महिलाएं ऐसी मिलीं, जो शादी की उम्र में ही दादी-नानी बन चुकी हैं। कई महिलाओं के 8-9 बच्चे हैं। कुपोषण के कारण लोग ठीक से चल फिर भी नहीं पाते हैं। इनमें बच्चे भी हैं। इनके शरीर की पसलियां गिनी जा सकती हैं। ये ऐसी समस्याएं हैं, जिससे महिलाएं और बच्चे दोनों मारे जा रहे हैं। गांवों में घूम रहे सरकारी नुमाइदों के पास इन समस्यों का बस एक ही घिसा-पिटा जवाब है कि लोग जागरूक नहीं हैं।
यूपी झारखंड में: नसबंदी कराने मांगते हैं रुपए
एक ऐसे पंडो से मुलाकात हुई, जिनके 10 बच्चे थे। इनमें दो बच्चों की मौत हो चुकी है। कई लोग ऐसे मिले, जिनके 5 से लेकर 9 बच्चे हैं। इनमें कई नई पीढ़ी के हैं और पत्नी और बच्चे कुपोषित हैं, लेकिन इसके बाद भी बच्चे निरंतर हो रहे हैं। इस पर सवाल करने पर लोग कहते हैं कि परिवार नियोजन हम लोगों का नहीं होता। नसबंदी शिविर में जाते हैं तो हमें लौटा दिया जाता है। जो लोग थोड़े सक्षम हैं, वे यूपी, झारखंड जाकर नसंबदी करा लेते हैं। यह पता चलने पर वहां अब पैसा मांगते हैं।

13 साल में पहला बच्चा: दूध पीना छोड़ता नहीं, इससे पहले दूसरा और तीसरा बच्चा

पंडो जनजाति के युवकों ने बताया कि 10-11 साल की उम्र में माता-पिता शादी के लिए रिश्ता देखने लगते हैं। 14-15 साल के होते तक शादी कर देते हैं। पीढ़ियों से ऐसा हो रहा है। कई महिलाएं ऐसी मिलीं, जिनके बच्चे की शादी हो गई है और अब भी उनके बच्चे हो रहे हैं। 13 से लेकर कई महिलाओं के बच्चे दिखे। ऐसी स्थिति क्यों हैं, इस सवाल पर एक पंडो बताने लगा कि पहला बच्चा मां का दूध पीना छोड़ता नहीं और दूसरा, तीसरा बच्चा हो जाता है। यह सिलसिला सात-आठ बच्चों तक चलते रहता है। हर साल उनके बच्चे हो रहे हैं।

शिक्षा से ही दूर होगी समस्या: पंडो जनजाति में कम उम्र में विवाह कुप्रथा के समान

विशेष पिछड़ी पंडो जनजाति परिवारों में बाल विवाह सबसे अधिक पाया जाता है। इसका मुख्य कारण अशिक्षा है। जल्दी विवाह करना या ज्यादा बच्चा रखना परंपरा नहीं जागरूकता की अभाव है। वहीं परिवार नियोजन के लिए प्रतिबंध भी हैं। पंडो जनजाति में पहले से कम उम्र में शादी करने का एक कुप्रथा के समान है। अभी भी 90 प्रतिशत लोगों की कम उम्र में शादी हो जाती है। जिस दिन पंडो परिवार के हर घरों में शिक्षित लोग होंगे, उस दिन ये सभी समाप्त हो जाएगा। उदय पंडो, प्रदेश अध्यक्ष, सर्व विशेष पिछड़ी जनजाति समाज

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30 साल में बनी 6 बच्चे की मां दो बेटियों की कर चुकी शादी
ओरंगा निवासी कमला पंडो शारीरिक रूप से काफी कमजोर हो चुकी हैं और उसका इलाज चल रहा है। महिला के 2 बेटे और 4 बेटियां हैं। इनमें 5 साल पहले बड़ी बेटी की, जबकि 2 साल पहले दूसरी बेटी की शादी हो चुकी है। और 4 छोटे-छोटे बच्चे हैं।

पति व 2 बेटों की खून की कमी से मौत, पत्नी, 2 बच्चे कुपोषित
दोलंगी निवासी ररोरिया पंडो 30 साल की है। उसके दो बेटे और पति की कुछ दिन पहले खून की कमी से मौत हो गई थी। महिला और उसके दोनों बच्चे भी कमजोर हैं। इससे वह घर का काम भी ठीक से नहीं कर पाती। पति की मौत के बाद घर की पूरी जिम्मेदारी महिला पर आ गई है।

32 साल की उम्र में छह बच्चे, मां कुपोषित, अक्सर रहती हैं बीमार
आनंदपुर निवासी राजकुमार पंडो के 6 बच्चे हैं। मां कमजोर है और अक्सर बीमार रहती है। इसी उम्र में एक बच्चे की शादी कर चुके हैं। परिवार मजदूरी कर जीवन-यापन कर रहा है। परिवार अधिक होने के कारण खर्च अधिक है और किसी तरह से घर चल रहा है।

16 साल में बच्चे को दिया जन्म एनिमिया का चल रहा इलाज
बैकुंठपुर ब्लाॅक के मुरमा पंचायत के बैगापारा में रहने वाली 19 वर्षीय पूर्णिमा एक बच्चे को जन्म दे चुकी हैं और एनिमिया से ग्रसित भी है। वह 16 साल की उम्र में ही गर्भवती हो गई थी। पूर्णिमा को भी एनिमिया होने के कारण हमेशा खून की कमी बनी रहती है।

18 की उम्र में गर्भवती, दो बच्चों की मां, एनिमिया से है ग्रसित
मुरमा की ही रहने वाली 23 वर्षीय प्रियंका दो बच्चों की मां है और एनिमिया से ग्रसित है। पहली बार प्रियंका 18 साल की उम्र में गर्भवती हुई और अब तक दो बच्चों काे जन्म दे चुकी हैं। दोनों बच्चों के बीच तीन साल का अंतराल भी नहीं रखा। इसे भी खून की कमी है।

17 की उम्र में मां बनी, 25 तक 3 बच्चों का जन्म, फिर गर्भवती
मुरमा के महुआपारा की 25 वर्षीय सहोद्री पहले ही तीन बच्चों को जन्म दे चुकी हैं और अब चौथा बच्चा गर्भ में है। सहोद्री ने पहली बार 17 साल की उम्र में गर्भवती हुई थी और एनिमिया से ग्रसित होने के बाद जानकारी के अभाव में लगातार तीन बच्चों को जन्म दे चुकी हैं। यहीं नहीं चौथी बार गर्भवती हैं।