200 रुपए में 1 नशीली टेबलेट का करते थे सौदा,280 नग टेबलेट के साथ पकड़ाए दो आरोपी

एसपी के नेतृत्व में कुसमुंडा पुलिस ने की कार्रवाई ,मचा हड़कम्प कई होंगे बेनकाब

कोरबा। नशे के कारोबारियों ,सौदागरों के खिलाफ एसपी भोजराम पटेल के नेतृत्व में कार्रवाई जारी है। कुसमुंडा पुलिस ने एक बड़ी कार्यवाई करते हुए 280 नग नशीली टेबलेट के साथ दो युवकों को गिरफ्तार किया है। युवक टेबलेट की बिक्री करते थे। इस कार्रवाई से एक बार फिर नशीली दवाओं के कारोबारियों में हड़कंप मचा है।

थाना प्रभारी लीलाधर राठौर को सूचना मिली कि दो लड़के सीआईएसएफ कैंटीन विकास नगर के पास नशा में प्रयुक्त होने वाली दवाईयां रखकर बिक्री कर रहे हैं। सूचना मिलते कुसमुंडा पुलिस हरकत में आ गई। सीआईएसएफ कैंटीन के पास जाकर दो लड़कों को 2 अलग -अलग मोटर सायकल के साथ संदिग्ध हालत में पकड़कर पूछताछ किया गया। जिन्होंने अपना नाम मोहन राजपूत उर्फ छोटू पिता स्व.ओमप्रकाश 20 वर्ष सर्वमंगला नगर दुरपा व मनीष कौशक पिता अशोक कौशिक 22 वर्ष निवासी वैशाली नगर कुसमुंडा होना बताया। इनकी तलाशी लेने पर मोहन राजपूत के पास से 6 स्ट्रीप में 48 नग तथा मनीष के पास से 29 स्ट्रीप में 232 नग नीला रंग वाले पाईवोन स्पास प्लस कैप्सूल कुल 280 नग कैप्सूल बरामद हुआ। उक्त नशीली दवाइयों के बारे में पूछताछ करने पर आरोपियों ने एक कैप्सूल 200 रुपए में बेचने के लिए ग्राहक का इंतजार करना बताए। आरोपीगण से बरामद 280 नग कैप्सूल की कीमत लगभग 80 हजार रुपए आंकी गई । नशीली कैप्सूल सहित 2 मोटरसाइकिल ,2 मोबाइल जब्त कर धारा 22 नारकोटिक्स एक्ट के अंतर्गत कार्रवाई कर आरोपीगण को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

तो क्या शहर में फैल चुका है नेटवर्क,कहाँ से पहुंच रही नशीली दवाई,सो रहा ड्रग विभाग !

नए पुलिस कप्तान के आने के बाद जिले में नशीली दवाइयों के कारोबारियों की शामत आ गई है। पुलिस लगातार कार्यवाई कर रही है। शहर सहित उपनगरीय क्षेत्रों में पुलिस ने कई मामलों में कार्यवाई की है। लेकिन इसके साथ ही जिलेवासियों के बीच यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि आखिर किसकी शह पर नशे का कारोबार जिले में इस कदर फल फूल चुका है कि खुलेआम लोग नशीली दवाई बेच रहे। क्या पुलिस के हाथ अभी सिर्फ प्यादे लगे हैं नेटवर्क चलाने वाले पुलिस से बेफिक्र हैं। आखिर युवाओं के रगों में नशा रूपी जहर घोलने वालों के खिलाफ खाद्य एवं औषधीय प्रशासन विभाग की कार्यवाई क्यूँ नजर नहीं आती। कैसे जिले में सहायक औषधि नियंत्रक से लेकर औषधि निरीक्षक पिछले 3 साल से अधिक समय से जमे हैं।फिर भी मेडिकल स्टोर्स पर सतत जांच व कार्यवाई नजर नहीं आती। कागजों में फार्मासिस्ट दिखाकर कैसे मेडिकल स्टोर्स का संचालन किया जा रहा है।