नायब तहसीलदार सोनू अग्रवाल अपने गृह क्षेत्र होने के बावजूद नियम विरुद्ध दर्री के प्रभारी तहसीलदार बने
हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। राजस्व मंत्री के जिले में पहुंच वालों का गजब का जुगाड़ चल रहा है। मलाईदार पद व स्थान पर बने रहने की वजह से सारे नियम कायदे कागजों में ही सिमट कर रह गए हैं। नायब तहसीलदार जहाँ समन्वय में हुए तबादले के 2 माह बाद भी कार्यमुक्त नहीं हुए। वहीं सहायक शिक्षक एलबी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने की जगह 9 साल से एसडीएम के स्टेनो बने हुए हैं। यही नहीं जिला कार्यालय में पदस्थ लिपिक कटघोरा अनुविभाग के मलाईदार डायवर्सन शाखा में दो साल से संलग्न है।

आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिला औद्योगिक जिला के रूप में पूरे प्रदेश देश में पहचान बना चुका है। कोरबा से शासन को इतना राजस्व मिलता है कि यहाँ के राजस्व से 5 जिले का बजट चलता है। यही वजह है कि हर शासकीय सेवक कोरबा जिले में आना चाहता है। लेकिन यहां पदस्थ होने के बाद यहां से जाने की किसी की इच्छा नहीं होती। यहाँ की आबो हवा व अकूट राजस्व अधिकारी कर्मचारियों को इस कदर रास आता है कि अपना स्थानान्तरण रुकवाने ऐडी चोटी का जोर लगाने से पीछे नहीं हटते। जिले के राजस्व विभाग में कमोबेश कुछ ऐसी ही स्थिति बनी हुई है। प्रभारी तहसीलदार दर्री के पद पर पदस्थ नायब तहसीलदार सोनू अग्रवाल का 2 माह पूर्व छत्तीसगढ़ शासन राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने गौरेला -पेंड्रा -मरवाही स्थानान्तरण किया था। स्थान्तरण के लिए समन्वय पर अनुमोदन प्राप्त किया गया था। लेकिन 2 माह बीतने के बाद भी आज पर्यन्त पदस्थ हैं।यहाँ बताना होगा कि राजस्व अधिकारियों के पदस्थापना नीति में इस बाद का भलीभांति ध्यान रखा जाना आवश्यक है कि किसी भी उनके गृह क्षेत्र में प्रभार न दिया जाए। बावजूद सोनू अग्रवाल के प्रकरण में उक्त नियमों को नजरअंदाज कर दिया गया। नायब तहसीलदार सोनू अग्रवाल इससे पूर्व करीब 5 माह तक उप पंजीयक कोरबा के प्रभार में भी रहे। इस दौरान उनकी कार्यशैली काफी चर्चित रही थी। रामपुर विधायक ननकीराम कंवर ने उन पर मोटी रकम लेकर रजिस्ट्री करने का आरोप लगाया था। बाद में भी विवाद बढ़ता देख जिला प्रशासन ने उन्हें हटा दिया था। पर उनको उनके गृह क्षेत्र बालको के अंतर्गत आने वाले दर्री तहसील का प्रभारी तहसीलदार बनाए जाने पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।
डीईओ कार्यालय मेहरबान 9 साल से स्कूल में पढाना छोंड एसडीएम का स्टेनो बना शिक्षक
संलग्नीकरण की दोषपूर्ण व्यवस्था भले ही शासन ने कागजों में समाप्त कर दी हो पर जिले में यह कभी समाप्त नहीं होगा। पोंडी उपरोड़ा सहित जिले में संलग्नीकरण समाप्त किए जाने के 6 माह बाद भी शिक्षक मूल संस्था के लिए कार्यमुक्त नहीं हुए हैं। इन शिक्षकों में पोंडी उपरोड़ा ब्लाक में पदस्थ एक ऐसे शिक्षक भी हैं जो करीब 9 साल से एसडीएम पोंडी उपरोड़ा के कार्यालय में स्टेनो के पद पर पदस्थ हैं। इस बीच आधा दर्जन से अधिक एसडीएम आए और चले गए । पर मजाल है कि कोई इन्हें यहाँ से हटा सकें। ये वनांचल प्राथमिक शाला अमाखोखरा में पदस्थ शिक्षक ईश्वर जायसवाल हैं। इनका कलेक्टर रानु साहू की फटकार के बाद डीईओ ने बैक डेट में 23 मार्च 2021 को संलग्नीकरण समाप्त कर मूल शाला में भेजने आदेशित कर दिया। खुद डीईओ सतीश पांडेय स्थानान्तरण आदेश में मुंगेली चले गए पर शिक्षक ईश्वर आज भी स्टेनो के पद पर कार्यरत हैं।आदिवासी बाहुल्य वनांचल स्कूल आमाखोखरा के बच्चों की पढ़ाई भगवान भरोसे चल रही है।
भू -अभिलेख शाखा का लिपिक 2 साल से एसडीएम कार्यालय के मलाईदार डायवर्सन शाखा में संलग्न
नियम कायदों को दरकिनार करने का सिलसिला जिला कार्यालय में भी नहीं रुका। कार्यालय कलेक्टर अधीक्षक भू -अभिलेख शाखा में पदस्थ सहायक ग्रेड -2 विनोद कुमार सूर्यवंशी पिछले 2 साल से कटघोरा एसडीएम कार्यालय के मलाईदार डायवर्सन शाखा में संलग्न हैं। इनको मूल कार्यालय में भेजने पत्र लिखा जा चुका है ।हाल ही में एक लिपिक सहायक ग्रेड -3 रोहित यादव के देहांत के बाद लिपिक सूर्यवंशी के वापसी की मांग ने जोर पकड़ ली है।