कवर्धा के बाद कोरबा में फूटा आक्रोश ,रेडी टू ईट निर्माणकर्ता महिला समूहों ने कलेक्टोरेट तक निकाली रैली ,राज्य सरकार पर लगाए महिलाओं को बेरोजगार करने का आरोप

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। पिछले डेढ़ दशक से रेडी टू ईट उत्पादन एवं वितरण का कार्य कर रहीं जिले के 91 स्व सहायता समूहों की करीब एक हजार सदस्य महिलाओं ने शनिवार को कोसाबाड़ी से कलेक्टोरेट तक रैली निकालकर रेडी टू ईट उत्पादन का कार्य से पृथक किए जाने कैबिनेट में पारित प्रस्ताव को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ जमकर आक्रोश व्यक्त किया। तख्ती लेकर महिलाएं मुख्यमंत्री के फैसले के खिलाफ नाराजगी जाहिर करते हुए कलेक्टोरेट पहुंची। जहां कलेक्टर के नाम उन्होंने डिप्टी कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।

छत्तीसगढ़ के आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से महिलाओं और बच्चों में कुपोषण दूर करने के लिए वितरित किए जा रहे टू ईट पोषण आहार की गुणवत्ता को और बेहतर बनाने केंद्रीयकृत व्यवस्था की कैबिनेट में घोषणा के बाद प्रदेश में विरोध प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया है। कवर्धा के कलेक्टोरेट घेराव के बाद कोरबा में भी शनिवार को यह नजारा देखने को मिला। 91 महिला स्व सहायता समूहों की बेरोजगार हो चुकीं हजारों महिला सदस्यों ने सुभाष चौक से कलेक्टोरेट तक विशाल रैली निकाली। रैली में शामिल महिलाओं के हाथ मे तख्ती लेकर राज्य सरकार के फैसले को महिला विरोधी कदम बताते हर जमके नारेबाजी की।राज्य सरकार पर तानाशाही नारी शक्ति के अपमान का आरोप लगाया। कलेक्टर के नाम डिप्टी कलेक्टर श्री तेंदुलकर को सौंपे ज्ञापन के माध्यम से रेडी टू ईट निर्माणकर्ता महिलाओं ने बताया है कि जिले में 91 समूह कार्यरत हैं। महिलाओं को कार्य देने से सरकार की मंशा पूर्ण होने के साथ साथ महिला सशक्तिकरण का भी उद्देश्य पूरा होता है। उन्होंने कहा कि शासन रेडी टू ईट पोषण आहार का निर्माण कार्य कृषि विकास एवं कृषक कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम को उक्त कार्य देने जा रही । जिसके पीछे शासन का यह तर्क है कि इससे रेडी टू ईट की गुणवत्ता में सुधार आएगा। सरासर गलत है।उन्होंने बताया कि शासन की यह योजना पिछले डेढ़ दशक से चल रही है अगर गुणवत्ता में कोई कमी पाई जाती है तो शासन की ओर से नोटिस जारी कर निलंबन की कार्रवाई की गई होती । शासन द्वारा अचानक लिया गया निर्णय महिला स्व सहायता समूहों को हटाने की दिशा में लिया जाने वाला कदम है जो कि अनुचित है।शासन न तो इस योजना को समाप्त कर रही है न ही महिला स्व सहायता समूह पर ऐसा कोई आरोप या रिपोर्ट है जिसके आधार पर महिला स्व सहायता समूह के निर्माण कार्य पर प्रश्नचिन्ह उठाया गया है।उन्होंने कलेक्टर से जिले में कार्यरत महिला स्व सहायता समूहों की आवाज को शासन तक पहुंचाने का आग्रह किया। ताकि शासन द्वारा लिए गए निर्णय को वापस लिया जा सके। समस्त महिला स्व सहायता समूह रेडी टू ईट के निर्माण वितरण के लिए शासन के द्वारा निर्धारित पैरामीटर के अनुरूप कार्य करते आ रहे हैं। उन्हें उनके कार्य से मुक्त करने की स्थिति में महिलाओं के समक्ष कोरोना महामारी के पश्चात डगमगाती अर्थव्यवस्था के माहौल में बेरोजगारी का सामना करना पड़ेगा।

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13 साल तक खिलाया,आज गुणवत्ता की याद आ रही ,समूह बनाओ समूह बढ़ाओ का नारा महज दिखावा -ज्योति पांडेय

हरदीबाजार निवासी ज्योति पांडेय ने कहा कि एक तरफ सरकार समूह बनाओ समूह बढ़ाओ का नारा लगा रही दूसरी ओर महिला समूहों से कार्य छीनकर उन्हें बेरोजगार कर रही है। उन्होंने कहा कि जब 2009 में योजना की शुरुआत हुई उस दौरान समय पर समूहों को भुगतान नहीं होता था। महीनों बाद बिल निकलता था। ऐसी विकट परिस्थितयों में भी महिलाओं ने सरकार का दामन नहीं छोंडा अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटे। जेवर ,बर्तन गिरवी रखकर परिवार की खुशियों को दांव पर लगाकर योजना का सुचारू ढंग से संचालन करते रहे।बच्चों के बीमार होने की स्थिति में भी रेडी टू ईट का वितरण बाधित नहीं किया। लेकिन आज छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार यह कहती है कि सन 2013 में सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश आया था जिसमें उल्लेख था कि महिलाएं गुणवत्तापूर्ण ढंग से रेडी टू ईट नहीं बनातीं इसलिए हम स्वचलित मशीन से रेडी टू ईट तैयार करेंगे। यह तर्क पूर्णतः असत्य है।आज महिलाएं ही सभी घरों में भोजन व अन्य सभी खाद्य पदार्थ तैयार करती हैं जो शुद्ध व सेहतमंद रहता है। 13 साल से रेडी टू ईट भी बनाकर खिलाया ,लेकिन आज सरकार प्रदेश की इस योजना से जुड़ी 3 लाख महिलाओं को बेरोजगार करने पर तुली है जो अन्याय है। आज ये महिलाएं योजना से पृथक हो जाती हैं तो इनका परिवार सड़क पर आ जाएगा। अतः शासन महिला स्व सहायता समूहों के माध्यम से ही रेडी टू ईट का संचालन सुनिश्चित करे।