जांजगीर-चांपा । प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जांजगीर-चांपा जिला स्थित सीपत ग्राम पंचायत में अपात्र हितग्राहियों को आवास लाभ दिए जाने का मामला प्रकाश में आया है, जिसमें कुछ भ्रष्ट कर्मचारियों की संलिप्तता है।
दरअसल, यह मामला काफी पेचीदा प्रतीत होता है क्योंकि इस मामले की शिकायत पहले ही जिला पंचायत सीईओ से की जा चुकी है, जिसके बाद उन्होंने जांच टीम गठित की और मामले में गड़बड़ी जान पड़ने के बाद सभी हितग्राहियों की दूसरी किस्त को होल्ड पर कर दिया। वही, 2 साल बाद मालखरौदा ब्लॉक समन्वय को लेनदेन के मामले में जनपद से हटा दिया गया और नये ब्लॉक समन्वय को लाया गया। परंतु कहते है ना व्यक्ति अपनी आदत से बाज नही आते तो एक भ्रष्ट कर्मचारी के बाद अब दूसरे ने भी वही रास्ता अपना लिया।
क्या है मामला –
मालखरौदा जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत छोटे सीपत में कुल 11 अपात्र हितग्राहियों को पात्र बना कर आवास मित्र द्वारा प्रधानमंत्री आवास का लाभ दिया जा रहा था, जिसमें मालखरौदा ब्लॉक समन्वय सौरभ साहू और आवास मित्र के द्वारा लेनदेन की शिकायत की गई। जिसके बाद पूर्व जिला पंचायत सीईओ ने सभी हितग्राहियों की किस्त पर रोक लगा दी। पर अब नए ब्लॉक समन्वय आने के बाद हितग्राहियों के साथ सांठगांठ कर ली गई है और उन्हें रुका हुआ किस्त दे दिया गया। आश्चर्य है कि मालखरौदा ब्लॉक समन्वय कमल बारेठ ने अपने उच्च अधिकारी के आदेश को दरकिनार कर यह कारनामा कर दिखाया।
तकनीकी सहायकों की भारी लापरवाही –
मामले में एक और हैरान करने वाली बात है कि पुराने मकान को जिओ टेक कर किस्त निकाला गया है। जानकारी के अनुसार 11 अपात्र हितग्राहियों ने अपने पुराने मकान को जियो टैक करवा कर किस्त के पैसे लिए है। मकान सही तरीके से बन रही है या नहीं..? इस पर नजर रखने का कार्य तकनीकी सहायक का रहता है वह, भी यहां अपने कार्य पर चुके नजर आए, जिससे साफ है कि इस कार्य में उसकी भी मिली-भगत है।
ब्लॉक समन्वक का गोल-मोल जवाब –
जब मामले को लेकर हमारे संवाददाता ने मालखरौदा के ब्लॉक समन्वक कमल बारेठ से बात करने की कोशिश की तो उनका जवाब कुछ अजीब सुनने को मिला। उन्होंने पुरानी कार्यवाही के बारे में ही तोड़ मरोड़ कर बताना शुरू कर दिया और साथ बैठकर बात करने की कहने लगे। इससे मालखरौदा ब्लॉक समन्वय के ऊपर सवाल उठना शुरू हो गया है कि मामला क्या है, जो साथ बैठ कर ही बताया जा सकता है।
बहरहाल, अब देखना होगा कि मामला प्रकाश में आने के बाद उच्च अधिकारियों द्वारा इस पर किस तरह का एक्शन लिया जाता है।