सिरमिना धान खरीदी केंद्र में पांव रखने की जगह नहीं,बफर लिमिट क्रास, ट्रैक्टरों की लगी कतार, भड़के किसान बोले तीन टोकन की अनिवार्यता कर शासन कर रही परेशान,मार्केफेड नहीं कर सका नए बारदानों का इंतजाम, कटे फ़टे बारदानों की वजह से समिति प्रबंधक ले रहे अतिरिक्त धान

  • हसदेव एक्सप्रेस न्यूज़ कोरबा (भुवनेश्वर महतो )। मार्कफेड की लचर परिवहन व्यवस्था एवं बड़े (दीर्घ) किसानों के लिए तीन बार टोकन काटने की अनिवार्यता ने जिले में धान बेचने वाले किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। जिले के वनांचल ब्लाक पोंडीउपरोड़ा के अंतिम छोर पर बसे उपार्जन केंद्र सिरमिना में बफर लिमिट 5500 क्विंटल से अधिक धान उठाव के लिए जाम पड़ा हुआ है। मार्कफेड द्वारा धान का उठाव नहीं करने एवं पंजीकृत किसानों को धान बेचने के लिए तीन-तीन बार टोकन जारी करने की वजह से यहां धान खरीदी के लिए पांव रखने तक की जगह नहीं बची है । हालात यह है कि मंगलवार को धान बेचने आने वाले किसानों ने शासन की इस व्यवस्था का विरोध करते जमकर नाराजगी जाहिर की । किसानों के नाराजगी की वजह से काफी समय तक उपार्जन केंद्र में धान खरीदी का कार्य प्रभावित हुआ । किसानों ने तीन टोकन की व्यवस्था को तत्काल समाप्त करते हुए किसानों से एक बार में ही पूरा धान लिए जाने की बात कही।

यहां बताना होगा कि पूरे प्रदेश में 1 दिसंबर से लेकर 30 जनवरी तक नगद एवं लिंकिंग व्यवस्था के तहत पंजीकृत किसानों से धान खरीदी का कार्य किया जा रहा है जिले के 55 उपार्जन केंद्रों में धान खरीदी जारी है। जिले को इस साल 15 लाख 54 हजार 344 क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य दिया गया है 41 समितियों के 55 उपार्जन केंद्रों में पंजीकृत 38 हजार 222 पंजीकृत किसानों के माध्यम से धान खरीदी का कार्य किया जाना है। 21 दिसंबर तक की स्थिति में जिले के 41 समितियों के 55 उपार्जन केंद्रों में 4 लाख 29 हजार 975 क्विंटल 20 किलो धान की खरीदी हो चुकी है । अभी तक जिले के 10 हजार 936 किसान 83 करोड़ 40 लाख 97 हजार 376 रुपए का का धान समर्थन मूल्य पर बेच चुके हैं । इनमें से 1लाख 88 हजार 232 क्विंटल धान राइस मिलरों कस्टम मिलिंग के लिए जारी किया गया है। निश्चित रूप से धान खरीदी के कार्य में अभी तक जिला प्रशासन की पुख्ता व्यवस्था की वजह से किसी प्रकार की शिकायतों एवं परेशानियों की खबरें सामने नहीं आई थी लेकिन अब जैसे-जैसे धान खरीदी का कार्य आगे बढ़ रहा है । धान खरीदी की मियाद कम होती जा रही है तो पार्जन केंद्रों में अव्यवस्थाओं एवं शिकायतों का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। हसदेव एक्सप्रेस की टीम ने मंगलवार को जिले के पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड के अंतिम छोर पर बसे ग्राम सिरमिना स्थित उपार्जन केंद्र का जायजा लिया। यहां हैरान करने वाली तस्वीर नजर आई। मंगलवार को यहां बड़ी संख्या में किसान धान बेचने के लिए पहुंचे हुए थे उपार्जन केंद्र के बाहर ट्रैक्टरों की कतार लगी हुई थी दर्जनों ट्रैक्टर उपार्जन केंद्र के बाहर अपनी बारी के इंतजार में खड़े हुए थे। उपार्जन केंद्र पहुंचने पर जो नजारा दिखा वह भी हैरान करने वाला था उपार्जन केंद्र में पांव रखने तक की जगह नहीं थी। बताया जा रहा है कि यहां 21 दिसंबर तक की स्थिति में कुल 12 हजार 714 क्विंटल धान की खरीदी हो चुकी है जिसमें से 7314 क्विंटल धान अभी भी उपार्जन केंद्र में पड़ा हुआ है जबकि जिले में बफर लिमिट 55 00 क्विंटल निर्धारित की गई है इस लिहाज से देखें तो बफर लिमिट से करीब करीब 2000 क्विंटल अधिक धान उपार्जन केंद्र में पड़ा हुआ था । जिसकी वजह से छोटे से भूभाग पर संचालित उपार्जन केंद्र सिरमिना में धान खरीदी के कार्य में दिक्कतें आ रही थी ।उपार्जन केंद्र पहुंचे किसानों ने प्रबंधक को को घेर लिया था । किसान नाराजगी जता रहे थे कि प्रतिदिन महज 14 किसानों को टोकन जारी किया जा रहा है एक हजार क्विंटल धान की लिमिट तय की गई है जबकि इस लिमिट को बढ़ाया जाना चाहिए। किसानों में सबसे ज्यादा नाराजगी तीन बार धान खरीदी के लिए टोकन जारी करने की व्यवस्था को लेकर थी। किसानों का कहना था कि बड़े किसानों को धान बेचने के लिए 3 बार टोकन जारी किया जा रहा है जो कि किसानों के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है उन्हें धान बेचने के लिए तीन बार वाहन की व्यवस्था कर धान बेचने आना पड़ रहा है इस तरह उन्हें धान बेचने के लिए अतिरिक्त राशि खर्च करना पड़ रहा है जो कि किसानों के लिए परेशानी भरा है। किसानों ने एक टोकन में ही किसानों का पूरा धान लिए जाने की बात कही। समिति प्रबंधकों ने बताया कि दीर्घ किसानों को 3 बार टोकन जारी करने की व्यवस्था शासन स्तर से की गई है लिहाजा वे इस संबंध में कुछ नहीं कर सकते सिर्फ उच्च अधिकारियों को ही से अवगत करा सकते हैं ।कमोबेश यही नजारा उपार्जन केंद्र कुल्हरिया में भी नजर आया यहां भी किसान 3 बार टोकन काटने की व्यवस्था से खासे नाराज नजर आए। यहां प्रतिदिन 400 क्विंटल का लिमिट तय किया गया है इसके आधार पर ही किसानों को टोकन जारी किया जा रहा है जिससे किसानों में रोष व्याप्त था। कुरथा के किसान राम मनोहर पांडे एवं कुल्हरिया के किसान संग्राम सिंह ने कहा कि प्रतिदिन महज 10 किसानों का टोकन कटता है इस लिहाज से 400 क्विंटल तक ही धान खरीदा जा रहा है इस लिमिट को कम से कम 1 हजार क्विंटल तक बढ़ाया जाना चाहिए । यहां किसानों से निर्धारित मात्रा से अधिक प्धान लिए जाने की भी शिकायतें सामने आई ।

मार्केट नहीं कर सका नए बारदानों का इंतजाम, कटे फ़टे बारदानों की वजह से समिति प्रबंधक ले रहे अतिरिक्त धान

मार्कफेड इस साल भी नए बारदाना की व्यवस्था नहीं कर सका। एक भर्ती (एक बार धान खरीदे जा चुके )
बारदाने एवं पीडीएस के बारदानों में धान खरीदी की जा रही है। समितियों में जो बारदाना प्रदाय किया गया है उसकी गुणवत्ता बेहद खराब है। कटे-फटे बारदाने समितियों में पहुंचा दिए गए हैं। धान खरीदी अभियान गति पकड़ चुकी है। ऐसे में समिति के कर्मचारियों के पास भी कटे-फटे बारदानों को पूरी तरह व्यवस्थित कर धान खरीदी करने का समय नहीं बचा है । लिहाजा आनन-फानन में उपार्जन केंद्रों में धान खरीदी की जा रही है । कटे-फटे बारदानों में लिए जा रहे धान काफी मात्रा में नीचे गिर रहे हैं समिति को शार्टेज का भी डर सता रहा है लिहाजा समिति के कर्मचारियों ने इस नुकसान की भरपाई किसानों के माध्यम से करने का तरीका ढूंढ निकाला है । किसानों से तय मात्रा से 500 ग्राम से 1000 ग्राम तक अधिक धान लिया जा रहा है । उपार्जन केंद्र कोरबी एवं कुल्हरिया में यह नजारा देखने को मिला।उपार्जन केंद्र कोरबी में तो हद ही कर दी गई यहां राइस मिल को प्रदाय किए जाने वाले धान की जब तौल कराई गई तो यहां एक 41 किलो 600 ग्राम तक वजन पाई गई इस तरह देखा जाए तो किसानों से करीब करीब 800 ग्राम अतिरिक्त धान समिति के कर्मचारियों ने लिया है । यह धान सीधे तौर पर कस्टम मिलिंग के लिए राइस मिलों को प्रदान किया जाएगा । समिति के कर्मचारियों का भी कहना था कि कटे-फटे बाल आने की वजह से वह किसानों से उनकी सुरक्षा अनुसार कुछ अतिरिक्त धन लेने के लिए मजबूर हैं ताकि उन्हें आर्थिक नुकसान झेलना पड़े। बहरहाल शासन प्रशासन एवं समिति के कर्मचारियों के बीच में किसान पीस रहे हैं । किसानों के गाढ़ी खून पसीने से उपार्जित धान कि सीधे तौर पर लूट की जा रही है निश्चित तौर पर जिला प्रशासन एवं धान खरीदी व्यवस्था से जुड़े जिम्मेदार विभागों के अधिकारी कर्मचारियों को इस पर उचित ध्यान देना चाहिए ताकि किसान ना लूटे जाएं।