कोरबा। ठेका कर्मचारी 26 दिसम्बर को एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री निवास का घेराव करेंगे। विद्युत विभाग में कार्यरत ड्रिस्टिब्यूशन, ट्रांसमिशन, जनरेशन के 25 हजार ठेका कर्मचारी आंदोलन में शामिल होने वाले हैं। प्रथम चरण में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन एवं मुख्यमंत्री निवास घेराव का कार्यक्रम रखा गया हैं, जो कि रायपुर बूढ़ा तालाब इंडोर स्टेडियम के पास रखा गया है।
विद्युत विभाग में कार्यरत ठेका कर्मचारी विगत 15 वर्षो से कार्यरत हैं जो शोषित होते आ रहें हैं। विद्युत विभाग ठेका कर्मचारी कल्याण संघ ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि चुनावी घोषणा पत्र के अनुसार ठेका प्रथा बंद करने पर अमल करें और इस शोषण प्रथा को बंद करें, क्योंकि ये ठेका प्रथा बनाया गया है जिसका मुख्य उद्देश्य शोषण करना ही है।
पूरे छत्तीसगढ़ विद्युत विभाग में कार्यरत ठेका कर्मचारी जैसे सब स्टेशन,एफ ओ सी, मेंटेनेंस ठेका कर्मचारी,कंप्यूटरऑपरेटर,ड्राइवर,गार्, अन्य टेक्निकल में कार्यरत 80% ठेका कर्मचारियों को कलेक्टर दर पर सही पेमेंट नहीं मिलता है और 50% कर्मचारियों का ईपीएफ जमा नहीं किया जाता। ईएसआईसी का 50%को ही लाभ मिल पाता हैं, कार्य के दौरान दुर्घटना हो जाने या मृत्यु हो जानें पर ठेकेदार और विभाग के द्वारा कोई मदद के लिए सामने नहीं आते,विद्युत विभाग में कार्यरत ठेका कर्मचारी गर्मी, बारिश, ठंड, हवा तूफान, कोरोना संक्रमण काल, हर स्थिति में अपने कार्य को महज सात से आठ हजार में अपने हाई रिस्क कार्य को पूरे लगन से कर रहे हैं।
मांगों पर एक नजर
ऊर्जा मंत्री भूपेश बघेल से संघ ने निवेदन किया है कि ठेका प्रथा को समाप्त किया जाए एवं विद्युत विभाग में समायोजित कर देवे या फिर हमें डायरेक्ट विभाग से अनुबंधीत कर कार्य संचालन करे, पंजाब और हरियाणा सरकार के द्वारा कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी को दिए जा रहे वेतन के समान हमें भी वेतन दिया जाए। दुर्घटना बीमा एवं आकस्मिक मृत्यु बीमा दिया जाए, न्यूनतम 18 हजार रुपए वेतन दिया जाए। मांगों पर जल्द से जल्द कोई फैसला नहीं लेने पर उग्र आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
ऊर्जा मंत्री भूपेश बघेल से संघ ने निवेदन किया है कि ठेका प्रथा को समाप्त किया जाए एवं विद्युत विभाग में समायोजित कर देवे या फिर हमें डायरेक्ट विभाग से अनुबंधीत कर कार्य संचालन करे, पंजाब और हरियाणा सरकार के द्वारा कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी को दिए जा रहे वेतन के समान हमें भी वेतन दिया जाए। दुर्घटना बीमा एवं आकस्मिक मृत्यु बीमा दिया जाए, न्यूनतम 18 हजार रुपए वेतन दिया जाए। मांगों पर जल्द से जल्द कोई फैसला नहीं लेने पर उग्र आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा।