मुंगेली । छत्तीसगढ़ में विकास कार्यों की राशि को लेकर जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के बीच बनते-बिगड़ते तालमेल के मध्य एक बड़ी खबर मुंगेली जिले से है। यहां स्वीकृत राशि रोकने की बात पर हुए नोंक-झोंक में जिला पंचायत सदस्य ने जातिगत टिप्पणी करने पर जिला पंचायत सीईओ आईएएस रोहित व्यास को मारने के लिए सैण्डल तक उठा ली। इस घटनाक्रम को लेकर प्रदेश भर के अधिकारियों में जहां तीखी प्रतिक्रिया है वहीं जनप्रतिनिधि भी लामबंद हुए हैं।
जानकारी के मुताबिक मुंगेली जिला पंचायत क्षेत्र बोड़तरा से सदस्य लैला ननकू भिखारी ने जिला पंचायत सीईओ रोहित व्यास को मारने के लिए सैंडिल उठा ली। पुलिस बुलाने की बात पर जिला एसपी को भी देख लेने की बात कही। जिला पंचायत सदस्य लैला ननकू भिखारी विकास राशि स्वीकृति के मामले में सीईओ रोहित व्यास से मिलने पहुँचीं थीं। इस दौरान लैला ननकू ने स्वीकृत राशि रोकने की बात कहते हुए सीईओ पर नाराजगी जाहिर की। सदस्य के मुताबिक उन्हें जातिगत टिप्पणी कर कहा गया कि तुम लोग सुधरने वाले नहीं हो। जातिगत प्रताड़ना पर जिला पंचायत सदस्य ने सीईओ पर आक्रामक तेवर दिखाए। इस दौरान जिला सीईओ कहते रहे कि जो भी आपको सिखाकर भेजा है वह सब जानता हूं। मैं अभी एसपी को बुलाता हूँ, तब सदस्य ने भी कहा-बुला लो एसपी को, देखती हूँ, जातिगत प्रताड़ित करते हो। घटनाक्रम के दौरान जिला पंचायत में हड़कम्प मची रही। जिला पंचायत सदस्य ने एसपी से मामले की लिखित शिकायत करते हुए सीईओ पर जातिगत प्रताड़ना का आरोप लगाया है। अन्य जिला पंचायत सदस्य व कांग्रेसी कार्यकर्ता भी एसपी ऑफिस पहुंचे थे। घटनाक्रम को लेकर मुंगेली का राजनीतिक और प्रशासनिक माहौल गर्म है।
आईएएस एसोसिएशन भी हुआ सक्रिय
इधर इस पूरे घटनाक्रम को लेकर आईएएस एसोसिएशन भी सक्रिय हो गया है। प्रारंभिक सूचनाओं के मुताबिक एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज पिंगुआ ने इस पूरे घटनाक्रम को निंदनीय बताते हुए अफसोस जाहिर कर कहा है कि ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो, यह सुनिश्चित करना होगा। उन्होंने जिला पंचायत सदस्य पर कार्यवाही की भी बात कही है।
अधिकारियों-जनप्रतिनिधियों में बढ़ रही खींचतान
सरकार की विभिन्न जनहितकारी योजनाओं के क्रियान्वयन एवं इसके लिए राशि स्वीकृति और जारी करने को लेकर न सिर्फ मुंगेली बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों में भी जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों के बीच खींचतान के मामले अक्सर देखने व सुनने को मिल रहे हैं। जनप्रतिनिधियों का हमेशा से आरोप रहा है कि अधिकारी सांठ-गांठ पूर्वक शासकीय राशि की बंदरबांट करते हैं जिसके कारण योजनाओं का धरातल पर आधा-अधूरा क्रियान्वयन होता है और आम जनता को दूरगामी लाभ नहीं मिल पाता है। कोरबा जिले में भी खींचतान की घटना हुई जब विकास राशि की स्वीकृति के लिए दो गुटों में बंटे कोरबा जनपद पंचायत के जनप्रतिनिधियों ने दफ्तर के मुख्य द्वार पर तालाबंदी की नौबत ला दी। कटघोरा जनपद में तो सीईओ को ही हटाने के लिए हड़ताल के साथ तालाबंदी करनी पड़ी। इस तरह की अनदेखी और कार्यशैली पर गंभीरता से विचार कर व्यवस्था को दुरुस्त करना जरुरी है ताकि विकास के कार्यों में अधिकारी और जनप्रतिनिधियों का तालमेल बेहतर रहे।