कोरबा । इंडस्ट्रियल कॉरिडोर सड़क निर्माण योजना के तहत एसईसीएल के 200 करोड़ रुपए की लागत से कुसमुंडा से तरदा तक के लिए तैयार की जा रही फोरलेन सड़क निर्माण में हो रही लेटलतीफी की वजह से गढ्ढों में हिचकोले व धूल खा रहे ग्रामीणों ने व्यापारियों के साथ मिलकर सोमवार को चक्काजाम कर दिया।अधिकारियों ने 3 माह के भीतर सड़क तैयार कर लिए जाने का आश्वासन दिया इसके बाद ही चक्काजाम समाप्त हुआ।
एसईसीएल की कोयला खदानों से होकर चलने वाले भारी वाहनों और दूसरे वाहनों के लिए इकलौता रास्ता उपलब्ध है। इसके कारण इस पर न केवल दबाव होता है बल्कि कई तरह की परेशानियां भी पेश आती है। बार-बार मौके पर लगने वाले जाम और लगातार हो रहे हादसों में मौत व लोगों के घायल होने के बाद बीच का रास्ता निकाला गया। इंडस्ट्रियल कॉरिडोर सड़क निर्माण योजना के तहत एसईसीएल के 200 करोड़ रुपए की लागत से इमलीछापर कुसमुंडा से होकर सर्वमंगला चौक होते हुए आगे तरदा तक फोरलेन सड़क बनाई जा रही है। इसके लिए समयसीमा तय की गई है लेकिन इससे पूर्व पूरे रास्ते की दुर्गति ने लोगों को हलाकान कर रखा है। काम के भूमिपूजन के बाद से समस्या का हल निकालने के लिए कई स्तर पर सुझाव दिए गए और मांग की गई लेकिन नतीजे नहीं आए। हाल में ही क्षेत्र के लोगों ने इस मामले को लेकर जनदर्शन में शिकायत की और अलग से प्रशासन को अल्टीमेटम दिया। लेकिन कई दिक्कतों की वजह से कार्य में तेजी नहीं आने से आक्रोशित
लोगों ने व्यापारी संघ के नेतृत्व में कुसमुंडा में शिव मंदिर चौराहे पर सोमवार को सुबह चक्काजाम कर दिया। चक्काजाम की वजह से छोटे-बड़े वाहनों का निकलना बाधित हो गया। कुछ ही देर में दोनों दिशाओं में वाहनों की कतार लग गई। मौके पर पहुंचे अधिकारी व पुलिस की मौजूदगी में अन्य अधिकारियों के साथ आंदोलन कर रहे लोगों की जमकर बहस हुई। अधिकारी समझाईश देने पर अड़े थे और आंदोलन कर रहे लोग हल नहीं खोजने को लेकर नाकामी पर गुस्सा निकाल रहे थे।
बनी हुई है कई तरह की अड़चने
जानकारी के अनुसार प्रस्तावित फोरलेन में बड़े हिस्से पर कई तरह की समस्याएं बनी हुई है। कहीं पर गड्ढे हैं तो कहीं दूसरे तरह से परेशानियां। पूरे मार्ग में इसे लेकर आवाजाही के दौरान लोग परेशान होते हैं। बार-बार यह बात सामने आई है। इसलिए बीते महीनों में प्रशासन की व्यवस्था के अंतर्गत इस रास्ते के ब्लैक होल को भरने और जन सामान्य को सुविधा देने के लिए 2.76 करोड़ का टेंडर किया गया। इस राशि से परेशानी को निश्चित समयसीमा में दूर करने की बात कही गई। लंबे समय बीतने के बाद भी यह काम नहीं हो सका। जिसे लेकर जिला प्रशासन ने भी नाराजगी जाहिर की है।