रफ्तार ने छीन लिया चिराग ,50 लाख की मुआवजा की मांग को लेकर घण्टों प्रदर्शन ,मिला 25 हजार की सरकारी सहायता का आश्वासन

कोरबा । दर्री-कटघोरा मार्ग पर रविवार देर रात गोपालपुर में हुए सड़क हादसे में युवक की मौत पर परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान कराने के लिए ग्रामीणों ने दर्री मार्च में चक्का जाम कर दिया। आम आदमी पार्टी ने इस चक्का जाम में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करते हुए 50 लाख रुपए की मुआवजा की मांग को लेकर आवाज बुलंद की । पुलिस के साथ मौके पर पहुंचे तहसीलदार ने नियमानुसार सड़क दुर्घटना में दी जाने वाली 25 हजार की शासकीय सहायता राशि हफ्ते भर के भीतर परिवार तक अमले के जरिए पहुंचाए जाने का आश्वासन दिया ,तब जाकर धरना समाप्त हुआ।

यहाँ बताना होगा कि बिलासपुर की ओर जा रही शिव ट्रेवल्स की बस क्र.- सीजी 10 जी- 1676 के चालक ने कटघोरा की ओर से दर्री आ रहे होण्डा मोटर साईकिल क्र. सीजी-12 एएक्स 9404 को टक्कर मार दिया। हादसे में विश्वजीत भक्तो निवासी नवागांव दर्री की मौके पर दर्दनाक मौत हो गई। अंधेरी सड़क पर हुए हादसे में मृतक के परिजनों को किसी तरह की आर्थिक सहायता न तो बस मालिक के द्वारा दी गई और ना ही प्रशासन के द्वारा। आज सुबह पीड़ित परिवार और ग्रामीणों के द्वारा मुआवजा की मांग को लेकर दर्री मुख्य मार्ग सहित इस रास्ते के दूसरे मार्गों पर एकत्र होकर चक्का जाम कर दिया गया। छोटे-बड़े सभी वाहनों के पहिए थम गए और वाहनों की लंबी कतारें लगने लगी। आम आदमी पार्टी के पदाधिकारियों ने इस जाम को अपना समर्थन दिया। सूचना पर दर्री टीआई पौरुष, सीएसपी सुश्री लितेश सिंह पहुंची। तहसीलदार सोनू अग्रवाल समझाइश देने के लिए पहुंचे। तत्कालिक तौर पर बस मालिक से कुछ आर्थिक सहायता अंतिम संस्कार के लिए दिलाई गई। तहसीलदार ने 1 सप्ताह के भीतर शासन से मिलने वाली 25 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दिलाने की बात कही। इसके साथ ही जाम समाप्त कराया।उन्होंने इसके बाद भी राजनीति कर चक्काजाम करने पर कार्रवाई की चेतावनी दी।तब जाकर प्रदर्शनकारी हटे। वहीं दूसरी ओर आम आदमी पार्टी के पदाधिकारियों द्वारा कम से कम 50 लाख रुपये मुआवजा राशि देने की मांग की जाती रही। पार्टी के विशाल केलकर ने कहा कि जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दूसरे प्रदेश में जाकर 50 लाख की सहायता दे सकते हैं तो छत्तीसगढ़ में क्यों नहीं? केलकर ने कहा कि स्ट्रीट लाइट का पैसा आया पर लाइट नहीं लगी । बराज पुल की सड़क का भी पैसा आया और कहां गया कोई जानकारी नहीं।

विडंबना : तेज रफ्तार पर अंकुश नहीं, जान की कीमत 25 हजार

जिले की सड़कों पर तेज रफ्तार पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। ईगो प्राबल्म के कारण यातायात की व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है। तेज रफ्तार से और अपनी साइड छोड़कर दूसरी साइड तक बस सहित अन्य भारी वाहन के बेपरवाह चालकों की वजह से जानें जाती रही हैं। और भी न जाने कितनी जान इनकी तेज रफ्तार ले लेगी लेकिन हादसों में मरने वालों के परिवार पर दुखों का जो पहाड़ टूटता है इसका दर्द सिर्फ वही समझ सकता है। ट्रक मालिक हो या बस मालिक या दूसरे दुर्घटनाकारित वाहनों के मालिक, इनके द्वारा चंद रुपए की सहायता देकर अपना पीछा छुड़ा लिया जाता है। मामला बनता है गैर इरादतन हत्या का। यह ठीक है कि इनका इरादा किसी की जान लेने का नहीं होता परंतु रफ्तार पर तो इनकी लगाम होनी चाहिए। अनेक ऐसे परिवार हैं जो अपना बीमा नहीं करा पाते, गाड़ियों का भी बीमा नहीं होता, क्षतिपूर्ति राशि के लिए न्यायालय का चक्कर नहीं काट सकते क्योंकि या तो वे गरीब होते हैं या जान जानकार नहीं, और चंद हजार रुपए की कीमत एक जान की मिलती है। किसी का बाप, किसी का बेटा, किसी का भाई हादसे में खो जाता है।। कानूनी खानापूर्ति के साथ प्रावधान ऐसे हों कि पीड़ित परिवार को दुर्घटना कारित वाहन के सक्षम मालिक से अच्छी-खासी राशि दिलवाई जाए जो बेसहारा होने वाले परिवार/ बच्चों की शिक्षा और परवरिश के लिए भी पर्याप्त हो।