बिलासपुर/कोरबा। एसईसीएल ने रोड सेल बंद करने की तैयारी कर ली है। कोरबा की खदानों में रोड सेल की ट्रकों को बिना किसी पूर्व सूचना प्रवेश करने से रोक दिया गया है। नतीजा यह होगा कि शुक्रवार रात से ही रोड सेल से सीपीपी आधारित उद्योगों तक आने वाला कोयला पूरी तरह ठप्प होने लगा है। ऐसे में जाहिर है अगले कुछ दिनों में छत्तीसगढ़ के नॉन पावर सेक्टर फिर से वेंटिलेटर पर जा सकते हैं। इसके लिए चेयरमेन के एक आदेश का हवाला दिया जा रहा है जिसमे केवल पॉवर सेक्टर को ही कोयला देने की बात कही जा रही है।
नॉन पॉवर सेक्टर के ट्रकों को शुक्रवार देर शाम से कोयले के लिए मिलने वाले टोकन को रोक दिया गया है। केवल खदान के भीतर प्रवेश कर चुके वाहनों को ही कोयला दिया जा गया। ऐसे में लौह, एल्युमिनियम सहित अनेक उद्योगों में आने वाले दिनों में कोल संकट देखने मिल सकता है, ऐसा इसलिए क्योंकि किसी भी सीपीपी प्लांट के पास एक सप्ताह से ज्यादा का कोयला स्टॉक नहीं है। अगर ये ब्लॉकेज ज्यादा चला तो संकट की स्थिति बन सकती है।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि एसईसीएल ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में उत्पादन का जो लक्ष्य रखा है उसमें काफी पीछे है। चौथी तिमाही में ही 15 जनवरी से 31 मार्च, 2022 के दौरान 75 दिनों में 75 मिलियन टन का उत्पादन लक्ष्य पाने की बड़ी चुनौती है। वर्तमान उत्पादन दर के हिसाब से माना जा रहा है कि एसईसीएल 75 मिलियन टन के आधे स्तर तक ही पहुंच पाएगा। लक्ष्य से कोसों दूर होने के कारण चूंकि देश के बाकी बिजली उत्पादकों तक कोयला नहीं पहुंच पा रहा ऐसे में कोल इंडिया ने फौरी तौर पर यह नीति अपना ली है कि छत्तीसगढ़ के सीपीपी आधारित उद्योगों को पहले ही कम मिल रहे कोयले में से और कटौती की जाए।
कोरबा की परियोजनाओं से एसईसीएल हर दिन लगभग तीन लाख टन कोयला उत्पादन करता है जिसका लगभग 50 फीसदी हिस्सा लगभग डेढ़ लाख टन कोयला छत्तीसगढ़ के बाहर के उद्योगों को भेजा जा रहा है। यहां यह बताना लाजिमी है कि बीते सितंबर माह से ही कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियां देश भर में कोयले के उत्पादन के संकट से जूझ रही हैं। इसकी वजह से अक्टूबर के आसपास देश भर में और छत्तीसगढ़ राज्य के सीपीपी आधारित उद्योग कोयले की क्रिटिकल कमी से जूझ रहे थे। मानसून के बाद जब स्थिति थोड़ी ठीक हुई तो माना जा रहा था कि अपने उत्पादन लक्ष्य को पा लेंगे लेकिन हुआ उलटा। कोल इंडिया लिमिटेड के पास न तो संसाधनों की कमी है और न ही पेशेवर नजरिए कि, बावजूद इसके वह उस मात्रा में कोयला उत्पादन नहीं कर पा रही है, जितनी की देश भर के उद्योगों को जरूरत है।
छत्तीसगढ़ का कोयला प्राथमिकता के आधार पर राज्य के उद्योगों को क्यों नहीं दिया जा रहा

हालांकि, इन सब के बीच यह बात समझ से परे है कि छत्तीसगढ़ के उद्योगों के हितों की अनदेखी करते हुए आखिर क्यों एसईसीएल प्रबंधन राज्य का कोयला दूसरे राज्यों को भेजने राजी है। छत्तीसगढ़ का कोयला प्राथमिकता के आधार पर राज्य के उद्योगों को क्यों नहीं दिया जा रहा। यदि छत्तीसगढ़ राज्य शासन के स्तर पर उद्योगों के हित में फैसले लिए जाते हैं तब ऐसी स्थितियां क्यों बन जाती हैं कि एसईसीएल राज्य के उद्योगों की अनदेखी करते हुए बाहर कोयला भेजने तैयार हो जाता है। एसईसीएल ने रोड सेल की ट्रकों को आज से ही रोक दिया है। छत्तीसगढ़ में सीपीपी आधारित जो उद्योग कोयले की आपूर्ति के लिए एसईसीएल पर निर्भर हैं वे लगातार इस भय में हैं कि पता नहीं कब कोयले की कमी उनके उद्योग की गति रोक दे।