कोरबा। कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनी एसईसीएल की दीपका, गेवरा, कुसमुंडा में एक हजार से अधिक नौकरी के प्रकरण लंबित हैं। कंपनी में रोजगार की मांग को लेकर भूविस्थापितों को लगातार आंदोलन से उत्खनन कार्य प्रभावित हो रहा है। ऐसे में लक्ष्य हासिल करना चुनौती बनी हुई है।
कंपनी के तीनों मेगा प्रोजेक्ट गेवरा, दीपका व कुसमुंडा खदानों में लंबे समय से अलग अलग संगठन आंदोलन कर रहे हैं। एक संगठन का आंदोलन थमने के बाद दूसरे संगठन खदान में धरना व कोल डिस्पेच बाधित कर उत्खनन कार्य प्रभावित करने की कोशिश करता है। एक अनुमान के मुताबिक साल में करीब 30 दिन का काम ठप रहता है, फिर चाहे वह भू- विस्थापितों का आंदोलन हो या फिर श्रमिक संगठनों का। इधर एसईसीएल को रेंकी, मलगांव, सुआभोड़ी, नराईबोध, बाम्हनपाठ, अमगांव, जटराज, भठोरा, रलिया, पाली व पोड़ी की जमीन की आवश्यकता है, पर भू-विस्थापित पुनर्वास, मुआवजा व नौकरी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। इसका सीधा असर खदानों के उत्पादन पर पड़ रहा है, एसईसीएल की सभी खदानों से रोजाना पांच से साढे पांच लाख टन कोयला निकल रहा है। जबकि प्रतिदिन दस लाख टन कोयला निकालने पर ही 1720 लाख टन का लक्ष्य मिल पाएगा। कोल बेयरिंग एक्ट लागू होने के बाद अब दो एकड़ में एक व्यक्ति को नौकरी का प्रावधान रखा गया था। अब घटते क्रम में नौकरी देने से लगातार आंदोलन होने की वजह बनी है। छोटे खातेदारों का संघर्ष जारी है।