भ्रष्टाचार का गढ़ कटघोरा वनमंडल में अब सड़क घोटाला: जंगल से पत्थर, मिट्टी डालकर बनाई सड़क, असली मजदूर भटक रहे, फर्जी के नाम 70 लाख निकल गए

कोरबा । जिले में कटघोरा वन मंडल भ्रष्टाचार का पर्याय बना हुआ है। यहां जंगल में मनमाने ढंग से काम हो रहा है और डीएफओ के द्वारा अधीनस्थ रेंजरों व डिप्टी रेंजरों पर लगाम नहीं कसी जा रही है। इसका खामियाजा सरकारी धन का दुरुपयोग होने के साथ-साथ सरकार की छवि खराब होने के रूप में सामने आने लगा है। फर्जी मजदूरों के नाम भुगतान का मामला जहां अभी सुर्ख है वहीं डब्ल्यूबीएम सड़क के नाम पर लगभग 70 लाख का घोटाला उजागर हुआ है।

कटघोरा वनमंडल के वन परिक्षेत्र केंदई के रेंजर अश्वनी चौबे की देख-रेख में यह सारा कारनामा हुआ है जिसमें ग्राम धजाक से बोटोपाल के मध्य 4-5 किलोमीटर सड़क के निर्माण में जमकर मनमानी चलाई गई। मिट्टी, मुरुम और गिट्टी का उपयोग कर डब्ल्यूबीएम सड़क का निर्माण करना था लेकिन जंगल में मोर नाचा की तर्ज पर सारा काम रेंजर व अन्य लोगों ने मिलकर कराया है। काम करने वाले ग्रामीण मजदूरों ने बताया कि इनके द्वारा एक से दो किलोमीटर की दूरी से जंगल में चुन-चुनकर बोल्डर और पत्थर इकठ्ठा किए गए जिन्हें सड़क निर्माण में लगाया गया। मुरुम के नाम पर मिट्टी आसपास से खोदकर सड़क पर बिछा दी गई। गिट्टी का तो दूर-दूर तक नामोनिशान नहीं है और न ही सड़क की मजबूती के लिए रोलर चलवाया गया। दिसंबर 2021 में यह काम शुरू हुआ और जनवरी लगते खत्म हो गया। काम पर लगाए गए मजदूरों को छेरछेरा तिहार तक भुगतान कर देने का आश्वासन दिया गया और इनके वांछित कागजात भी भुगतान के संबंध में ले लिए गए लेकिन फरवरी का आधा माह बीत जाने के बाद भी भुगतान नहीं हो सका है।

मजदूर

70 लाख का हो गया भुगतान ,विभागीय अधिकारी मेहरबान

विभागीय विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि इस सड़क के नाम पर लगभग 70 लाख रुपए का भुगतान जारी हो गया है। काम करने वाले असली मजदूर भटक रहे हैं जबकि फर्जी मजदूरों के नाम राशि निकालकर बंदरबांट कर ली गई है। सूत्रों के मुताबिक मोरगा के एक नामचीन व्यक्ति के द्वारा फर्जी मजदूरों की सूची उपलब्ध कराई गई और उनके नाम पर राशि जारी कर आहरण करते हुए आपस में बांट लिया गया।
कटघोरा वन मंडल में यह कोई पहला मामला नहीं बल्कि इससे पहले भी अनेक प्रकरण सामने लाए जा चुके हैं किन्तु शीर्ष अधिकारियों की उदासीनता और गंभीरतापूर्वक जांच के अभाव में भ्रष्ट कार्यशैली वाले रेंजर, डिप्टी रेंजर और संबंधित अधिकारी फल-फूल रहे हैं। देखना है कि सड़क के इस मामले के अलावा विगत दिनों उजागर किए गए ग्राम कुटेश्वरनगोई में निर्मित कराए गए तालाब के नाम पर करतला ब्लॉक के लोगों को किए गए 12 लाख से अधिक का फर्जी भुगतान, ऐतमानगर व चैतमा रेंज में निर्मित कराए गए तालाबों के एवज में हॉस्टल व कॉलेज के छात्रों के नाम पर किए गए फर्जी भुगतान के मामले की जांच किस हद तक और कब तक होगी।