भ्रष्टाचार के गढ़ कटघोरा वनमंडल से डीएफओ की अंततः हुई विदाई,एकलव्य के निर्माण पर भी लगा दी रोक ,कलेक्टर ,विधायक से भारी पड़ा विवाद

कोरबा । अपनी पदस्थापना के बाद से सुर्खियों में रहने वाली कटघोरा वन मंडल की डीएफओ शमा फारूखी का आखिरकार तबादला हो गया।वनमंडलाधिकारी जांजगीर -चाम्पा श्रीमती प्रेमलता यादव वनमण्डलाधिकारी कटघोरा होंगी।

पिछले दिनों कलेक्टर रानू साहू के साथ हुए विवाद के साथ ही वन मंडल क्षेत्र में होने वाले विभिन्न कार्यों में गड़बड़ी व फर्जी मजदूरी भुगतान के मामले सुर्खियों में आने के बाद जब जांच शुरू हुई तो रायपुर से तबादला आदेश भी जारी हो गया। डीएफओ शमा फारूखी के तबादले की सुगबुगाहट पिछले कुछ दिनों से चल रही थी और सूत्र बताते हैं कि विगत दिनों शीर्ष अधिकारियों के साथ हुई बैठक में भी उन्हें तबादला रुकवाने की कोशिशों को लेकर आड़े हाथों लिया भी गया था। वह अपना तबादला रुकवाने के चक्कर में लगे हुई थीं लेकिन कलेक्टर से विवाद के बाद एवं कई तरह की गड़बड़ियां सामने आने उपरांत उनके तबादले पर सरकार ने मुहर लगा दी। शमा फारुखी के स्थान पर प्रेमलता यादव कटघोरा की नई डीएफओ होंगी जिन्होंने कटघोरा में पूर्व पदस्थापना के दौरान कोसा फल की तस्करी और अवैध पेड़ों की कटाई का मामला पकड़ा था। इनके अलावा राज्य सरकार ने वन विभाग में कुछ बड़े फेरबदल भी किए हैं।

इस मामले ने पकड़ा था तूल , विधायक केरकेट्टा हुए थे नाराज

यहां बताना होगा कि डीएफओ शमा फारुखी जिले में उस वक्त चर्चा में आई जब उन्होंने एक बार वन भूमि पर शिक्षा का मंदिर बनाने पर रोक लगा दी थी। दरअसल पाली ब्लॉक के लाफा गांव समीप खाली पड़े वन भूमि को एकलव्य आदर्श स्कूल भवन निर्माण के लिए चिन्हित किया गया था। इसके लिए तमाम कागजी कार्रवाई पूर्ण कर प्रशासन को प्रेषित कर दिया गया था। भवन निर्माण के लिए केंद्र सरकार द्वारा करीब 19 करोड़ की राशि जारी भी हो गई है। इसी वित्तीय वर्ष में स्कूल निर्माण कार्य शुरू कराने के लिए स्थानीय विधायक मोहितराम केरकेट्टा समेत कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत भी प्रयासरत थे। मगर इन तमाम प्रयास पर पानी फिरता नजर आ रहा था। बताया जा रहा है कि पिछले पखवाड़े वीसी के जरिये कलेक्टर रानू साहू ने इसी मसले पर डीएफओ समा फारूकी से चर्चा कर प्रक्रिया आगे बढ़ाने की बात कही लेकिन डीएफओ ने वन कानून का हवाला देकर अनुमति देने से इनकार कर दिया। इनके लिए डीएफओ समा फारूकी ने बकायदा आदिवासी विकास विभाग को पत्र व्यवहार भी किया । मामले में पाली-तानाखार विधायक मोहित राम केरकेट्टा ने साफ शब्दों में कहा था कि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होने देंगे। अगर ऐसा हुआ तो इसकी जिम्मेदार डीएफओ होंगी। केरकेट्टा ने कहा था कि लाफा में ग्रामसभा के अनुमोदन पर जमीन को चिन्हित किया गया है। बच्चो के भविष्य को सवांरने के लिए सरकार की ये बड़ी पहल है। एकलव्य स्कूल बनने से इलाके के आदिवासी बच्चो को बेहतर शिक्षा मिलेगी। इसके लिए कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत स्वयं प्रयत्नशील हैं। केंद्र सरकार द्वारा करोड़ों रूपए जारी किया गया है। मार्च तक अगर नींव नही डली तो राशि लेप्स हो जाएगी। ऐसी परिस्थिति में पूरी जिम्मेदारी डीएफओ समा फारूखी की होगी।

आदिवासी बच्चों के लिए वरदान है एकलव्य स्कूल

यहां बताना होगा कि जिले में 3 एकलव्य आवासीय स्कूल संचालित है। छुरी, पोंडी और पाली तीनो विद्यालयों में 720 विद्यार्थी अपना भविष्य गढ़ रहे है। एकलव्य आदर्श स्कूल केंद्र सरकार के ऑब्जर्वेशन में संचालित होता है। खासतौर पर आदिवासी बच्चो के सर्वांगीण विकास के लिए एकलव्य आवासीय विद्यालय का संचालन किया जाता है। निजी स्कूलों की तर्ज पर सीबीएसई फॉर्मेट में निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है। वजह है यही वजह है एकलव्य में पढ़ने में बच्चे काफी रुचि लेते है। लाफा में एकलव्य स्कूल खुले से इलाके के सैकड़ों जरूरतमंद आदिवासी बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सकेगी।