हसदेव एक्सप्रेस न्यूज़ कोरबा। जिले के कटघोरा वन मंडल में अधिकारियों की शह पर रेंजर/ डिप्टी रेंजर और निचले स्तर के कर्मचारियों की मिलीभगत से हुए निर्माण व आर्थिक संबंधी गड़बड़ी की जांच शुरू कर दी गई है। कलेक्टर के निर्देश के बाद जांच टीम सोमवार को पोड़ी-उपरोड़ा एसडीएम कौशल तेंदुलकर के नेतृत्व में धजाक केंदई एवं जटगा में जांच करने पहुंची। जहां प्रथम दृष्टया व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी पाई गई है। हालांकि अंतिम जांच प्रतिवेदन डीएफओ कार्यालय द्वारा जांच बिंदुओं से जुड़े आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराए जाने के बाद भेजी जावेगी। फिलहाल जांच टीम ने अंतरिम जांच प्रतिवेदन भेज दिया है जिससे संबंधितों में हड़कंप मचा है।
यहां बताना होगा कि जंगल में स्टाप डेम घोटाला से लेकर बिना मजदूर लगाए तालाब खोद कर फर्जी मजदूरों के नाम असली रकम निकालकर आपसी बंदरबांट कर लेने का मामला प्रमुखता से उजागर होते आया है । कटघोरा वन मंडल के अंतर्गत एवं पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक के ग्राम कुटेश्वर नगोई के जंगल में खोदे गए तालाब के एवज में करतला विकासखंड के ग्राम सरगबुंदिया की सरपंच के पति, देवर व अन्य नातेदारों/परिचितों के नाम बीटगार्ड प्रद्युम्न सिंह तंवर (सरपंच का देवर) के माध्यम से किए गए 12 लाख से अधिक के भुगतान का मामला सामने लाया। इसके उपरांत ऐतमानगर, मोरगा, केंदई के जंगल में भी तालाब खोदने के नाम पर कॉलेज और हॉस्टल के छात्रों से लेकर कुछ पत्रकारों यहां तक की संभ्रांत परिवार से वास्ता रखने वाले परिवार के कुछ सदस्यों से लेकर वन विभाग के कर्मचारियों के परिजनों, वार्ड प्रतिनिधि तक को मजदूर बनाकर उनके खाते में पैसे डाले गए। पसान,जटगा,चैतमा, पाली के जंगल में भी भ्रष्टाचार के तालाब निर्मित किए गए।

केंदई में तालाब निर्माण की दल सहित जांच करते एसडीएम श्री तेंदुलकर
यही नहीं लेंटाना उन्मूलन के नाम पर एक करोड़ 19 लाख का घपला हुआ है। घपले की हद यह है कि नरवा विकास योजना में काम शुरू नहीं हुआ, कहीं पर गड्ढे तो कर दिए गए हैं लेकिन मटेरियल गिरा ही नहीं और उसके एवज में राशि जारी कर दी गई है। जंगल में मंगल की तर्ज पर केंदई वन परिक्षेत्र के ग्राम धजाक से बोटोपाल के मध्य बनाई गई डब्ल्यूबीएम सड़क में भी लाखों का खेल हो गया है। यहां के मजदूरों को मजदूरी नहीं मिली है। मजदूरों ने ही बताया कि जंगल से पत्थर,बोल्डर चुन-चुन कर इकट्ठा किए जिन्हें सड़क में लगाया गया।

धजाक में सड़क निर्माण में इस तरह की गई गड़बड़ी
जंगल की मिट्टी/मुरुम को खोदकर सड़क में लगाया गया लेकिन इसके नाम पर मटेरियल की सप्लाई होना बताकर 25 से 30 लाख का भुगतान प्राप्त कर लिया गया है।

पाली, पसान,जटगा के वन गोदाम में रखे-रखे 40 लाख से अधिक के सीमेंट पत्थर हो गए। अकेले कटघोरा वन मंडल में ही करोड़ों का घोटाला फर्जी मजदूरी के नाम पर हुआ है।मामला उजागर होने के बाद कलेक्टर श्रीमती रानू साहू ने स्वत संज्ञान लेते हुए प्रकरण में जांच बैठा दी है पोंडी उपरोड़ा एसडीएम कौशल तेंदुलकर के नेतृत्व में जांच टीम गठित की गई है जिसमें जनपद सीईओ, तहसीलदार , एसडीओ आरईएस शामिल हैं।

जटगा के संरचनाओं की जांच करती टीम
टीम सोमवार को एसडीएम कौशल तेंदुलकर के नेतृत्व में धजाक ,केंदई एवं जटगा पहुंची। जहां सम्बंधित कार्यों की जांच की गई। टीम को प्रथम दृष्टया उक्त कार्यों में कई तरह की खामियाँ मिली है। जिसके लिए वन विभाग को आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। ताकि तकनीकी मापदंडों के तहत निर्माण कार्यों की पारदर्शिता से जांच की जा सके। बहरहाल अंतरिम जांच प्रतिवेदन भेज दिया गया है। अंतिम जांच प्रतिवेदन वन विभाग द्वारा मांगी गई वांछित दस्तावेज उपलब्ध कराए जाने के उपरांत कलेक्टर को आवश्यक कार्रवाई के लिए भेजा जाएगा। बहरहाल जिला प्रशासन की इस जांच से वन अमलों में खलबली मची हुई है।
नौकर-चाकर रखने वालों ने भी की मजदूरी
फर्जी मजदूर बनाने का आलम यह है कि जटगा के जंगल में बनाए गए तालाब के निर्माण में नगर के धनाढ्य लोगों को मजदूर बता दिया गया। ऐसे लोग मजदूर बने हैं जो अपने घर खुद नौकर-चाकर रखते हैं और संपन्न परिवार से वास्ता रखते हैं एवं ठेकेदारी के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। बताया जाता है कि 50 लाख के इस तालाब में 37 लाख की मजदूरी इस नामचीन परिवार के सदस्यों के नाम से जारी की गई है।
पौने दो करोड़ का कमीशन चर्चा में
कटघोरा के वन महकमे में हाल ही के पौने दो करोड़ रुपए की कमीशनखोरी काफी चर्चा में है। महकमे से ही खबर निकल कर आई है कि कैम्पा व अन्य मद से विकास कार्यों के लिए दिए जाने वाले राशि का चेक काटने हेतु एलओसी हर महीने जारी होती है। पिछले महीनों में 5-5 करोड़ की एलओसी जारी हुई थी जो इस महीने 4 करोड़ रुपए जारी हुई है। पिछले महीने जनवरी माह में उक्त राशि के चेक जारी किए गए जारी किए गए। वन परिक्षेत्र रेंजरों को जारी चेक के एवज में निर्धारित प्रतिशत की कमीशन राशि अलग कर दी गई जो लगभग 1 करोड़ 60 लाख रुपये कलेक्शन हुआ। विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि दो जगह का प्रभार देख रहे भरोसेमंद एक रेंजर के द्वारा 4 जनवरी को दो वाहनों के जरिए राजधानी तक का सफर तय कर यह राशि बंगले में पहुंचाई गई। भरोसेमंद सूत्र बताते हैं कि एक वाहन में अधिकारी तो उसके पीछे के वाहन में भरोसेमंद रेंजर रकम लेकर मौजूद था। निःसंदेह वन मंडल में आर्थिक अनियमितता को अंजाम देने का एक रैकेट-सा काम कर रहा है। आखिर उन मजदूरों की क्या गलती जिन्होंने अपना खून-पसीना बहा कर गिने-चुने निर्माण कार्यों को अंजाम दिया लेकिन उनकी भी मजदूरी महीनों /वर्षों से लटका कर रखी गई है।
वर्जन
जांच किए हैं ,प्रथम दृष्टया खामियां पाई गई हैं ,अंतरिम जांच प्रतिवेदन भेज दिया है
आज हमने टीम के साथ तीन कार्यों की जांच की है ,प्रथम दृष्टया किए गए विभिन्न संरचनाओं में खामियां पाई गई है। विस्तृत जांच के लिए वन विभाग को आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराए जाने का निर्देश दिया है। फिलहाल अंतरिम जांच प्रतिवेदन भेज दिया गया है। दस्तावेज उपलब्ध कराए जाने के उपरांत तकनीकी पहलुओं पर बारीकी से जांच कर अंतिम जांच प्रतिवेदन भेजेंगे।
कौशल तेंदुलकर ,एसडीएम, पोड़ी उपरोड़ा