कल नहीं होगा एसईसीएल के कुसमुंडा खदान का घेराव ,भविस्थापितों ने प्रबंधन को 25 मार्च तक दी मोहलत ,वित्तीय वर्ष के अंत में कोयला संकट से पड़ेगा लक्ष्य पर असर

नौकरी, मुआवजा, बसाहट, रोजगार की मांग को लेकर 14 मार्च को किया गया था व खदान महाबंद का एलान

कोरबा । एसईसीएल की कुसमुंडा परियोजना से प्रभावित भू-विस्थापितों के द्वारा नौकरी, मुआवजा, बसाहट, रोजगार की मांग को लेकर 14 मार्च सोमवार को किया जाने वाला खदान महाबंद स्थगित कर दिया गया है। प्रबंधन को 25 मार्च तक का समय दिया गया है। इस समय-सीमा में निराकरण न होने पर भू-विस्थापितों के द्वारा खदान बंदी की जाएगी।

यहाँ बताना होगा कि एसईसीएल की कुसमुंडा परियोजना में नौकरी की मांग को लेकर 14 मार्च को खदान महाबंद का ऐलान किया गया था। इस महाबंद को एसईसीएल प्रबंधन के साथ हुई बैठक में श्रमिक नेताओं ने उचित नहीं ठहराया था।खदान बंद की सूचना के मद्देनजर शनिवार को क्षेत्रीय संयुक्त सलाहकार समिति की बैठक में प्रबंधन द्वारा विचार मंगाया था। बैठक में उपस्थित सदस्यों बीकेएमएस से डीसी झा, राजेश त्रिवेदी, अरूण झा केएमएस, एसईकेएमसी से आरसी मिश्रा, एके अंसारी, एएसएन राव, एसकेएमएस, राज लल्लन पाण्डेय एसकेएमएस, शेख बच्चा केएसएस, सज्जी टी जॉन केएसएस, शैलेष राय सीएमओएआई एवं मिलन कुमार पाण्डेय केएमएस ने संयुक्त रूप से 14 मार्च को प्रस्तावित कुसमुंडा खदान महाबंद की कड़ी निंदा एवं भर्त्सना की थी। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब देश में कोयला को लेकर हाहाकार मचा हुआ है और मार्च माह में इस प्रकार खदान बंद करने से छग शासन की आमदनी एवं देश को कोयले की आवश्यकता प्रभावित होगी। हड़ताल का आह्वान करने वालों को संदेश दिया जाए कि रोजगार की समस्या काफी पुरानी है इसलिए खदान बंद करना कोई समाधान नहीं है बल्कि वार्तालाप के माध्यम से समाधान संभावित है। हमारा कोई भी कामगार इस हड़ताल का समर्थन नहीं करेगा एवं वे अपना कार्य निष्ठापूर्वक करेंगे तथा प्रयास करेंगे कि अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक उत्पादन हो सके। कुसमुंडा खदान के कर्मचारी/अधिकारी किसी भी कीमत पर बंद में शामिल नहीं होंगे। सलाहकार समिति ने कहा है था कि हड़ताली व्यक्तियों से वार्तालाप के माध्यम से समस्याओं के उचित निदान करने की पहल की जाए।शायद इसी का परिणाम है कि प्रबंधन को 25 मार्च तक मियाद दे दी गई है। इस समयसीमा के बाद ही भू -विस्थापितों द्वारा खदानबंद किया जाएगा।

खदान में प्रवेश पर हो सख्त पाबंदी

क्षेत्रीय संयुक्त सलाहकार समिति के पदाधिकारियों ने यह भी कहा है कि खदान में इनके प्रवेश पर सख्त पाबंदी लगाई जाए ताकि पूर्व में कर्मचारियों के साथ गाली-गलौच, मारपीट इत्यादि किये जाने की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। प्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि इसके लिए जिला प्रशासन एवं राज्य शासन से इसकी शिकायत एवं कार्यवाही हेतु अनुरोध किया जाए तथा ऐसे लोगों पर प्रतिबंधात्मक कार्यवाही हेतु सतत रूप से कार्यवाही की मांग की जाए।