कोरबा। सीएसपीजीसीएल के पावर प्लांटों से उत्सर्जित राखड़ ना केवल ग्रामीणों के लिए मुसीबत बन गई है बल्कि राखड़ के दुष्प्रभाव से उनकी जिंदगी महफूज नजर नहीं आ रही। हवा का हल्का सा झोंका आया और सीएसपीजीसीएल से लगे पंडरीपानी में राखड़ की वर्षा होने लगी ,राखड़ वर्षा से परेशान व आक्रोशित ग्रामीणों ने राखड़ डेम में चल रहे काम को बंद करा दिया।
यहां बताना होगा कि डीएसपीएम से उत्सर्जित राखड़ पंडरीपानी एश डाइक (राखड़ बांध ) में डम्प होता है। राखड़ उत्सर्जन अधिक व खपत कम होने की वजह से राखड़ बांध पूरी तरह भर चुका है। अब यही राखड़ ग्रामीणों के लिए मुसीबत बन गई है । कहने को तो राखड़ की उपयोगिता कागजों में कहीं बेहतर दिखाई जाती है पर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है । गोढ़ी के के समीप बने राखड़ डेम से उड़ने वाली राखड़ से ग्रामीण कई तरह की स्वास्थ्यगत बीमारियों के शिकार हो रहे हैं । मंगलवार को भी हवा का हल्का सा झोंका आया और पंडरीपानी में खंड वर्षा होने लगी। जिससे नाराज ग्रामीणों ने राखड़ डेम में चल रहे निर्माण कार्य को बंद करा दिया। क्षेत्रीय सांसद प्रतिनिधि जीवन यादव ने बताया कि अब प्रबंधन की मनमानी बहुत हो चुकी ,अब बर्दाश्त नहीं करेंगे। प्रबंधन खाए मलाई और जनता खाए राखड़ ,जनता पीए राखड़ । ये स्थिति अब हम स्वयं बदलेंगे। प्रबंधन जल्द ही नहीं चेता तो माननीय सांसद महोदया का ध्यान आकृष्ट कराकर उनके नेतृत्व में स्थाई तौर पर राखड़ बांध का काम रोक दिया जाएगा। जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रबंधन की होगी। यहां बताना होगा कि सीएसपीजीसीएल कोरबा पश्चिम राखड़ उपयोगिता के मामले में पूरे जिले में फिसड्डी रहा है। पर्यावरण विभाग से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर प्रबंधन 60 फीसदी राखड़ का भी यूटिलाइजेशन नहीं कर पा रहा। यही वजह है कि यह राखड़ डेम से लगे आबादी के लिए कहर बनकर जरा सी हवा चलते ही बरसने लगता है।प्रबंधन को चाहिए कि राखड़ डेम को हमेशा गीला रखे ताकि राखड़ उड़कर बस्तियों तक न पहुंचे।