इंसानियत अभी जिंदा है…. ,8 हजार कैश ,पैन ,आधार ड्राइविंग लाइसेंस सहित महत्वपूर्ण दस्तावेज से भरे बैग रेलवे क्रासिंग पर गिर गया ,घर पहुंच बुजुर्ग ने बाइज्जत लौटाया , नहीं बताई पहचान

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। आज के दौर में राह चलते अगर 1 रुपए का सिक्का भी दिख जाए तो लोग उसे उठा लेते हैं ,सामने वाले को बताना भी मुनासिब नहीं समझते । ऐसे दौर में कुछ शख्सियत ऐसे भी ही हैं जो जो इन सबके बीच ईमानदारी की नजीर पेश कर जाते हैं। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है। जहां कैश ,आधार कार्ड , पैन कार्ड ड्राइविंग लाइसेंस सहित अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों से भरे हैंड बैग को रेलवे क्रासिंग पर पाने वाले बुजुर्ग ने बेटी के साथ पहुंचकर बाइज्जत लौटा दी। यहीं नहीं सेवाभावना व सच्ची इंसानियत की मिसाल इस शख्श ने अपना पहचान तक नहीं बताया। ईमानदारी व इंसानियत से दिल जीतने वाले इस शख्श की हर जुबां पर चर्चा है ।

जानकारी अनुसार जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक कोरबा में लिपिक के पद पर कार्यरत श्वेता राय 14 अप्रैल को प्रातः 6 .35 बजे कोरबा से रवाना होने वाले हसदेव एक्सप्रेस से आवश्यक कामकाज के सिलसिले में बिलासपुर जाने वाली थीं। अपने शिवाजी नगर स्थित आवास क्रमांक एमआईजी 35 से श्वेता ट्रेन पकड़ने रेलवे स्टेशन के लिए रवाना हुईं। इसी दौरान रेलवे कॉलोनी स्थित रेलवे क्रासिंग पार करते समय उनका स्कूटी में लटकाया हैंड बैग गिर गया। स्टैंड पहुंचकर श्वेता ने देखा तो हैंडबैग गायब था।उन्हें आभाष हो गया था कि हैंड बैग रेलवे क्रासिंग में ही गिरा होगा। वापस गईं तो रास्ते में भी उन्हें बैग नहीं मिला। श्वेता ट्रेन तो पा गईं लेकिन हैंड बैग गुम जाने से वे काफी मायूस थीं। दसअसल हैंड बैग में आधार कार्ड ,ड्राइविंग लाइसेंस ,पैन कार्ड ,8 हजार कैश सहित कुछ अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज थे। श्वेता इस घटना को लगभग भूला ही चुकीं थीं कि 15 अप्रैल की शाम एक बुजुर्ग व्यक्ति अपनी बिटिया के साथ उसी हैंड बैग के साथ श्वेता के मकान पहुंचे। उस शख्श ने श्वेता को हैंड बैग बाइज्जत लौटा दी। श्वेता ने देखा तो उसमें कैश सहित वो सारे दस्तावेज मौजूद थे जो उसने रखे थे। शख्श की यह दरियादिली देख श्वेता सहित उनके परिजन अत्यंत अभिभूत थे। यही नहीं उस शख्श ने अपना नाम पहचान तक नहीं बताया । उन्होंने कहा आपकी अमानत थी आपको लौटा दी मेरा काम हो गया कहकर चलते बने। इस वाक्ये से श्वेता सहित उनके परिजन चकित थे । उन्होंने जीवन में ऐसा दरियादिल इंसान नहीं देखा था जो गुमा हुआ सब कुछ लौटा गए बदले में अपना पहचान तक नहीं बताए। श्वेता ने गुम हैंड बैग मिलने के बाद कहा कि ऐसे लोगों की वजह से आज भी इंसानियत जिंदा है।