दुर्ग । कर्मचारियों ने चिलचिलाती धूप में सड़क पर लेटकर प्रदर्शन किया है। बताया गया है कि वह एकजुटता दिखाने बाइक रैली निकालना चाहते थे। इसी वजह से मंगलवार सुबह बड़ी संख्या में कर्मचारी जमा हुए थे। मगर पुलिस की टीम ने उन्हें पहले ही रोक लिया। इसके चलते कर्मचारी पहले सड़क पर बैठ गए। फिर वहीं लेटकर प्रदर्शन करने लगे। इस दौरान जमकर नारेबाजी भी की गई।
जिले के चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज का अधिग्रहण राज्य सरकार ने 2 फरवरी 2020 को किया था। इसके बाद 3 सितंबर 2020 को राजपत्र में इसका प्रकाशन भी हो गया। जिसके बाद यहां काम कर रहे 101 कर्मचारियों को काम से बाहर कर दिया गया। इसमें स्वास्थ्य कर्मचारी के अलावा अलग-अलग पदों पर काम करने वाले लोग शामिल हैं।बताया जा रहा है कि नौकरी से निकालने के बाद इन्होंने कई बार प्रशासन से गुहार लगाई। मगर कहीं बात नहीं बनी। इस पर इन्होंने कॉलेज के बगल से पंडाल बनाकर विरोध करना शुरू कर दिया था। जो अब भी जारी है। इनकी मांग है कि इन्हें वापस रख लिए जाए। क्योंकि यह 2013 से यहां काम कर रहे थे। काफी विरोध के बात भी जब बात नहीं बनी, तब इन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था। इस पर कुछ दिन बाद सुनवाई भी होनी है।
कर्मचारियों ने बताया कि इसी कड़ी में हम मंगलवार को सुबह से बाइक रैली निकालने चाहते थे। मकसद था कि इस रैली के जरिए एकजुटता दिखाई जाए। साथ ही इस रैली का आयोजन सामाजिक एकता का संदेश देना भी था। कर्मचारियों का कहना था कि आज कल राजनीतिक दल सामाजिक एकता को बिगाड़ने का काम कर रहे हैं है। इसलिए हमने लोगों को संदेश देने बाइक रैली का आयोजन किया था। लेकिन पुलिस ने हमें रोक लिया। कर्मचारियों का कहना है कि हमने रैली के लिए कलेक्टर कार्यालय से अनुमति ली थी। संबंधित थाने में भी आवेदन दिया था। फिर भी हमें रोक लिया गया।कर्मचारियों ने बताया कि बाइक रैली, कुरूद, भिलाई क्षेत्र चरौदा, पावर हाउस से सुपेला होते हुए वापस यहां मेडिकल कॉलेज स्थित हमारे पंडाल में आने वाली थी। लेकिन पुलिस की टीम सुबह 7.30 बजे ही पंडाल के पास पहुंच गई और उन्हें रोक लिया गया। इसी बात का विरोध करने हम वहीं बैठ गए थे। बाद में सड़क पर लेटकर हमने प्रदर्शन किया था। कहा जा रहा है कि 2 घंटे तक ये सब होता रहा। फिर 10 बजे के बाद सभी वापस पंडाल लौट गए।